बागेश्वर । अपर सत्र न्यायाधीश कुलदीप शर्मा ने एक मामले में तत्कालीन पटवारी समेत पांच अन्य पर धारा 320 के तहत अपराध सिद्ध पाते हुए आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया है साथ ही दस हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है।
घटनाक्रम के अनुसार रिखाडी निवासी खीला देवी पत्नी राजू राम ने पांच जनवरी 2005 को कपकोट के तहसीलदार, कानूनगो कपकोट के यहां प्राथमिकी दर्ज की थी। जिसमें कहा कि उसके पति राजू राम को क्षेत्रीय पटवारी पप्पू लाल, चपरासी गोविंद सिंह समेत पतिया सार के चपरासी बलवंत सिंह, होमगार्ड लछम राम, नारायण राम, पूरन चंद्र, गोविंद प्रसाद, बाला सिंह घर से उठाकर ले गए तथा घर में ही लात घूसों व डंडे से पिटाई की।
जब परिवारजनों ने इसका विरोध किया तो उन्हें भी डंडा दिखाकर किनारे किया। उन्होंने कहा कि अत्यधिक पिटाई से उसके पति राजू राम की मौत हो गई। प्राथमिकी के अनुसार पप्पू लाल पुत्र बहादुर राम निवासी भोलना नागर, गोविंद सिंह पुत्र बहादुर सिंह निवासी गिर चोला, लछम राम पुत्र चंचल राम निवासी रिखाडी, नारायण राम पत्र शेर राम, निवासी ओं खलधार, पूरन चंद्र पुत्र बहादुर राम निवासी कपकोट मल्लादेश व गोविंद प्रसाद पुत्र चंद्र राम निवासी बिखातीगांव व बाला सिंह पुत्र त्रिलोक सिंह निवासी फरसाली के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। मामले की विवेचना राजस्व पुलिस से हटाकर रेगुलर पुलिस व बाद में सीबीसीआईडी को सौंपी गई। सीबीसीआईडी ने जांच के बाद अदालत में आरोप पत्र प्रस्तुत किया।
28 फरवरी 2008 को पूर्व में सत्र न्यायाधीश ने आरोपियों को दोष मुक्त कर दिया। जिस पर वादिनी ने दोषमुक्त निर्णय के विरुद्ध उच्च न्यायालय नैनीताल में परीक्षण किया गया। उच्च न्यायालय के नौ जुलाई 2020 के आदेश पर अपर सत्र न्यायाधीश ने मामले की सुनवाई पुन: की।
दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं व गवाहों के साक्ष्य के आधार पर अपर जिला सत्र न्यायाधीश ने मामले में तत्कालीन पटवारी पटवारी समेत पांच अन्य अभियुक्तों को दोषी पाते हुए आजीवन कारावास व दस हजार के अर्थदंड से दंडित किया। जबकि एक आरोपी बाला सिंह की मृत्यु हो चुकी है।
मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से कुल 13 गवाह परीक्षित करवाए गए। मामले की पैरवी जिला शासकीय अधिवक्ता गोविंद बल्लभ उपाध्याय व अपर जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी चंचल सिंह पपोला ने की।