पटना : राजनीति में धोखा खाने के बाद बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने साधु का चोला पहन लिया है। पांडेय ने कथा प्रवाचक की भूमिका को अपनाया है।इस नए रूप की काफी तारीफ भी मिल रही है। वैसे मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि राजनीति में फेल हो गये। राजनेता बनने की योग्यता उनमें नहीं है। इसके लिए उंची योग्यता और कई तरह का गुण चाहिए जो हमने नहीं है।
मुख्यमंत्री ने स्वयं ही इस डीजीपी को बक्सर विधानसभा सीट से पार्टी का टिकट देने का वादा बन्द कमरे में किया था।भरोसा करके श्री पांडेय पद पर रहते हुए सरकार के शराबबंदी सहित अन्य मुद्दों पर अपने भाषणों से पार्टी को काफी प्रचार व सीएम का गुणगान किया।
आश्वासन के बाद जब अपनी सेवा निवृत्ति के 6 माह पहले ही इस्तीफा देकर पार्टी में शामिल हुए तो मिला ठेंगा। टिकट काटने वालों में एक ललन सिंह का नाम सर्वाधिक लिया जाता है । कई मंत्रियों और आरसीपी के दबाव के कारण मुख्यमंत्री इनको टिकट नहीं दे पाए । इसकी हंसी मजाक , जग हंसाई भी जमकर हुई थी।
भगवान की शरण में पांडेय
इसी बीच राजनीति से ठुकराए जाने के बाद सीधे अयोध्या आ गए और भगवान की शरण ले ली। यहीं पर साधु-संतों के कहने पर कि आप बहुत विद्वान आदमी है । वेदों का ग्रंथों का अध्ययन आपने किया है। इसलिए आप प्रवचन करें। स्थानीय साधुओं के आग्रह पर पुर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने यह फैसला ले लिया। उनके करीबियों का कहना है कि ठगों ,लुटेरों और मायावी लोगों की राजनीतिक दुनिया में इस भावुक व्यक्ति का कोई स्थान नहीं था। इसलिए उन्होंने सही रास्ता अब अपनाया है।
भगवान के अलावे किसी चीज में रूचि नहीं:पूर्व डीजीपी
अब उनके कथा को सुनने के लिए ठीक-ठाक भीड़ भी हो जा रही है। पूर्व डीजीपी, नेता और अब कथावाचक के अवतार में दिख रहे गुप्तेश्वर पांडेय को अब भगवान के अलावे किसी चीज में रूचि भी नहीं रह गई है। कहते हैं कि अब उन्हें सांसारिक बातों में रूचि नहीं। पूर्व डीजीपी ने कहा कि मैं राजनीति में फेल हो गया। खाकी को समय से पहले त्याग कर खादी और अब गेरूआ वस्त्र धारण करने की तस्वीर सामने आने के बाद पूर्व डीजीपी की खूब हंसी हो रही है।