नयी दिल्ली। दिल्ली में कोविड-19 संबंधी प्रतिबंधों के तहत टेबल पर भोजन देने की सेवा पर रोक लगाने के निर्णय एनआरएआई ने गहरी निराशा जताते हुए कहा है कि महामारी के दौर में पहले से प्रभावित रेस्तरां कारोबार को अब चलाना बिल्कुल मुश्किल हो जाएगा।
संगठन को डर हैं कि इससे राजधानी में इस क्षेत्र में काम करने वाले तीन लाख से अधिक लोगों की रोजी रोटी पर आन पड़ेगी। एनआरआई के अध्यक्ष कबीर सूरी ने दिल्ली की सरकार के निर्णय पर एक बयान में कहा, कोविड-19 की शुरुआत से ही रेस्तरां का कारोबार सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में रहा है।
महामारी की पहली और दूसरी लहर ठंडी पड़ने के बाद भी रेस्तरां का कारोबार सबसे बाद में खुला था। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि तीसरी लहर उससे भी ज्यादा होगी और इसमें दिल्ली सरकार ने जो दिशानिर्देश जारी किए हैं उसमें हमारे लिए अब अपने को बचा पाना मुश्किल होगा।
दिल्ली सरकार ने ओमिक्रॉन की नयी लहर को नियंत्रित करने के लिए होटल, रेस्तरां और बार बंद करने तथा वहां से केवल ‘टेक अवे’ (भोजन पैक कर देने) की सुविधा रखने के निर्देश दिए हैं। यह निर्णय उपराज्यपाल अनिल बैजल की अध्यक्षता में दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकारण की बैठक में लिया गया जिसमें मुख्य मंत्री अरविंद केजरीवाल और दिल्ली के उप मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और अन्य अधिकरी शामिल थे।
सूरी ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर भारत में रेस्तरां की राजधानी है। दिल्ली में 95,187 रेस्तरां चलते हैं इनमें 32,777 संगठित क्षेत्र में जो पदार्थ खाद्य विनियामक एफएसएसएआई और जीएसटी के नंबर के साथ चलते हैं। दिल्ली सरकार निर्णय का असंगठित क्षेत्र के कारोबार पर भी असर पड़ेगा।
उन्होंने कहा , हमें दिल्ली के रेस्तरां में काम करने वाले 3,01,715 लोगों की चिंता है। हम नहीं चाहते कि उनको कष्ट हो लेकिन दुर्भाग्य से अब हमारे पस उनकी मदद के लिए पर्याप्त संसााधन नहीं है।
बयान में कहा गया है कि पिछले साल कोविड-19 के दौरान देश भर में एक चौथाई रेस्तरां बंद हो गए थे और 24 लाख लोग बेरोजगार हुए हैं।