देहरादून।पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद मेनका गांधी ने मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को पत्र लिखा है। पत्र से प्रदेश की राजनीति में हंगामा तो मचेगा ही साथ ही साथ कई सवाल भी खड़े हो जाएंगे । नैनीताल जिले के बैलपड़ाव और उधमसिंह नगर के बाजपुर में माइग्रेटरी बर्ड कम्युनिटी रिजर्व बनाने का आदेश हुआ है। सरकार की कोशिश है कि दोनों स्थानों पर ऐसी झील बने जहां प्रवासी पक्षी आ सकेंगे और इन्हें पर्यटन स्थल के रूप में भी भविष्य में आगे बढ़ाया जाए लेकिन पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी सरकार के इस प्रोजेक्ट पर सवाल खड़े कर रही है मेनका गांधी का कहना है कि सरकार जिस तरह से इस प्रोजेक्ट के बारे में सोचती है उसका होना संभव नहीं है।
मेनका का कहना है कि माइग्रेटरी बर्ड ऐसे नहीं आती है और यह सारा खेल खनन माफियाओं को फायदा पहुंचाने के लिए किया जा रहा है। ऐसा करने से आसपास के क्षेत्रों में वन्य जंतुओ का जीवन प्रभावित होगा। कुल मिलाकर यह पूरा मामला नेता, अफसर और खनन माफियाओं का गठजोड़ प्रतीत हो रहा है।
आपको बता दे कि यह मामला त्रिवेंद्र रावत सरकार के समय का है, बैलपड़ाव और बाजपुर में माइग्रेटरी बर्ड कम्युनिटी रिजर्व का निर्माण किया जाय। सात अगस्त 2020 को इस कार्य का शासनादेश जारी किया गया। लेकिन इसके बाद सांसद मेनका गांधी ने 26 अक्टूबर को तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को पत्र लिखकर पूछा कि क्या इन दोनों स्थानों पर माइग्रेटेड पक्षियों का आना जाना है?
यदि आते हैं तो कौन कौन से माइग्रेटड पक्षी यहां आते हैं? कृत्रिम जल निकाय बनाकर पारिस्थितिकी तंत्र तैयार होने में सालों लग जाते हैं, जिन स्थानों पर माइग्रेटरी बर्ड कम्युनिटी रिजर्व बनाने का फैसला लिया गया है वो खनन माफियाओं द्वारा तैयार कराया गया है। मेनका के इस पत्र का कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला और अभी तक शासनादेश भी वापस नहीं हुआ। इसी दौरान उत्तराखंड में सत्ता परिवर्तन अभियान शुरू हो रहा था तो ये मामला बीच में कहीं छूट गया। हालांकि एक बार फिर मेनका की चिट्ठी उत्तराखंड पहुंची है जिससे प्रदेश की नौकरशाही में हंगामा मचा है।