नैनीताल। हाई कोर्ट ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक पर पुस्तकालय निर्माण में भ्रष्टाचार के आरोप लगाती जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने इसमें कौशिक, विभागीय इंजीनियर रामजी लाल व अन्य पक्षकारों को नोटिस जारी कर आपत्ति दाखिल करने का निर्देश दिया।
अगली सुनवाई 30 जून को होगी। इस मामले को हरिद्वार निवासी सचिदानंद डबराल की ओर से चुनौती दी गयी है और जनहित याचिका पर सुनवाई मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ में हुई। प्रकरण भाजपा के तत्कालीन विधायक एवं पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के कार्यकाल से जुड़ा हुआ है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि हरिद्वार में 2006 से 2011 के बीच 41.70 लाख रुपये की लागत से विधायक निधि से 12 लाइब्रेरी भवनों का निर्माण होना था।
ग्रामीण विकास विभाग को निर्माण एजेंसी बनाया गया। इसके लिये धन भी अवमुक्त कर दिया गया लेकिन आरोप लगाया गया कि निर्माण एजेंसी की ओर से अनियमिततायें बरती गयीं हैं। जिस निजी भूमि पर लाइब्रेरी भवनों का निर्माण किया गया उसे हस्तांतरित नहीं किया गया और न ही भवनों को कब्जे में लिया गया।
याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि 2012 में लोकायुक्त की सिफारिश पर हुई जांच में इसमें अनियमितता की पुष्टि हुई है और 03 जुलाई 2012 को सौंपी गयी जांच रिपोर्ट में लाइब्रेरी भवनों के निर्माण में मानकों का पालन नहीं करने की बात कही गयी है। इसके बाद लोकायुक्त की ओर से दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गयी। याचिका में कहा गया है कि अनियमितता की शिकायत पर हरिद्वार के तत्कालीन जिलाधिकारी आर मीनाक्षी सुंदरम की ओर से मामले की जांच ग्रामीण विकास विभाग के अधिशासी इंजीनियर से करायी गयी जिसमें क्लीन चिट दे दी गयी थी।