श्रीगोपाल नारसन
विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ के उपकुलसचिव व हिंदी भाषा के साहित्यकार श्रीगोपाल नारसन ने विश्व हिंदी दिवस पर कहा कि अब हिंदी उपेक्षित नही बल्कि दुनिया की भाषा के रूप में स्वीकार्य हो रही है।जो एक शुभ संकेत है।
विश्व हिंदी दिवस पर जारी एक बयान में उन्होंने कहा कि आज दुनिया में हिंदी एक कैरियर के रूप में देखी जाती है।जापान की युवा पीढ़ी तो दुनिया के सबसे बड़े बाजार भारत मे व्यापार के लिए हिंदी सीखने को जरूरी मानते है।तभी तो जापान में हिंदी सीखने के लिए हर विश्वविद्यालय व कालेज में हिंदी विभाग खुल गया है, जहां हिंदी पढाने के लिए भारतीय अध्यापको की सेवाएं ली जा रही है।
जापान के हिंदी विद्यार्थी फर्राटे के साथ हिंदी बोलने व समझने लगे है।हिंदी को संयुक्त अरब अमीरात में मान्यता प्राप्त अल्पसंख्यक भाषा का सम्मान मिल चुका है।
श्रीगोपाल नारसन के शब्दों में,” हिंदी भारत में लगभग 4.25 करोड़ लोगों की पहली भाषा है और करीब 12 करोड़ लोगों की दूसरी भाषा है। हिंदी का नाम फारसी शब्द “हिंद” से लिया गया है, जिसका अर्थ है “सिंधु नदी की भूमि है।
फारसी बोलने वाले तुर्क जिन्होंने गंगा के मैदान और पंजाब पर आक्रमण किया था, 11वीं शताब्दी की शुरुआत में सिंधु नदी के किनारे बोली जाने वाली भाषा को “हिंदी” नाम दिया था।”उन्होंने बताया कि नेपाल में हिंदी भाषी लोगों का दूसरा सबसे बड़ा समूह है।
लगभग आठ मिलियन नेपाली हिंदी भाषा बोलते हैं। हालांकि, एक बड़ी आबादी द्वारा हिंदी बोली व अपनाए जाने के बावजूद, नेपाल में हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता नहीं है। सन 2016 में नेपाल के कुछ सांसदों ने हिंदी भाषा को एक राष्ट्रीय भाषा के रूप में शामिल करने की मांग की थी,जो आज तक पूरी नही हो पाई।
इसी तरह संयुक्त राज्य अमेरिका हिंदी भाषी लोगों के तीसरे सबसे बड़े समूह का देश है। लगभग 650, 000 लोग यहां हिंदी भाषा बोलते हैं, जो हिंदी को संयुक्त राज्य में 11वीं सबसे लोकप्रिय विदेशी भाषा बनाती है।
वहां अंग्रेजी भाषा के वर्चस्व के कारण हिंदी भाषा बोलने वाले अधिकतर हिंदी का प्रयोग अपने या दूसरे हिंदी भाषियों के घर पर करते हैं। संयुक्त राज्य में हिंदी के मूल वक्ता बहुत कम हैं, जिनमें से अधिकांश भारत के अप्रवासी हैं।
मॉरीशस के एक तिहाई लोग हिंदी भाषा बोलते हैं। वहां का संविधान राष्ट्रीय भाषा को स्पष्ट नहीं करता है, हालांकि वहां अंग्रेजी और फ्रेंच संसद की आधिकारिक भाषा हैं। अधिकांश मॉरीशस मूल भाषा के रूप में मॉरीशस क्रियोल बोलते हैं।फिर भी हिंदी वहां सिर चढ़कर बोली जाती है।
वहां हिंदी भारतीयों मजदूरों के फिजी में आगमन के साथ ही अस्तित्व में आई। फिजी में ये उत्तर पूर्वी भारत से आए, जहां अवधी, भोजपुरी और कुछ हद तक मगही बोलियां बोली जाती थीं। इन बोलियों को उर्दू के साथ जोड़ा गया, जिसके परिणामस्वरूप एक नई भाषा का निर्माण हुआ, जिसे शुरू में फिजी बाट के रूप में जाना जाता था।
हिंदी न्यूजीलैंड में चौथी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। दोनों देशों के बीच बढ़ते सांस्कृतिक संबंध हिंदी अपनाने की बड़ी वजह है।वही जर्मनी में तो कई दशकों से हीडलबर्ग, लीपजिग और बॉन सहित विश्वविद्यालयों और शहरों में हिंदी और संस्कृत पढ़ाई जा रही है।
हिंदी सेवी श्रीगोपाल नारसन का कहना है कि दुनिया मे एक भी देश ऐसा नही है जो पूरी तरह से हिंदी विहीन हो,यानि कम या अधिक हिंदी दुनिया के हर देश मे अपना अस्तित्व रखती है।