देहरादून। कांग्रेस की गढ़वाल मीडिया प्रभारी गरिमा मेहरा दसौनी ने सामने आ रहे भाजपा के अंतर कलह के लिए भाजपा को ही जिम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि जो दूसरों के लिए गड्ढा खोदते है वे खुद उसी में गिरते हैं। दसौनी ने कहा कि चुने हुए जनप्रतिनिधियों को प्रलोभन या धमकियां देकर शामिल करने सिलसिला नहीं रुका तो जनता आने वाले चुनाव में उसे सबक सिखाएगी।
भाजपा ने 2016 में जैसा बोया था अब उसे ही काट रहे हैं
कांग्रेस नेत्री ने कहा कि भाजपा ने 2016 में जैसा बोया था अब उसे ही काट रहे हैं। 2016 में लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई कांग्रेस सरकार को तोड$ फोड$ करके भाजपा ने अस्थिर किया था। इसी का नतीजा है कि भाजपा अपने ही दल में सिर फुटव्वल से जूझ रही है। दसौनी ने कहा कि आज हर विधानसभा में भाजपा के नेता और कार्यकर्ता असंतुष्ट और आपस मे उलझते हुए दिखाई पड़ रहे हैं। आज जो कुछ भी रायपुर,
धर्मपुर व ऋषिकेश में नूरा कुश्ती दिख रही है वह भाजपा की कुनीतियों का ही नतीजा है। अपने कार्यकर्ताओं की अनदेखी करके जिस भाजपा ने दूसरे दलों से लाए हुए लोगों को महत्वपूर्ण पद देकर अपने जमीनी कार्यकर्ता का अपमान किया उससे यह बात बहुत पहले से ही तय थी कि भाजपा के अंदर एक लावा खौल रहा है, जो देर सबेर विस्फोटक स्थिति लेगा। आज उसी की परिणति है कि भाजपा में आपसी समन्वय की भारी कमी दिखाई पड़ रही।
दसौनी ने कहा कि असंतोष ही मुख्य कारण रहा कि भाजपा को पिछले पौने पांच सालों में प्रचंड बहुमत के बावजूद उत्तराखंड में तीन मुख्यमंत्री, तीन प्रदेश अध्यक्ष और दो राज्यपाल बदलने पड़े। उन्होंने कहा कि सरकार का 60 पार का नारा ही भाजपा के लिए गले की फांस बन गया है।
उन्होंने कहा है कि भाजपा जिस तरह से आनन-फानन में कभी यूकेडी कभी निर्दलीय विधायक लेने के लिए और कभी कांग्रेस के विधायकों को तोड$ रही है उससे तो यही प्रतीत होता है कि भाजपा की जेब में 35 विधायकों का ही सौदा नहीं है।
अपनी 3 फीसद सेटिंग विधायकों का टिकट काटने की बात तो भाजपा के दिग्गज नेता कह ही चुके हैं ऐसे में यदि भाजपा के पास पर्याप्त जिताऊ और टिकाऊ विधायक होते तो उसे इस तरह से दूसरे दलों में हाथ पांव मारने की जरूरत नहीं पड़ती। अनुशासन और शुचिता की बात करने वाली भाजपा के अनुशासन की धज्जियां सरेबाजार उड़ रही हैं। भाजपा यदि अब भी नहीं चेती तो पूरे देश में भाजपा का अंतर कलह और विकराल रूप लेगा।
दसौनी ने कहा कि भाजपा ने सदैव लोकतंत्र और संविधान का मजाक उड़ाया उसकी हत्या करने का प्रयास किया जनता के द्वारा चुने हुए जनप्रतिनिधियों को खरीद फरोख्त करके प्रलोभन देकर या फिर धमकियां देकर अपने दल में शामिल करने का अगर यह सिलसिला नहीं रुका तो जनता आने वाले चुनाव में अच्छा सबक सिखाएगी।
सही है