नयी दिल्ली। कोरोना की दूसरी लहर के कारण देश में शुरू किये गये लॉकडाउन के मद्देनजर अपने गृहराज्य जाने के इच्छुक प्रवासियों को राशन और भोजन की गारंटी सुनिश्चित करने का केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को उच्चतम न्यायालय ने अंतरिम निर्देश दिया।
स्वत: संज्ञान मामले में हस्तक्षेप याचिका की सुनवाई के दौरान यह अंतरिम दिशानिर्देश जारी किया। न्यायालय ने कहा कि प्रवासी मजदूरों को राशन देते वक्त उन्हें पहचान पत्र दिखाने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए।
खंडपीठ ने अपने गृह प्रांत लौटने के इच्छुक प्रवासी मजदूरों को परिवहन की व्यवस्था करने और सामुदायिक रसोई स्थापित करने का भी निर्देश दिया है।
तीन सामाजिक कार्यकर्ताओं – हर्ष मंदर, जयदीप छोकर और अंजलि भारद्वाज- ने यह हस्तक्षेप याचिका दायर की थी, जिसमें राज्यों और केंद्र को महामारी के बीच देश के कई हिस्सों में लॉकडाउन की वजह से परेशानी झेल रहे प्रवासी मजदूरों के भोजन की सुरक्षा, नकदी हस्तांतरण, परिवहन सुविधाएं और अन्य कल्याणकारी उपाय सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।