परिसंपत्ति विवाद सुलझा लेने का सीएम धामी का दावा जुमला: गोदियाल
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सिर्फ बातें कर रहे हैं काम कुछ भी हो नहीं रहा है
देहरादून। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने परिसंपत्ति विवाद सुलझा लेने के धामी सरकार के दावे को जुमला बताते हुए पूछा है कि सरकार बताए कि विवाद सुलझा कहां है ।
गोदियाल ने कहा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आए दिन कुछ न कुछ कह रहे हैं, वे तो शुरू में 24 हजार लोगों को सरकारी नौकरिया भी दे रहे थे। पर आज बता दें उन्होंने कितनों अब तक नौकरिया बांटी। अभी तो उनकी सरकार विभागों से खाली पदों का ब्योरा ही मांग रही है।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि उन्हें उस दिन बहुत अच्छा लगा था जब मुख्यमंत्री धामी ने कहा था कि वे बातें कम और काम ज्यादा करेंगे लेकिन आज हो इसके ठीक उलटा रहा है, मुख्यमंत्री सिर्फ बातें कर रहे हैं काम कुछ हो नहीं रहा। गोदियाल ने कहा कि मुख्यमंत्री ने अगर 20 हजार करोड़ रुपये की परिसंपत्तियों का विवाद सुलझा दिया तो बताएं कि क्या-क्या सुलझा दिया है।
क्या हरिद्वार में उत्तराखंड सरकार ने अलकनंदा होटल ले लिया है और अगर हां तो उसका आदेश कहां है। क्या वहां जो नहर हैं, जो सिंचाई विभाग की परिसंपत्ति हैं वह उत्तराखंड को मिल गई ह। क्या चंपावत में जो सिंचाई विभाग के अंतर्गत जो उत्तराखंड में जो संपत्तियां हैं वह उत्तरप्रदेश को मिल गई हैं।
गोदियाल ने कहा कि चुनाव है इसीलिए भाजपा सरकार बेमतलब की बातें कर रही है। गोदियाल ने कहा कि भाजपा सरकार के दिखाने के दांत कुछ और हैं और खाने के दांत कुछ और। उप्र के पास उत्तराखंड के सिचाई विभाग के 13 हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि एवं 4 हजार से अधिक भवनों पर कब्जा है।
हरिद्वार के कुंभ मेला क्षेत्र जह कावड़ मेला भी लगता है वहां की 697 हेक्टेयर मेला भूमि पर उत्तर प्रदेश के सिचाई विभाग का कब्जा है जिसे लौटाने पर उप्र सिचाई विभाग साफ इंकार कर चूका है। उत्तराखंड आवास विकास की भूमि को लौटाने के बजाए उत्तर प्रदेश खुद उस भूमि का मालिक बने रहना चाहता है।
हरिद्वार-भीमगोडा बैराज, बनबसा लोहिया हैड बैराज, कालागढ़ का रामगंगा बैराज, अभी भी उत्तर प्रदेश के कब्जे में है। टिहरी बध के जिस हिस्से का मालिक उत्तराखंड को होना चाहिए था उत्तर प्रदेश अभी भी उसका मालिक बना हुआ है और एक हजार करोड सालाना राजस्व ले रहा है।
इतना ही नही 11 विभागों की भूमि भवन तथा उत्तराखण्ड की सीमा के अन्दर कई अन्य परिसम्पतियों पर उत्तर प्रदेश का कब्जा है। और तो और उत्तराखंड परिवहन विभाग की 70करोड की देनदारी उत्तर प्रदेश पर है जिस कारण उत्तराखंड परिवहन विभाग भारी कर्जे में डूबा हुआ है। आज अपने कर्मचारियों को तन्खवाह देने के लिए भी उत्तराखंड परिवहन विभाग को अपनी सम्पतियां बेचने को मजबूर होना पड रहा है।