नयी दिल्ली। कोरोना के बीच देश में ब्लैक फंगल का कहर नई मसीबत बनकर सामने आया है। स्वास्थ्य मंत्रालय का ने कहा कि ब्लैक फंगस संक्रामक बीमारी नहीं है ।इम्यूनिटी की कमी के कारण ब्लैक फंगस हो रहा है । एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा कि इम्यूनिटी की कमी के कारण ब्लैक फंगस होता है।
यह साइनस, राइनो आर्बिटल और ब्रेन पर असर करता है। छोटी आत में भी देखा गया है। संदीप गुलेरिया ने यह भी कहा कि इसे अलग-अलग रंगों से पहचान देना गलत है। उन्होंने कहा कि साफ-सफाई का ध्यान रखें और उबला पानी पिएं।
गुलेरिया ने कहा कि नाक के अंदर दर्द-परेशानी, गले में दर्द, चेहरे पर संवेदना कम हो जाना, पेट में दर्द होना इसके लक्षण हैं। रंग के बजाय लक्षणों पर ध्यान दें। इलाज जल्दी हो तो फायदा और बचाव जल्दी व निश्चित होता है।
ब्लैक संघर्ष को लेकर स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा
18 राज्यों में ब्लैक फंगस के 5,424 मामले दर्ज किए गए हैं। गुजरात में 2,165, महाराष्ट्र में 1,188, उत्तर प्रदेश में 663, मध्य प्रदेश में 519, हरियाणा में 339, आंध्र प्रदेश में 248 मामले दर्ज किए गए हैं। 5,424 मामलों में से 4,556 मामलों में पहले कोविड संक्रमण था और 55% मरीज़ों को डायबिटीज था।
हमने कोरोना की पहली और दूसरी लहर में देखा कि बच्चों में संक्रमण बहुत कम देखा गया है। इसलिए अब तक ऐसा नहीं लगता है कि आगे जाकर कोविड की तीसरी लहर में बच्चों में कोविड संक्रमण ज्यादा देखा जाएगा। हालांकि तैयारी करनी चाहिए.।लोगों को लग रहा है कि अब तक बच्चे ज्यादा प्रोटेक्टेड हैं घरों में। जब स्कूल, कॉलेज खुलेंगे बच्चे आपस में मिलेंगे तो शायद केस बढ़ सकते हैं। लेकिन अब तक के डाटा के मुताबिक ज्यादातर केस में बच्चों को दाखिले की जरूरत नहीं पड़ेगी।
एम्स डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया