अपनी माटी के प्रति अगाध प्रेम रखते थे बहादुर जनरल रावत : त्रिवेंद्र

रैबार में पूरे 12 घंटे तक बैठकर पलायन पर किया था चिंतन

देहरादून। अपनी माटी के प्रति जनरल रावत अगाध प्रेम करते थे। उनके साथ हुए हादसे की जानकारी मिली तो मन बहुत दु्खी हुआ अंत तक उनके बचने की प्रार्थना करते रहे। यह कहना है पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का। रावत ने अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में जनरल रावत के साथ हुए करीब एक दर्जन मुलाकातों के अनुभव सदन में रखे।
उन्होंने कहा कि वे पहले भी एक हवाई दुर्घटना में बच गये थे और उन्हें उम्मीद थी कि इस बार भी वे मौत को मात दें देंगे, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। जनरल रावत को असाधारण सैनिक बताते हुए त्रिवेंद्र ने कहा कि उनका व्यक्तित्व भी विराट था। उन्होंने कहा कि कैंब्रियन हाल स्कूल ने जब उन्हें सेना प्रमुख रहते हुए आमंत्रित किया तो वे स्कूल की ड्रेस पहनकर वहां पहुंचे। रावत ने बताया कि डोकलाम में तनाव के दौरान दिल्ली बैठक हुई थी, जिसमें उन्होंने भी भाग लिया था।
उन्होंने कहा कि जब उन्होंने जनरल रावत से पूछा कि अब क्या होगा तो उन्होंने हाथ उठाकर कहा कि ठोकेंगे।
त्रिवेंद्र रावत ने रैबार कार्यक्रम में उनकी मौजूदगी के बारे में बताया कि वे इतने बड़े पद पर होने के बावजूद पूरे 12 घंटे कार्यक्रम में बैठे रहे। वे कहते थे कि हर उत्तराखंडी के पास दर्जन भर अखरोट के पेड़ हो जाएं तो उसकी रोजी रोटी चल जाएगी। इसके लिए उन्होंने इको बटालियनों में अखरोट की नर्सरी लगायी। अब तक इन नर्सरियों से 80 हजार से अधिक पेड़ बितरित किये जा चुके हैं। त्रिवेंद्र ने बताया कि कई वर्षों से सेना व सिविलियन की बैठक भी नहीं हो रही थी, उन्होंने सेना व सिविलियन के संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हम उनके जीते जी उनके गांव में रोड नहीं पहुंचा पाये, लेकिन अब वो रोड बन रही है।

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