देहरादून। कांग्रेस में खुद को अपमानित करने होने के कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के आरोप का हरीश रावत ने करारा जवाब दिया है। पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत ने आज देहरादून कांग्रेस मुख्यालय में एक पत्रकार वार्ता में कहा कि कैप्टन को कांग्रेस में जितना सम्मान मिला शायद उनके समकालीन अन्य नेताओं को नहीं मिला होगा और वह खुद इसकी तुलना करेंगे तो उन्हें इस बात का अहसास हो जाएगा।
रावत ने कहा कि कैप्टन 19८0 से कांग्रेस की सक्रिय राजनीति में आये। अपने राजनीतिक कैरियर में वे कांग्रेस में ही नहीं बाहर भी रहे, लेकिन उन्होंने कभी भी सेकुलरिज्म को दरकिनार नहीं किया, लेकिन वह आज भाजपा व गृह मंत्री अमित शाह के साथ नजदीकियों का जो इजहार कर रहे हैं, उससे उनकी सेकुलर राजनेता की पूंजी पर प्रश्नचिह्न लगा है।
रावत ने कहा कि वे कह रहे हैं कि उन्हें अपमानित होने के बाद मुख्यमंत्री पद छोडऩा पड़ा, जबकि सच्चाई यह है कि कांग्रेस ने उन्हें तीन बार राज्य पंजाब पीसीसी का अध्यक्ष बनाने के साथ ही दो बार मुख्यमंत्री बनाया। इस तरह वे साढ़े नौ साल पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री रहे।
उन्होंने कहा कि कुछ ऐसी बातें थी, जिसे सरकार के मुखिया रहते हुए उन्हें निर्णय लेने थे, लेकिन वे बार-बार याद दिलाने के बाद भी पार्टी के उन वायदों से मुकर रहे थे। यही नहीं वे कोर्ट मेें सरकार के पक्ष को भी ठीक से नहीं रखवा पाये थे। रावत ने कहा कि कांग्रेस विधायक दल की बैठक को लेकर उनसे बात करनी थी, लेकिन तीन दिन तक उनसे सम्पर्क नहीं हो सका।
इसके बाद बैठक जब बैठक बुला ली गयी तो अमरेन्द्र ने इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा कि पंजाब के लिए 18 सूत्रीय एक्शन प्रोग्राम कैप्टन की सहमति से ही बना था। जब उस पर काम नहीं हुआ तो टीम के अन्य सदस्यों ने आपत्ति की। इसके बाद सोनिया गांधी को भी उनसे कहना पड़ा। उसके बाद वे स्वयं भी गये, लेकिन उन्होंने रिस्पांस नहीं दिया।