- व्यापारी और तीर्थ पुरोहित अपने अपने तरीके से तैयारियों में जुटे
- इस बार यात्रा सीजन में काफी संख्या में तीर्थयात्रियों के आने की उम्मीद
उत्तराखंड की चारधाम यात्रा अपने आप में काफी महत्वपूर्ण है। पिछली यात्रा तो कोरोना महामारी की वजह से बुरी तरह से प्रभावित हुई। हालांकि, अब भी ज्यादा बेहतरी की उम्मीद नहीं की जा सकती क्योंकि कोरोना अभी खत्म नहीं हुआ है। चारधाम यात्रा शुरू होने में महज दो माह का समय बचा हुआ है। महत्वपूर्ण बात यह है कि बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने की तिथियां भी तय हो चुकी हैं। केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि की घोषणा भी जल्द की जाएगी। अब सबकी निगाहें चारधाम यात्रा की तैयारियों पर है।
व्यापारी और तीर्थ पुरोहित अपने अपने तरीके से चारधाम यात्रा को प्लानिंग कर रहे हैं। दरअसल, कोरोना की वजह से सबसे ज्यादा प्रभावित व्यापारी और तीर्थ पुरोहित ही रहे हैं। क्योंकि सबसे ज्यादा इनकी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा है। यह वर्ग यात्रा सीजन के दौरान साल भर अपने खाने पीने का जुगाड़ कर लेता है। इस बार उम्मीद की जा रही है कि चारधाम यात्रा के दौरान काफी संख्या में तीर्थयात्री आएंगे। क्योंकि बद्रीनाथ हो या केदारनाथ हर साल की तरह इस साल ज्यादा यहां बर्फ नहीं जमी है। ज्यादा बर्फबारी से संपत्ति का भी ज्यादा नुकसान होता था लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ है। इन धामों के अलावा हेमकुंड साहिब यात्रा भी इस सीजन में ठीक ठाक होने की संभावना है। बर्फबारी कम होने से रास्ता ठीक करने में प्रशासन को ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी। इस लिहाज से चारधाम के अलावा हेमकुंड साहिब में भी तीर्थयात्रियों की संख्या में काफी इजाफा होने की उम्मीद है।
इस यात्रा सीजन में सरकार को विशेष रूप से अलर्ट रहना होगा। पिछली बार तो सर्वाधिक खौफ कोरोना का रहा जिससे तीर्थ यात्री नहीं आए। सरकार को भी ज्यादा माथापच्ची नहीं करनी पड़ी लेकिन माना जा रहा है कि इस बार तीर्थयात्री इन धामों में रिकॉर्ड मात्रा में उमड़ेंगे। लिहाजा, सरकार को तेजी के साथ यात्रा मार्गों की व्यवस्था को दुरुस्त करना होगा। क्योंकि यात्रा रूट में भूस्खलन का खतरा बना रहता है। हालांकि, यह कोई नई बात नहीं है। पर यदि समय रहते ही हम अपनी इन जरूरी व्यवस्थाओं को दुरुस्त कर लेते हैं तो इस सीजन में चारधाम यात्रा और हेमकुंड साहिब की यात्रा सुखद हो सकती है, पर इसके लिए सरकार को अभी से ही कमर कसना होगा। क्योंकि व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार के पास समय कम है। इसमें ही सारी व्यवस्थाएं सरकार को सुधारनी होगी।
खास बात यह है कि केवल सड़कों को दुरुस्त करने से ही काम नहीं चलने वाला है। भूस्खलन से प्रभावित क्षेत्रों को भी ठीक करना होगा। चैंकाने वाली बात यह है कि यह संख्या लगातार बढ़ रही है। यात्रा रूट में 150 डेंजर जोन ब्लैक स्पाॅट हैं जहां अक्सर हादसे होते रहते हैं। लेकिन बड़ी विडम्बना यह है कि इनमें से अब तक केवल तीन दर्जन ब्लैक स्पाॅटों को ही दुरुस्त किया जा सका है। केवल इतना ही नहीं, डेंजर जोन की संख्या डेढ़ हजार से कम नहीं है। लेकिन मात्र 150 ही डेंजर जोन अब तक दुरुस्त किए गए हैं। लिहाजा, सरकार को भी अपने कामों में और ज्यादा तेजी लानी होगी। इसके अलावा अन्य व्यवस्थाओं को भी सुधारना होगा। पेयजल, बिजली और अतिथि गृहों को भी ठीक करना होगा।
‘चारधाम यात्रा सुखद हो, यात्रा सीजन में तीर्थयात्रियों को कोई दिक्कत नहीं हो, इस बात को ध्यान में रखकर सरकार अपनी तैयारी कर रही है। यात्रा को लेकर सरकार काफी गंभीर है। यात्रा शुरू होने के पहले सारी व्यवस्थाएं ठीक कर ली जाएंगी। पिछली यात्रा के दौरान कोरोना का प्रकोप चरम पर था लेकिन अब तो कोरोना से बचाव के मानकों को ध्यान में रखकर चारधाम यात्रा बेहतर तरीके से शुरू होगी। देवभूमि में चार धाम यात्रा के लिए पूरी तरह से तैयार है।’
-सतपाल महाराज, पर्यटन मंत्री, उत्तराखंड