प्रीतम राज में बाहर हुए कांग्रेसियों को वापस लाएंगे गोदियाल
हरीश रावत के कई करीबी हो गये थे बाहर,चार सदस्यीय कमेटी तैयार करेगी घर वापसी का रूट
देहरादून। प्रीतम सिंह कार्यकाल में पार्टी से निकाले गये कांग्रेस
जनों की वापसी की कोशिशें शुरू हो गयी हैं। इसके लिए एक
चार सदस्यीय कमेटी बना दी गयी है, कमेटी इन लोंगो का पक्ष
जानने के बाद पार्टी में इनकी वापसी करेगी।
पार्टी से निकाले जाने वालों में हल्द्वानी के प्रभावशाली नेता खजान
पांडे के साथ ही यहां देहरादून में एससी प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष
दर्शन लाल सहित कई लोग शामिल हैं। ये सभी कांग्रेस की
गुटबाजी के शिकार हुए थे। इनमें से ज्यादातर लोग हरीश रावत व
इंदिरा हृदयेश के झगड़े के चलते निकाले गये थे। खजान पांडे
हरीश रावत के बहुत ही करीबी और भरोसेमंद माने जाते हैं।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल नेपूर्व में विभिन्न कारणों से
पार्टी से निष्कासित कांग्रेसजनों की पार्टी में वापसी के लिए यह
पहल की है। वरिष्ठ नेता हरीश कुमार सिंह की अध्यक्षता में 4
सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। प्रदेश महामंत्री गोविन्द
सिंह बिष्ट, प्रदेश सचिव शांन्ति प्रसाद भट्ट एवं विजय सिजवाली
कमेटी के सदस्य हैं। उपरोक्त जानकारी देते हुए कांग्रेस महामंत्री
संगठन मथुरादत्त जोशी ने बताया कि गोदियाल ने पूर्व में विभिन्न
कारणों से पार्टी से निष्कासित कांग्रेसजनों के आवेदन पर विचार
के बाद इस कमेटी का गठन किया है। कमेटी को 15 दिन में
अपनी आख्या प्रदेश कांग्रेस कमेटी को सौंपने के निर्देश दिये हैं।
मथुरादत्त जोशी ने कहा कि पार्टी में लम्बे समय तक संगठन की सेवा करने वाले ऐसे लोगों जो कतिपय कारणों से पार्टी से निष्कासित किये गये हैं तथा उन्होंने किसी अन्य दल की सदस्यता नहीं ली है। कांग्रेस की कोशिश है कि उनकी घर वापसी पर पार्टी स्तर पर विचार किया जायेगा। उन्होंने यह भी कहा कि कई वरिष्ठ कांग्रेसजनों जो पार्टी में लम्बे समय से रहे हैं ने प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल जी से व्यक्तिगत सम्पर्क कर पार्टी की सदस्यता ग्रहण करने की इच्छा व्यक्त की है। ऐसे लोगों के आवेदनों पर कमेटी विचार करेगी तथा गुणदोष के आधार पर विस्तृत छानबीन के उपरान्त वरिष्ठ कांग्रेसजनों से विचार-विमर्श के उपरान्त प्रदेश नेतृत्व को सौंपेगी जिस पर अंतिम फैसला पार्टी नेतृत्व द्वारा लिया जायेगा। फिलहाल कांग्रेस ने अपने पुराने साथियों से भी कुनबा बढ़ाने का निर्णय चुनावी साल में जो लिया है वह निश्चित रूप से पार्टी को फायदेमंद होगा।