आर्थिक मदद या ब्याज सहित ऋण देने का शपथपत्र पेश करने का निर्देश
अधिवक्ता आर्थिक तंगी और तनाव झेल रहा है, सरकार देख भी नहीं रही है:हाईकोर्ट
- कर्नाटक, तेलांगना और राजस्थान सरकार ने की है व्यवस्था, उत्तराखंड सरकार खामोश
नैनीताल । नैनीताल उच्च न्यायालय ने कोरोनाकाल में वैश्विक महामारी पीडि़त अधिवक्ताओं की आर्थिक मदद या ब्याज रहित ऋण दिलाए जाने के मामले में राज्य सरकार का जबाब तलब किया है। न्यायालय ने यह जवाब 11 जून तक स्पस्ट शपथपत्र में पेश करने का निर्देश दिए है। न्यायालय ने सरकार की निक्रियता पर सवाल खड़े करते हुए नाराजगी भी व्यक्त की है।
न्यायालय ने कहा है कि अधिवक्ता बुद्धिजीवी एवं समाज का आधार स्तम्भ है। यह वर्ग आर्थिक तंगी व मानसिक तनाव झेल रहा है और सरकार इनकी मदद के लिए देख भी नही रही है।यह तल्ख टिप्पणी शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की संयुक्त खंडपीठ ने अधिवक्ता चन्द्रशेखर जोशी एवं अमित वर्मा की जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए की।
न्यायालय ने कहा कि इस महामारी में कर्नाटक, तेलांगना और राजस्थान सरकार ने अपने अधिवक्ताओ की मदद के लिए 10 से 25 करोड़ रुपये तक की आर्थिक मदद की व्यवस्था की है। इसके विपरीत उत्तराखंड राज्य सरकारअनदेखा कर रही है। इस जनहित याचिका याचिका में दोनों अधिवक्ताओं ने कहा है कि पिछले डेढ़ साल से विधि व्यवसाय कर रहे अधिवक्ता बुरी तरह से प्रभावित हैं।
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उनका विधि व्यवसाय कोरोना महामारी के पूरी तरह से प्रभावित हो चुका है। इसके फलस्वरुप अधिवक्ताओं के सामने रोजी रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है। याचिकर्ताओ का यह भी कहना है कि नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत जरूरत मंद अधिवक्ताओं को राज्य सरकार व्याज रहित ऋण या आर्थिक सहायता दे सकती है। याचिकाकर्ताओं ने न्यायालय से दिलाने का अनुरोध किया है।
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