- एक दिन की तीन जनसभाओं से चुनाव में प्राण फूं क गए रावत
- गंगा पंचौली को जिताने के लिए अपनी 52 साल की राजनीतिक यात्रा का दे गए वास्ता
- सल्ट का चुनाव भाजपा बनाम हरीश रावत में सिमटा, रोमांचक मुकाबले की संभावना
हल्द्वानी। दिल्ली एम्स में कोरोना की जंग जीतने के बाद अब पूर्व सीएम हरीश रावत ने सल्ट की जंग जीतने के लिए कांग्रेस प्रत्याशी गंगा पंचौली के चुनाव में प्राण फूंक दिए हैं। शिथिल शरीर, लडख़ड़ाती जुबान के वाबजूद पूर्व सीएम हरीश रावत ने एक दिन में तीन चुनावी संभाएं संबोधित की और बगैर किसी पर आरोप के वोट को भिटौली में बलदने का मंत्र फूंक गए। उन्होंने अपने वचपन और ब्लाक प्रमुख से राजनीतिक यात्रा का सार जनता के बीच रखा और 2022 में कांग्रेस की वापसी के लिए इस उप चुनाव की अहमियत भी बता गए। उन्होंने दावा किया कि यह मतदान भाजपा के कुशासन का अंत कर एक नए इतिहास का सृजन करेगा।
बृहस्पतिवार को पूर्व सीएम हरीश रावत दून में साथियों के सहारे हेलीकाप्टर में सवार हुए और पोखरी के लिए रवाना हो गए। पौखरी के एक मैदान में हेलीकाप्टर ने लैंड किया और कुछ पलों के बाद पूर्व सीएम रावत जनसभा में लोगों के बीच में पहुंच गए। वे लाठी के सहारे भीड़ में पहुंचे और भारी जनसमूह में हरीश रावत जिंदाबाद के नारे गूंजने लगे। इससे गदगद हरीश रावत ने दोनों हाथ जोडक़र अभिवादन किया और मंच पर सवार हो गए। यहां करीब बीस मिनट बोले। मंचासीन नेता रावत से बैठकर बोलने को कहते रहे और रावत लडख़ड़ाती जुबान में बोलते रहे। उन्होंने पहले कोरोना से जंग जीतने के लिए लोगों की दुआओं और भगवान का शुक्रिया किया इसके बाद सीधे 17 अप्रैल के सल्ट उपचुनाव के मतदान पर आ गए।
उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी गंगा पंचौली के बचपन की बाद याद की और कहा कि दो चूटिया रखने वाली गंगा पूरे इलाके की चहेती थी और अब भिटौली मांग रही है। उन्होंने कहा कि गंगा भी ब्लाक प्रमुख से अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू कर विधायक बनकर सेवा करना चाहती है। उन्होंने अपने 52 साल पहले ब्लाक प्रमुख से राजनीतिक सफर का भी जिक्र किया। पोखरी में माइक बिल्लुक बेंदग था और पूर्व सीएम की लडख़ड़ाती जुबान को लोग समझ रहे थे और तालियों की गडग़ड़ाहट से स्वागत कर रहे थे। करीब बीस मिनट के इस भाषण के बाद रावत अगली जनसभा मौलेखाल हरड़ा के लिए निकल पड़े। यहां भी उन्होंने इसी तरह की अपील की और लोगों से कांग्रेस की वापसी के लिए 2022 की नींव रखने की अपील की। इसके बाद तीसरी और अंतिम जनसभा छयाड़ी बगड़ स्याल्दे में संबोधित की। यहां तो रावत को सभा संबोधित करने के लिए पहले खड़े होने और बाद में बोलने में पेशानी हो रही थी। लग रहा था कि वे कोरोना से तो उब गए हैं, लेकिन इस तरह की जनसभा को संबोधित करते के लिए इजाजत नहीं दे रहा है।
इन तीनों जनसभाओं के बाद सल्ट का उप चुनाव पूरी तरह से कांग्रेस बनाम भाजपा के बजाय हरीश रावत बनाम भाजपा बन गया है। रावत की पहली जनसभा में प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव, पीसीसी प्रमुख प्रीतम सिंह, सह प्रभारी राजेश धर्माणी, पूर्व विस अध्यक्ष गोविंद कुंजवाल,प्रदेश प्रवक्ता दीपक बल्यूटिया, सरिता आर्या, अर्जुन सिंह, अमित सिंह, नारायण सिंह ने भी विचार व्यक्त किए। सभा का संचालन शोभन सिंह और सुरेश विष्ट ने किया। इस सभा में रावत के बोलते समय कई बार भावुक क्षण देखने को मिले। उन्होंने जैसे ही कोरोना की जंग जीतकर आने की बात की तो हजारों लोगों के आंखू में आंसू छलक पड़े। खुद हरीश रावत का भी गला भर आया। एक तरह से कांग्रेस ने अपने ब्रह्मा को प्रयोग में लाकर पूरे मुकाबले को रोमांचक बना दिया है। इस जनसभा के बाद अब यहां ऊंट किसी भी करवट बैठ सकता है।