बंगलुरु वाली बिटिया दिशा रवि ह्यटूल किटह्य यानी आंदोलन की रणनीति बनाकर गुनाह कर चुकी है। तो सजा भोग रही है। आप इस भैकाल से बचो। अपने अवतारी सेवक पर भरोसा करो, अपने नसीब को ह्यटूल किटह्य बनाओ और प्रभु के गुन गाओ…..
वीरेंद्र सेंगर
अब वो पहले वाला सहज भारत नहीं रहा। हम खांटी ह्यन्यू इंडियाह्य के युग में प्रवेश कर गये हैं। जाहिर है भारत से अब तक की यात्रा में बहुत कुछ बदला है, बदलेगा। इस बदलाव को बैकवर्ड मानसिकता के लोग पचा नहीं सकते। वे पुरानी मान्यताओं की दुहाई देंगे। नयेपन को खारिज करेंगे। जैसे कि खेती किसानी से जुड़े तीन चर्चित कानूनों को लेकर देश व्यापी स्यापा मचा रहा। अवतारी सरकार कहते-कहते थक गयी कि भले मानुष किसानों! तुम्हारे हितों के खातिर सरकार नए प्रावधान ला रही है। इसमें तुम्हारा नफा ही नफा है। यानी सौ प्रतिशत शुद्ध फायदा। लेकिन किसान बावले हो रहे हैं। वे निरा नासमझ हैं। कांग्रेसियों और टुकड़े-टुकड़े गैंग का भूत उनके सिर पर सवार है। सत्ता महाप्रभुओं ने तमाम इलाज किया। लोकप्रिय कृषि मंत्री को जुटाया। एक दर्जन बार वार्ताओं का दौर चला, लेकिन मामला सुलझने के बजाय उलझता ही गया। क्योंकि ह्यटूल किटह्य के प्रयोग ने इनकी आत्मा तक को अपवित्र कर दिया है। सरकार अन्नदाताओं के हितों को लेकर बेचैन है। छटपटा रही, फिर भी किसान पटरी पर नहीं आ रहे, हद तो ये कि वे सरकार की पटरी को ही उखाड़ फेंकने पर उतारु हैं, घोर कलियुग।
जब किसी के सिर भूत सवार होते हैं, तो जल्दी से उतरते नहीं, ऐसा ही अन्नदाताओं के साथ हो रहा है। पहले ये लोग गौ माता की तरह सीधे और पवित्र होते थे। केवल देते थे, अब मंगता बन गये हैं। अपना गंवई धर्म भी भूल रहे हैं। अटे-फटे वस्त्रों में भी संतोष का धर्म अपनाते थे, न सरकार से शिकायत करते थे, न भगवान से जो बेरहम मौसम खड़ी फसलों को बर्बाद करता है। उसकी भी कीर्तन करने की परंपरा रही है। क्योंकि किसान सदियों से ये मर्म जानते रहे हैं। जो मिलता है, वही भाग्य का है। जो नहीं मिला, उसमें उनके नसीब का कुसूर है, सरकार का नहीं।
ये नसीब भी खूब होता है। कांग्रेसियों के दौर में ये नसीब बार-बार फूट रहा था। सो, दुनिया के बाजार में कच्चा तेल उबल रहा था। कीमतें आसमान छू रही थीं। सरकार इसी का हवाला देकर डीजल, पेट्रोल व रसोई गैस के दाम बढ़ा देती थी। किसान से लेकर खुद आम आदमी तक हलकान था। नारंगी आभा वाली पवित्र पार्टी को आम जनता का ये दुख बर्दाश्त नहीं होता था। वे सड़कों पर प्रदर्शन करते थे। खाली सिलेंडर सिर पर लादकर जन लीलाएं करते थे। चिल्लाते थे, चीखते थे, कोसते थे, कितना त्याग किया था? इनकी इरानी-तूफानी वीरांगनाएं भी लोहा ले रही थीं। तत्कालीन बुजुर्ग प्रधानमंत्री को चूड़ियां भेज रही थीं। इतनी घोर तपस्या के बाद 2014 में नसीब वालों की आमद मुश्किल से हुई थी। जनता तो ये समझ ही रही थी। यही कि ठेठ अच्छे दिन आने वाले हैं। अब हर दिन दीवाली और होली के अहसास का सदाबाहर मौसम आने वाला है।
अवतारी महासेवक ने एलान भी किया था कि बस, दुख के दिन गये। अच्छे दिन आने वाले हैं। अरे! अभी तो इस महा भरोसे का दशक भी नहीं बीता। इतनी जल्दी चिंतामग्न हो गये। अपने राजा यानी पालक के प्रति इतना अविश्वास! राम-राम! ये भी क्या दिन आ गये? जो किसान देवता! खेतों में खून-पसीना बहाता था, फिर भी चुप रहता था। ज्यादा गुस्सा आया, तो अपने नसीब को ही कोसता था। सरकार के लिए उफ! भी नहीं करता था। अब तो घोर कलियुग आ गया है। जो सत्ता प्रभु! जन भलाई के लिए खट रहे हैं। किसानों को अमेरिका और इटली के किसानों से ज्यादा खुशहाल देखना चाहते हैं। उन्हें ही ये नासमझ कोस रहे हैं। मुर्दा से जाने का अलाप लगा रहे हैं। भला! मुर्दाबाद का कोई और मतलब है नहीं? अहसान फरमोश कहीं के, इन नसीब वालों को बचाकर रखते, ये दुर्लभ प्रजाति के हैं।
जिसे अपना पवित्र वोट सौंपकर राज के लिए बैठाया है। उसे कुछ साल तो खुशी से झेलो? वर्ना इतिहास में क्या दर्ज होगा? यही न कि 2014 के दौर की जनता बहुत असहिष्णु थी। जिसमें सहनशीलता नहीं थी। बताओ, इतिहास में ये ऐतिहासिक दुत्कार दर्ज कराना चाहते हो? ये तो ठीक नहीं है। सरकार सब का मान रख रही है। आम इंसान का भी और भगवान का भी। तमाम अपयश लेकर भी अरबों रुपये के खर्च से उनका मंदिर महल तैयार करा रही है। वे यथायोग्य आवास पर गये, तो सर्वत्र खुशियों का आशीर्वाद दे देंगे। सो, सरकार का न कोसो, उसके बनाए कानूनों पर जश्न मनाओ, भांगड़ा करो, इस पर भी अच्छे दिन न आए, तो उनके नसीब को कोसा, उनको बख्श दो। वे तो नसीब वाले हैं। राम के गुन गा रहे हैं। ये जन्म भी सुफल है। परलोक के लिए उनका आरक्षण तय है।
आपका क्या? जो नसीब लेकर आये हो, उसी तरह की सरकार का ह्यसुखह्य झेलो। जनता हो, जन धर्म निभाओ! बंगलुरु वाली बिटिया दिशा रवि ह्यटूल किटह्य यानी आंदोलन की रणनीति बनाकर गुनाह कर चुकी है। तो सजा भोग रही है। आप इस भैकाल से बचो। अपने अवतारी सेवक पर भरोसा करो, अपने नसीब को ह्यटूल किटह्य बनाओ और प्रभु के गुन गाओ। जय हिंद।