तो राजनीति के आकाश में धुआं उठने लगा है, बहुगुणा ने की सीएम से मुलाकात

  • धामी से पहले हरक व काऊ से भी मिल चुके हैं बहुगुणा
  • कांग्रेस सरकार गिराने में प्रमुख चेहरा रहे थे पूर्व सीएम 
  • 2014 के बाद राज्य में बहुत अधिक नहीं दिखी सक्रियता 
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से बुधवार को मुख्यमंत्री आवास में पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने शिष्टाचार भेंट की। धामी ने बहुगुणा का गर्मजोशी से स्वागत किया।
बहुगुणा की उत्तराखंड में दिख रही सक्रियता से सियासी गलियारों में हलचल शुरू हो गयी है। उन्होंने कांग्रेस के आये अपने पुराने साथियों के साथ मुलाकात के बाद सीएम धामी से मुलाकात को इसके निहितार्थ निकालने शुरू हो गये।
धामी और बहुगुणा की मुलाकात को चला चली के दौर में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। एक दिन पहले ही बहुगुणा ने काबीना मंत्री डा. हरक सिंह रावत व रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ से भी मुलाकात की थी।
यशपाल आर्य व उनके बेटे संजीव आर्य के कांग्रेस में जाने के बाद प्रदेश की राजनीति में कई तरह के समीकरण उभर रहे हैं। इस अवधि में हरक सिंह रावत व उमेश शर्मा काऊ के साथ नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह की भी दो मुलाकातें हुई।
एक तो रावत के घर पर ही हुई और दूसरी मुलाकात कुछ दिन पहले हवाई जहाज में तब हुई जब तीनों नेता एक ही जहाज से दिल्ली गये। इसके साथ ही हरक सिंह रावत के द्वारा यह कहना भी राज्य की सियासत को गर्मा गया है कि इस सरकार के कार्यकाल में वह कुछ नहीं कर पाये।
यह भी सर्वविदित है कि रावत कांग्रेस सरकारों की तरह भाजपा के शासन में उतने फ्री हैंड नहीं रहे, जितना वे चाहते थे। शायद यही कारण रहा कि उन्होंने इस सरकार में खुद के द्वारा काम न कर पाने का दुखड़ा सार्वजनिक रूप से रोया।
उल्लेखनीय है कि राज्य की सियासत में विजय बहुगुणा खुद को फिट नहीं कर पा रहे। 2014 में मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद वे राज्य की राजनीति में सक्रिय नहीं रहे। वे सार्वजनिक कार्यक्रमों में भी यहां कम ही दिखे।
इसके बाद 2016 में जब हरीश रावत की सरकार के खिलाफ हुई बगावत में बहुगुणा की बड़ी भूमिका थी। उनके और हरक सिंह रावत की अगुवाई में यह बगावत हुई थी और उसके बाद प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगने व विधायकों की सदस्यता खत्म होने जैसे कठोर राजनीतिक निर्णय भी उस काल में हुए।
अब चूंकि इस बीच हरक सिंह रावत व हरीश रावत के बीच पांच साल बाद फोन पर बात शुरू हुई है तो राजनीति के आकाश में धुआं उठने लगा है। ऐसे में विजय बहुगुणा के उत्तराखंड में सक्रियता को कमतर नहीं आंका जा सकता है।

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