हरीश को बनाया जा सकता है तारणहार, प्रीतम को नेता प्रतिपक्ष
किशोर फिर बन सकते हैं पीसीसी प्रमुख, कुंजवाल का भी नाम चला
हल्द्वानी। ठीक चुनावी साल में नेता प्रतिपक्ष डा. इंदिरा हृदयेश के अनंत की यात्रा के लिए चले जाने से कांग्रेस के भीतर नए नेता प्रतिपक्ष की खोज के साथ ही कई समीकरण बदलने जा रहे हैं। सत्ता वापसी के लिए कांग्रेस का आलाकमान नए तारणहार के साथ ही पीसीसी प्रमुख में बदलाव कर सकती है। कांग्रेस उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार पीसीसी प्रमुख प्रीतम सिंह की को नई जिम्मेदारी दिए जाने और नए पीसीसी प्रमुख के लिए हाईकमान के स्तर पर गहन मंथन शुरू हा गया है।
नए सिरे से चुनावी रणनीति पर विचार कर रहा है कांग्रेस हाईकमान
मंगलवार को दिल्ली, देहरादून और हल्द्वानी से मिल रही खबरों के अनुसार ठीक चुनाव तैयारी के बीच इंदिरा हृदयेश के चले जाने के बाद अब कांग्रेस हाईकमान नए सिरे से चुनावी रणनीति पर विचार कर रहा है। चूंकि दिल्ली बैठक में कांग्रेस दिग्गजों ने सामूहिक नेतृत्व या किसी नेता को सीएम का चेहरा घोषित किए जाने पर मंथन किया। बंद कमरें में चली बैठक में किसी एक फार्मूले पर सहमति नहीं बन पायी थीं, जबकि मीडिया में नेता प्रतिपक्ष ने बैठक में सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लडऩे का फैसला किए जाने की जानकारी दी थीं, जबकि बैठक में इस मामले में एक सप्ताह बाद फिर से मंथन पर जोर दिया गया था।
पार्टी शीर्ष नेतृत्व पीसीसी में बदलाव की पक्षधर है
इस बात की पुष्टि पूर्व सीएम हरीश रावत के मंगलवार को इंदिरा हृयदेश के बारे में किए गए एक मार्मिक एवं भावनात्मक ट्वीट में कहा है कि बैठक के बाद मीडिया के सवालों के जवाब में प्रदेश प्रभारी के बताने से पहले ही नेताप्रतिपक्ष ने सामूहिक नेतृत्व का फैसला लिए जाने की बात की है, जबकि अभी इस पर कुछ भी फैसला नहीं हुआ है। रावत के इस ट्वीट के बाद साफ हो गया है कि कांग्रेस के भीतर अभी सीएम का चेहरा घोषित करने या सामूहिक चुनाव के लिए कोई फैसला नहीं हुआ है। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार पार्टी शीर्ष नेतृत्व पीसीसी में बदलाव की पक्षधर है। इस स्थिति में एक बार फिर से पूर्व पीसीसी प्रमुख किशोर उपाध्याय को जिम्मेदारी दी जा सकती है। इस स्थिति में पीसीसी प्रमुख प्रीतम सिंह को नेता प्रतिपक्ष या फिर राष्ट्रीय स्तर पर नई जिम्मेदारी दी जा सकती है।
नेता प्रतिपक्ष के लिए विधायक दल की होगी बैठक
सूत्रों के अनुसार 2017 के विस चुनाव के बाद अधिकतर विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल को नेता प्रतिपक्ष बनाने के पक्ष में थे,लेकिन ठीक समय पर कुंजवाल ने नेता प्रतिपक्ष के लिए इंदिरा हृदयेश का नाम आगे कर दिया था। उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष के लिए इंदिरा ने उनसे समर्थन मांगा था और उन्होंने उनके अनुरोध को स्वीकार किया था। उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष के लिए विधायक दल की बैठक होगी और एक लाइन का प्रस्ताव केंद्रीय संंसदीय बोर्ड को भेजा जाएगा, वहीं से इस पर मुहर लगेगी। उन्होंने कहा कि 2017 में उन्होंने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया था, लेकिन अब वे पार्टी का जो भी निर्णय होगा, उसे स्वीकार करेंगे। उन्होंने कहा कि अब पद की नहीं कांग्रेस की सत्ता में वापसी के लिए काम करना है।
समीकरण 1 : पूर्व सीएम हरीश रावत पिछले दो साल से विस चुनाव में सीएम का चेहरा घोषित करने की मांग कर रहे हैं। यह मांग तार्किक भी लगती है। दिल्ली बैठक में इस पर अगली बैठक में फैसला होना था। बदली स्थिति में भी रावत इस परअडिग हैं। बताया जा रहा है कि कांग्रेस हाईकमान हरीश रावत को चुनाव संचालन समिति का चेयमैंन बनाकर सीधा संकेत दे सकता है। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार रावत केवल चुनाव लड़ाने का काम करेंगे, वे चुनाव नहीं लड़ेंगे। बाद में सत्ता मिलने पर विधायक दल एक राय से सीएम पद पर हरीश रावत का नाम घोषित कर देगा। तब रावत किसी एक सीट से चुनाव लड़ेंगे।
समीकरण 2: कांग्रेस आलाकमान सल्ट के चुनाव नतीजे के बाद पीसीसी में बदलाव चाहता था। अब बदली परिस्थिति में यह बदलाव तय लग रहा है। इस स्थिति में पीसीसी प्रमुख प्रीतम सिंह को नेता प्रतिपक्ष देकर नई राजनीतिक जिम्मेदारी दी जा सकती है। यह भी सुनने में आ रहा है कि इस समीकरण में फिय न होने पर प्रीतम को राष्ट्रीय स्तर पर कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जा सकती है।
समीकरण 3: नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह को देने के बाद पीसीसी प्रमुख के लिए कांग्रेस को कोई दमदार एवं सर्व स्वीकार्य ब्राह्मण चेहरे की जरुरत है। इसमें पूर्व पीसीसी प्रमुख किशोर उपाध्याय खरे उतर सकते हैं। वे दिल्ली दरबार के भी करीबी हैं और पूरे राज्य में हरेक कार्यकर्ता तक पहुंच भी है। इन दिनों पूर्व सीएम हरीश रावत के साथ संबंध भी ठीक हो गए हैं। ऐसे में कांग्रेस की सत्ता वापसी की राह आसान हो सकती है।
समीकरण 4: पीसीसी में किसी तरह का बदलाव न करने पर गोविंद सिंह कुंजवाल को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी दी जा सकती है। कुंजवाल सर्वमान्य और सर्व स्वीकार्य नेता हैं। इस स्थिति में कांग्रेस के सामने ब्राह्मण वोटों को अपनी और खींचने की दिक्कत होने वाली है। चूंकि भाजपा जातीय आधार पर कांग्रेस को पूरी तरह से घेर देगी। इससे बचने के लिए कांग्रेस को एक अदद नेता प्रतिपक्ष के लायक ब्राह्मण विधायक की दरकार है।
समीकरण 5 : कांग्रेस नए बदलाव में रानीखेत विधायक करन मेहरा को भी नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी दे सकती है, लेकिन जातीय समीकरण में वे इस समय फिट नहीं बैठ रहे हैं। पीसीसी में बदलाव पर करन मेहरा की जगह भगवानपुर से कांग्रेस विधायक ममता राकेश को उप नेता बना जा सकता है। इससे कांग्रेस का सत्ता वापसी के लिए जातीय, क्षेत्रीय समीकरण फिट बैठ सकते हैं।
अभी इंदिरा जी को गुजरे पांच दिन ही हुए हैं। इस तरह की उनको कोई जानकारी नहीं है। हां अगर हाईकमान कोई फैसला लेता है तो वह शिरोधार्य है। कांग्रेस की सत्ता वापसी के लिए जल्दी ही दिल्ली में बैठक होगी। इस बैठक में बदली परिस्थितियों पर फैसला होगा। नेता प्रतिपक्ष के लिए अभी तक हाईकमान का कोई आदेश नहीं मिला है।
प्रीतम सिंह, पीसीसी प्रमुख उत्तराखंड