External Affairs Minister S. Jaishankarविदेश मंत्री एस जयशंकर ने राज्यसभा में कोरोना महामारी के कारण विदेशों में फंसे भारतीय नागरिकों , छात्रों और कामगारों की सहायता के बारे में सरकार द्वारा उठाये गये कदमों के संबंध में वक्तव्य देने के बाद सदस्यों के स्पष्टीकरण पर यह बात कही। विदेश मंत्री ने कहा कि विदेशों में पढने वाले भारतीय छात्रों का मुद्दा एक बड़ी चुनौती है और सरकार इससे निपटने के लिए हर संभव प्रयास करेगी। उन्होंने कहा कि काफी छात्र विदेशों से लौट आये हैं और अब उनकी आनलाइन क्लास हो रही हैं। सरकार विदेशों में विश्वविद्यायलयों में लौटने वाले छात्रों की मदद करेगी। साथ ही उसकी यह कोशिश है कि किसी भी छात्र का शैक्षणिक वर्ष बर्बाद न हो। इसके सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर दूतावासों के सहयोग से प्रयास किया जायेगा। विदेशों में फंसे श्रमिकों और कामगारों के बारे में उन्होंने कहा कि काफी लोग स्वदेश लौट आये हैं और कुछ लोग अभी लाये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन लोगों को काम देने के लिए इनके कौशल के बारे में पता लगाया जा रहा है कि वह क्या काम कर सकते हैं। इसके बाद राज्य सरकारों तथा नियोक्ताओं की मदद से उन्हें काम दिलाने का प्रयास किया जायेगा। उन्होंने कहा कि जिन देशों में ‘बब्बल’ व्यवस्था के तहत उडानें संचालित नहीं हो पायी या कम संख्या में हुई वहां से लोगों को लाने के लिए इसका विस्तार किया जायेगा। इस संदर्भ में उन्होंने विशेष रूप से सऊदी अरब, जापान , सिगापुर और संयुक्त अरब अमीरात का उल्लेख किया। इससे पहले उन्होंने कहा कि जैसे सरकार ने देश में आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने के लिए कदम उठाये हैं वैसे ही अब विदेशों में रहने वाले भारतीयों की स्थिति सुधारने के लिए भी प्रयास किये जा रहे हैं। विदेशों से हवाई मार्ग से लोगों को लाने की भी विशेष व्यवस्था की जा रही है। उन्होंने कहा कि विभिन्न स्तर पर किये जा रहे प्रयासों के तहत प्रधानमंत्री ने सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात , कतर और ओमान के नेताओं के साथ बात की है। विदेश मंत्री ने कहा कि वहां रह रहे लोगों की स्थिति पर चर्चा के लिए उन्होंने खुद कोविड महामारी के दौरान भी कई देशों की यात्रा की।