महाकुंभ बड़ी चुनौती, सरकार सतर्क

  • एक से तीस अप्रैल तक केवल 30 दिन का होगा आयोजन
     स्नान की तिथि कम करने के पीछे कोरोना ही मूल कारण

यह तो तय हो गया है कि हरिद्वार में महाकुंभ केवल 30 दिन का ही होगा। जो एक अप्रैल से तीस अप्रैल तक चलेगा। केंद्र की भी मंशा यही है जिस पर राज्य सरकार ने अपनी मुहर लगाई है। दरअसल, महाकुंभ के स्नान की तिथि कम करने के पीछे कोरोना ही मूल कारण है। इस सच्चाई को इंकार नहीं किया जा सकता। सरकार के इस फैसले का स्वागत चारों ओर किया जा रहा है। हां, राजनीति में रुचि रखने वाले लोग जरूर इससे सहमत नहीं हैं। लेकिन महाकुंभ की अवधि कम करना जरूरी है। सही समय पर सरकार ने फैसला लिया है। इसमें तो साधु संतों को भी सहयोग करना चाहिए। वहीं, सरकार ने महाकुंभ की व्यवस्था को दुरुस्त करने में अपनी सारी ताकत झोंक दी है। अस्पताल, स्नान घाट और अन्य महत्वपूर्ण चीजें जैसे विभिन्न तरह की झांकियां वगैरह भी व्यवस्थित करने में जुटी हुई है। इसके इतर भी सरकार ने कई महत्वपूर्ण फैसले भी लिए हैं, ताकि श्रद्धालुओं को स्नान के दौरान कोई दिक्कत नहीं हो। नयी व्यवस्था के तहत एक दिन में 10 लाख श्रद्धालु कुंभ के दौरान हरिद्वार में स्नान कर पाएंगे। इस तरह देखा जाए तो अठारह किलोमीटर लंबे घाटों पर एक दिन में कुल 10 लाख 80 हजार श्रद्धालु ही स्नान कर पाएंगे। जबकि कुंभ क्षेत्र में वर्तमान आवासीय व्यवस्था के तहत करीब साढ़े पांच लाख लोग रात्रि विश्राम कर सकते हैं। इस बार कोरोना की वजह से सरकार ने सभी तीर्थ यात्रियों को स्नान के बाद लौटने की सलाह दी है। इसलिए टैंट लगाने की जरूरत इस बार सरकार महसूस नहीं कर रही है।
नयी व्यवस्था के तहत केंद्र सरकार ने कुंभ मेले में स्नान के दौरान भी लोगों के बीच छह फीट की दूरी बनाए रखने को कहा है। इस दिशा में भी उत्तराखंड सरकार ने काम शुरू कर दिया है। इसलिए स्नान के लिए अस्थाई घाट भी बनाए जा रहे हैं। इसके अलावा कुंभ में अठारह हजार क्षमता के शेल्टर भी बनने शुरू हो गये हैं। हां, भीड़ भाड़ से बचने के लिए कुंभ मेले के दौरान अन्य राज्यों से बसें नहीं चलाने का अनुरोध राज्य सरकार ने किया है। साथ ही, हरिद्वार के लिए नयी ट्रेनों के संचालन नहीं किए जाएं, इसे लेकर भी राज्य सरकार ने रेल मंत्रालय को पत्र लिखा है। इसके अलावा 12 अप्रैल और 14 अप्रैल के शाही स्नानों में हरिद्वार आने वाली ट्रेनों की अनुमति इन तारीखों को और तारीखों से एक दिन पहले नहीं देने का भी अनुरोध किया है। इसके अलावा पंजाब, हरियाणा, हिमालय, जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, राजस्थान, गुजरात, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड को कोविड-19 के प्रसार रोकने को कुंभ मेला अवधि के दौरान नयी बसें संचालित नहीं करने का भी आग्रह वहां की सरकारों से किया है। इस साल 14 जनवरी से 11 फरवरी तक हुए महत्वपूर्ण स्नानों में करीब 4 लाख लोगों ने स्नान किया है। इन स्नानों में उमड़ी भीड़ को देखते हुए सरकार यह मान कर चल रही है कि अस्थाई आवास को टैंट लगाने की जरूरत नहीं है। श्रद्धालु स्नान करेंगे और फिर लौट जाएंगे। इसी लिहाज से सरकार व्यवस्था भी कर रही है।

सरकार महाकुंभ की व्यवस्था में जुटी हुई है। स्नान के दौरान केंद्र के मानकों का विशेष रूप से उत्तराखंड सरकार ध्यान दे रही है। कहीं कोई दिक्कत नहीं है। स्थाई और अस्थाई कर्मचारियों कार्य समय पर पूरे हो जाएंगे। चिंता की कोई बात नहीं है। कोरोना से बचाव के सारे उपाय किए गए हैं। ताकि श्रद्धालु बिना खौफ के आएं और स्नान करें। फिर अपने घरों को लौट जाएं। सारी व्यवस्था दुरुस्त की जा रही है।
-मदन कौशिक, शहरी विकास मंत्री, उत्तराखंड

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