वाशिंगटन । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन के साथ अपनी पहली द्विपक्षीय बैठक में भारत-अमेरिका साझेदारी के प्रमुख स्तंभों को ‘फाइव-टी’ के रूप में रेखांकित किया। प्रधानमंत्री ने हिंदी में दिये अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि 2014 और 2016 में पिछली बैठकों में उन्हें विस्तार से चर्चा का मौका मिला था।
उन्होंने कहा , राष्ट्रपति महोदय, उस समय आपने भारत-अमेरिका संबंधों के लिए एक व्यापक और विस्तृत दृष्टिकोण रखा था और वह प्रेरणादायक दूरदर्शिता थी। आज राष्ट्रपति के रूप मे आप उस विजन को लागू करने के लिए सभी तरह से प्रयास और पहल कर रहे हैं।
द्विपक्षीय संबंधों के भविष्य के संदर्भ में श्री मोदी ने कहा , मैं जो देख रहा हूं वह 21वीं सदी का तीसरा दशक है और यह तीसरे दशक का पहला वर्ष है। जब मैं पूरे दशक को देखता हूं, तो मैं पाता हूं कि आपके नेतृत्व में भारत-अमेरिका संबंधों के विस्तार के लिए बीज बोये गये हैं। दुनिया के सभी लोकतांत्रिक देशों के लिए यह एक परिवर्तनकारी युग होने जा रहा है। मैं इसे बहुत स्पष्ट रूप से देख सकता हूं।
मोदी ने ट्रेडिशन (परंपरा) को उद्धृत करते हुए कहा , ‘लोकतांत्रिक परंपराओं और मूल्यों को लेकर दोनों देश प्रतिबद्ध हैं और जब मैं इस पर बात करता हूं, तो मुझे लगता है कि इनका का महत्व और बढ़ेगा।
टैलेंट (प्रतिभा) पर उन्होंने अमेरिका की प्रगति में योगदान देने वाले करीब 40 लाख भारतवंशी अमेरिकियों का जिक्र किया और कहा , जब मैं इस दशक के महत्व और भारतीय-अमेरिकियों की भूमिका को देखता हूं, तो मुझे लगता है कि लोगों की प्रतिभा आगे भी बड़ी भूमिका निभायेगी और इसमें आपका योगदान बहुत महत्वपूर्ण होने वाला है।
प्रधानमंत्री ने टैक्नालॉजी (प्रौद्योगिकी) का उल्लेख करते हुए कहा कि आज दुनिया में सबसे महत्वपूर्ण प्रेरक शक्ति प्रौद्योगिकी की होगी तथा प्रौद्योगिकी की यह ताकत सेवा और मानवता के उपयोग के लिए होगी। मुझे लगता है कि इसके लिए शानदार अवसर सामने आयेंगे।