विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा आयोजित कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम ‘सब्जियों की संरक्षित खेती‘ संपन्न

उन्नत खेती की पद्धति अपनाएं किसान : डॉ लक्ष्मी कान्त

अलमोड़ा। विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा के प्रयोगात्मक प्रक्षेत्र, हवालबाग में डी.बी.टी बायोटेक किसान परियोजना के अंतर्गत हैस्को, देहरादून के सहयोग से ‘सब्जियों की संरक्षित खेती‘ विषय पर 21 से 25 सितम्बर 2021 तक पाँच-दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में ऊधम सिंह नगर एवं हरिद्वार जिले के 3 गाँवों से आये हुए 21 प्रशिक्षु कृषक, जिनमें 09 पुरूष एवं 12 कृषक महिलाओं ने भाग लिया।
विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा आयोजित कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम ‘सब्जियों की संरक्षित खेती‘ संपन्नप्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान सब्जियों की संरक्षित खेती की वैज्ञानिक तकनीक से कृषकों को अवगत कराया गया। प्रशिक्षु कृषकों ने संस्थान के संग्रहालय, हाई टैक पाॅलीहाऊस, सब्जी प्रक्षेत्र एवं लघु कृषि यंत्रशाला का भ्रमण किया।

सब्जियों के उन्नत पौध उगाने के विभिन्न पहलुओं जैसे-मृदा सौंदर्यीकरण , भूमि तथा बीज शोधन, खाद उर्वरक प्रबंधन, क्यारी बनाने की विधियाँ, बीजों की बुवाई करने की नवीनतम तकनीकों पर विस्तृत जानकारी दी गई।

मटर, शिमला मिर्च, टमाटर व अन्य सब्जी फसलों की व्यवसायिक खेती के लिए संस्थान द्वारा विकसित कम लागत वाले पाली हाउस एवं वी. एल. पाली टनल का निर्माण एवं रखरखाव, संरक्षित खेती में रोग नियन्त्रण, कीट प्रबन्धन,पाॅलीहाउस में अच्छी पैदावार लेने के लिए आवश्यक है कि इसमें समय-समय पर उचित मात्रा में सिंचाई की व्यवस्था हो।

इसी को ध्यान में रखकर कम लागत में वर्षा जल संचयन, पाॅलीटैंक बनाकर उसे सूक्ष्म सिंचाई (बूँद-बूँद सिंचाई) पद्धति द्वारा पाॅलीहाउस से जोड़ने की विस्तृत जानकारी दी गई है। कृषकों को संस्थान के प्रक्षेत्र फार्म में चल रही विभिन्न फसलों का वैज्ञानिक विधि से उत्पादन को व्यवहारिक रुप से देखने का मौका मिला और संबंधित विशेषज्ञों ने ना केवल उनकी कई शंकाओं का निदान किया वरन् कई महत्वपूर्ण जानकारियां भी दी।

प्रशिक्षण के दौरान सब्जी तथा बीजोत्पादन में इस्तेमाल होने वाली अभियांत्रिकी तथा मशीनरी से भी कृषकों‌ को अवगत कराया गया। सब्जियों की खेती के क्षेत्र में अग्रणी भगरत¨ला गाँव का एक दिवसीय भ्रमण भी कराया गया जहाँ प्रशिक्षु कृषकों ने विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा के सहयोग से संरक्षित खेती कर रहे प्रगतिशील किसानों से व्यवहारिक जानकारी प्राप्त की।

साथ ही विभिन्न सब्जी फसलें जैसे की मटर, शिमला मिर्च, टमाटर इत्यादि के बीज उत्पादन की विधियाँ कृषकों के साथ साझा की गई। विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा किसानों की सहभागिता से होने वाले प्रमाणित बीज का उत्पादन पहले से ही सितारगंज और बैलपड़ाव के कुछ गांवों में कर रहा है, इस संबंध में प्रशिक्षु कृषकों को देश में चल रहे विभिन्न सहभागिता बीज कार्यक्रमों के लाभ से अवगत कराया गया तथा इन कार्यक्रमों से जुड़कर लाभ कमाने के लिए आव्हान किया गया। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली में कार्यरत प्रधान वैज्ञानिक डाॅ0 अवनी कुमार सिंह ने आनलाइन माध्यम से कृषक आयवृद्धि के लिए पाली हाउस मे बागवानी फसलों का उत्पादन विषय पर महत्वपूर्ण व्याख्यान दिया।
संस्थान के निदेशक डाॅ. लक्ष्मी कान्त ने कृषकों से संरक्षित कृषि में उन्नत एवं वैज्ञानिक विधि को अपनाकर अपनी आय तथा क्षेत्रों की उत्पादकता एवं उत्पादन बढ़ाने का आह्वान किया। इसके अतिरिक्त उन्होंने संस्थान द्वारा पर्वतीय कृषि को नयी ऊँचाइयों तक पहुँचाने के लिये किये गये महत्वपूर्ण शोध कार्यों की जानकारी विस्तारपूर्वक दी।
कार्यक्रम के अन्त में कृषकों से प्रशिक्षण तथा उनकी समस्याओं के विषय में खुला विचार-विमर्श हुआ तथा कृषकों की प्रतिक्रिया भी ली गयी। प्रशिक्षण सफलतापूर्वक सम्पन्न करने वाले कृषकों को संस्थान के निदेशक द्वारा प्रमाण-पत्र एवं प्रशिक्षण से संबंधित प्रशिक्षण पुस्तिका वितरित किये गये।

कृषक दल का नेतृत्व कर रहे हैस्को, देहरादून से जुड़े रंजना कुकरेती शर्मा, सुनिल चमोली व अमन संस्था से जुडे रघु तिवारी ने सब्जियों की संरक्षित खेती विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम को शिक्षाप्रद, सूचनात्मक व कृषकों के लिये बहुत उपयोगी बताया।
कार्यक्रम का समन्वयन डाॅ. रेनू जेठी एवं डाॅ. राकेश भौमिक द्वारा की गया। प्रशिक्षण में संस्थान के निदेशक डाॅ. लक्ष्मी कान्त, विभिन्न वैज्ञानिकों- डा. एन के हेडाऊ, डा. शेर सिंह, डा. जितेन्द्र कुमार, ई. श्यामनाथ, डा. राहुल देव, डा. जीवन बी, श्री अमित उमेश पशचापुर, डा. आशीष कुमार सिंह, डा. देवेंद्र शर्मा ने विशेषज्ञ के तौर पर भाग लिया तथा तकनीकी अधिकारियों मनोज भट्ट, डी. सी मिश्रा तथा देवेन्द्र कार्की ने सहयोग दिया।

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