अल्मोड़ा। विश्व खाद्य दिवस के अवसर पर विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा के हवालबाग प्रक्षेत्र में पर्वतीय क्षेत्रों में पारंपरिक फसलों तथा जैवसुदृढ़ीकृत फसलों का खाद्य व पोषण सुरक्षा में महत्व विषय पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत वैज्ञानिक डा. आशीष कुमार सिंह द्वारा विश्व खाद्य संस्था की स्थापना व विश्व खाद्य दिवस के आयोजन की पृष्ठभूमि से संबंधित जानकार प्रदान करने से हुयी। उसके बाद संस्थान के वैज्ञानिक डा. महेन्द्र भिन्डा द्वारा पर्वतीय क्षेत्रों में पारंपरिक व क्षमतावान फसलों का खाद्य व पोषण सुरक्षा में महत्व व डा. राजेश खुल्बे द्वारा जैवसुदृढ़ीकृत फसलों का पोषण सुरक्षा में महत्व विषयों पर व्याख्यान दिये गये जिनमें वैज्ञानिकों द्वारा पारंपरिक फसलों तथा आधुनिक शोध तकनीकों से विकसित जैवसुदृढ़ीकृत फसलों के समायोजन से देश में खाद्य व पोषण सुरक्षा की चुनौतियों का सामना करने की दिशा में भाकृअनुप द्वारा किये जा रहे शोध प्रयासों की जानकारी साझा की गयी।
इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे संस्थान के निदेशक डॉ. लक्ष्मी कान्त ने विश्व खाद्य दिवस की महत्ता बताते हुये कुपोषण की समस्या से जूझने की दिशा में भारत सरकार व भाकृअनुप द्वारा विभिन्न अभियानों व परियोजनाओं के माध्यम से किये जा रहे प्रयासों तथा सम्मुख चुनौतियों के बारे में जानकारी दी गयी।
उन्होंने बताया गया कि भारतवर्ष ने खाद्यान्न उत्पादन में अभूतपूर्व प्रगति की है तथा वर्तमान मे ंहम कई जिन्सों का निर्यात भी कर रहे हैं। परन्तु अभी भी सभी को अनाज उपलब्ध करवाना एक चुनौती बना हुआ है। साथ ही वर्तमान समय की आवश्यकता है कि अब पोषण सुरक्षा को अधिक महत्व दिया जाये।
विशिष्ट अतिथि श्री गिरीश भट्ट, निदेशक (फसल विज्ञान), भाकृअनुप, नई दिल्ली, द्वारा पर्वतीय क्षेत्रों में खाद्य व पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा किये जा रहे प्रयासों की सराहना की गयी। कार्यक्रम का समन्वयन डा. आशीष कुमार सिंह एवं डा. राजेश खुल्बे द्वारा किया गया।