रुड़की । वरिष्ठ साहित्यकार सुरेंद्र कुमार सैनी द्वारा रचित गजल संग्रह ‘बीत गया है जैसे युग’ का लोकार्पण नवसृजन साहित्यिक संस्था के तत्वाधान में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध साहित्यकार एवं शिक्षाविद डॉ योगेंद्र नाथ शर्मा ‘अरुण ‘ने की जबकि संचालन नीरज नैथानी व पंकज त्यागी ‘असीम’ द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।
मुख्य अतिथि के रूप में नई दिल्ली के सुविख्यात गजलकार तथा अमृत प्रकाशन के संस्थापक पंडित मंगल नसीम ने कहा कि जो पुस्तकों को जिंदा रखते है,पुस्तकें उन्हें हमेशा जिंदा रखती है।
उन्होंने गज़ल विधा की बारीकियों को रेखांकित करते हुए कहा कि साहित्यकार कभी नही लिखता बल्कि उससे कोई ऐसी परमशक्ति लिखवाती है जिसे हम परमात्मा कहते है।
अगर हमने उस लिखवाने वाले की आवाज को समझ लिया तो हमे बड़ा साहित्यकार बनने से कोई नही रोक सकता।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जाने माने साहित्यकार डॉ योगेंद्र नाथ शर्मा ‘अरुण विमोचित गज़ल संग्रह को संवेदनाओ का प्रतिबिंब बताया और एक गीत के माध्यम से सबको भावविभोर किया।
विशिष्ट अतिथि संयुक्त निदेशक विद्यालयी शिक्षा डॉ आनंद भारद्वाज ने पुस्तक के
प्रति समीक्षा विचार प्रकट किए, स्कॉलर्स एकेडमी के चेयरमैन श्याम सिंह नागयान
ने सुरेंद्र सैनी को गज़ल विधा में एक पारंगत गज़ल कार बताया।
साहित्यकार श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट ने कंगना रनोट को लेकर एक व्यंग्य
प्रस्तुत किया और उनके द्वारा आजादी को झुठलाने व उन्हें पद्मश्री देने पर कटाक्ष
किया।
शिक्षाविद डॉक्टर मधुराका सक्सेना ने भी पुस्तक केंद्रित अपने विचार व्यक्त किए
,माध्यमिक शिक्षक संघ उत्तराखंड के प्रदेश अध्यक्ष डॉ अनिल शर्मा तथा शिक्षाविद
सुबोध पुंडीर सरित ने अलग अलग अंदाज में गज़ल संग्रह को पठनीय बताया।
कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन के साथ हुआ।
कवियत्री अलका घनशाला ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। अतिथियों का स्वागत
माल्यार्पण कर, शाल ओढ़ाकर , बैज व मोमेंटो देकर किया गया।
नवसृजन साहित्यिक संस्था के महासचिव किसलय क्रांतिकारी ने स्वागत भाषण
दिया तो ग़ज़ल संग्रह ‘बीत गया है जैसे युग’ के गजलकार सुरेंद्र सैनी ने कहा कि
उन्होंने अपनी नितांत वैयक्तिक पीड़ा को शब्दों में ढालकर सात्विक अनुभूति रूप में
ये गजलें लिखी है ।
गजल संग्रह ‘बीत गया है जैसे युग’ साहित्य का एक ऐसा भाव महल है जो प्रेम की
पावन स्मृतियों को संजोकर साहित्य के काल पत्र पर सदा के लिए अंकित हो गया
है।
कार्यक्रम में जब धीरेंद्र कुमार सैनी द्वारा पुस्तक में प्रकाशित एक ग़ज़ल ‘अपनी खुशबू से एक फूल जुदा हूँ मैं तो / पंछी बेचारा एक पंख कटा हूँ मैं तो’ अपनी मधुर आवाज में सुनाई तो पूरा सदन भाव विभोर हो गया ।
वही सुरेंद्र सैनी ने जब एक ग़ज़ल ‘दर्द दिल में समा के देखेंगे/ जिंदगी यूं बिता के देखेंगे’ सुनाई तो उन्हें श्रोताओं का समर्थन मिला। लोकार्पण कार्यक्रम में कृष्ण सुकुमार, डॉ सम्राट सुधा, डॉ घनश्याम बादल, पंकज गर्ग ,किसलय क्रांतिकारी, सौ सिंह सैनी, राम शंकर सिंह, डीके वर्मा, नवीन शरण निश्चल, अलका घनशाला ,रामकुमार सैनी, केपी अनमोल, मनोज पांडे , आदि के साथ- साथ नगर के गणमान्य व्यक्ति सर्वश्री ताराचंद एडवोकेट ,समाजसेवी विकास त्यागी, सुभाष सरीन,समय सिंह सैनी ,करण पाल सिंह, धीरेंद्र कुमार सैनी, श्रीमती कमलेश सैनी, श्रीमती रश्मि त्यागी ,श्रीमती माधुरी नैथानी,मोहित सैनी, श्रीमती दीपिका सैनी, रणवीर सिंह रावत, देवांश सैनी, डॉक्टर संजीव सैनी, प्रियंका सैनी, राजीव ,कविता,श्रीमती पूजा, यादवेंद्र शरण व शशांक सैनी आदि काफी संख्या में लोग श्रोता के रूप में उपस्थित रहे। अंत में संस्था के कार्यक्रम प्रभारी नवीन शरण निश्चल ने आभार ज्ञापित किया।