नयी दिल्ली । चीन और पाकिस्तान की महत्वाकांक्षाओं को देखते हुए हमारे सशस्त्र बलों को हमेशा मुस्तैद रहने की जरूरत है।
प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने कहा है कि जब भी सशस्त्र बलो की अनदेखी की गयी है बाहरी ताकतों ने उस स्थिति का फायदा उठाया है।
जनरल रावत ने कहा कि चीन और पाकिस्तान की महत्वाकांक्षाओं को देखते हुए विवादित सीमाओं और तटीय क्षेत्रों में तैनात हमारे सशस्त्र बलों को पूरे वर्ष पूरी तरह मुस्तैद रहने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि इतिहास इस बात का गवाह है कि जब भी हमारे देश ने सशस्त्र बलों और उनकी क्षमता का नजरंदाज किया है बाहरी ताकतों ने बिना समय गंवाये इस स्थिति का फायदा उठाया है।
उन्होंने कहा कि हमने 1950 में उदासीनता दिखाई जिसका खामियाजा हमें 1962 उठाना पड़ा। हमें इन स्थितियों से सीखना होगा ।
पूर्वी लद्दाख में मौजूदा स्थिति में भारतीय सेना ने जिस तरह की दृढता दिखाई है उससे सीमा पर शांति स्थापित करने में मदद मिली है।
उन्होंने कहा कि सेना की मुस्तैदी के कारण पाकिस्तान को 1965, 1971 और 1999 में मुंह की खानी पड़ी है।
हमारी सेनाओं ने निर्वाचित सरकारों का सम्मान करते हुए अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन किया है और देश में राजनीतिक स्थिरता में योगदान दिया है।