स्मृति शेष : ईमानदारी और सादगी के प्रतिमूर्ति थे बचदा

राजनीति अस्थिरता से दुःखी थे बचदा

  • राजनीति अस्थिरता से दुःखी थे बचदा  
  • राज्यपाल नहीं बनने का भी रहा मलाल

अमरनाथ सिंह

देहरादून। बच्ची सिंह रावत मतलब बचदा, दूसरे शब्दों में यूं कहा जाए तो पूर्व केंद्रीय मंत्री और सादगी की मूरत बचदा की मधुर आवाज हमेशा के लिए खामोश हो गई। अभी जिस दिन नवरात्र शुरू हुआ, उस दिन भी व्हाट्सएप  पर बच दा ने सुप्रभात लिख कर भेजा। हां, पर उनका यह मैसेज काफी विलम्ब से आया। अमूमन रोजाना ही  10 से 11 बजे के बीच व्हाट्सएप पर नमस्कार-प्रणाम हो जाता था। पिछले कई दिनों से उनके अभिवादन वाला मैसेज देर से मिल रहा था।

बचदा जब भाजपा अध्यक्ष बने उस समय से मैं उनके संपर्क में रहा और उनसे सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक हर तरह की बातें होती थी। बीते दिनों लंबी टेलीफोनिक बातें उस दिन हुई जब त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री पद से अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंपा। बातचीत के दौरान बचदा ने कहा कि एक छोटे प्रदेश में इस तरह की राजनीतिक अस्थिरता ठीक नहीं है। बचदा ने यह भी कहा कि त्रिवेंद्र सिंह रावत सरल स्वभाव के व्यक्ति हैं और सही तरीके से सरकार चला रहे थे। फिर एकाएक बचदा को पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री रहे भुवन चंद्र खंडूड़ी की याद आई और उन्होंने कहा कि खंडूड़ी को हटाया गया था। फिर खंडूड़ी को लाना पड़ा। लगता है चंद माह बाद फिर त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।

बचदा ने कहा था कि नेतृत्व परिवर्तन से भाजपा को कोई लाभ नहीं मिला। अब तक का इतिहास तो यही है। अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी को भी जरूरत पड़ने पर सम्मान देना बचदा की फितरत थी। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत को भी बचदा ने लोकसभा चुनाव में पटखनी दी लेकिन हरीश रावत के मुख्यमंत्रित्व काल में जब उत्तराखंड में राजनीतिक उथल-पुथल का दौर शुरू हुआ, उस समय भी बचदा ने अपने विचार मुझसे साझा किया और कहा कि उत्तराखंड जैसे छोटे प्रदेश में इस तरह से राजनीतिक उथल-पुथल ठीक नहीं है। इसका असर अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है। लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार को गिराना ठीक नहीं है।

समय-समय पर बचदा से बातें होती रहती थीं। एक बार बचदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलने गए। लौट कर आए तो मैंने पूछा कि बचदा मोदी जी से क्या बात हुई। बचदा ने कहा कि मुलाकात होगी तो बताऊंगा। इसके काफी समय बाद बचदा और मेरी मुलाकात देहरादून के एक होटल में हुई। बचदा दिल्ली से आए थे, अगले दिन उन्हें गांव जाना था। मैंने बचदा से फिर पूछा कि बचदा मोदी जी से आपकी क्या बातचीत हुई थी। अब तो बताइए। फिर बचदा दो-तीन सेकेंड तक खामोश रहे। फिर बोले, वो मुझे राज्यपाल नहीं बनाएंगे। कोई दिक्कत नहीं है। मेरी चाहत भी कभी नहीं रही। प्रस्ताव तो मोदी जी का ही था। लेकिन मोदी जी काफी बढ़िया काम कर रहे हैं। काम काज में ही व्यस्त रहते हैं। कहां फुरसत है। हां, मोदी जी दीर्घायु हों, ताकि देश उन्नति करे। अपनी यही कामना है।

अभी हाल की बात है। बचदा से उत्तराखंड के विकास की बात हो रही थी। बचदा ने कहा कि त्रिवेंद्र जी ने महिलाओं के लिए काफी बढ़िया काम किया है। पति की पैतृक संपत्ति में सहखातेदार और घसियारी कल्याण योजना पहाड़ की महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए ऐतिहासिक कदम है। इसका लाभ उत्तराखंड की महिलाओं को जरूर मिलेगा। बचदा ने कहा था कि त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इन चार सालों में काम तो किया ही है। क्यों हटाया गया, यह अब भी अनुत्तरित है। मैंने बचदा से कहा कि अभी कुछ दिन पहले भुवन चंद्र खंडूड़ी जी के यहां गया था। बच्ची दा कहा कि खंडूड़ी जी स्वस्थ है न। मैंने कहा, हां ठीक हैं। मुझे पहचान लिया। फिर बचदा थोड़ी देर चुप रहे, फिर बोले, खंडूड़ी जी को भी राज्यपाल नहीं बनाया। चलिए ठीक है, कम से कम कोश्यारी जी तो राज्यपाल हैं। बस, हम यही चाहते हैं कि यह पर्वतीय राज्य विकास करें। लोग खुश रहें। हर परिवार  खुशहाल हो।

 

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