नहाय-खाय से हुई 4 दिन के महापर्व छठ पूजा की शुरूआत

नयी दिल्ली: महापर्व छठ की शुरूआत आज नहाय-खाय के साथ हो गई है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से ये महापर्व शुरू हो जाता है. छठ  का पर्व दिवाली के 6 दिन बाद मनाया जाता है. यह पर्व खासतौर पर बिहार, पूर्वी उत्तर प्रेदश और झारखंड में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. ये व्रत संतान प्राप्ति और संतान की मंगलकामना के लिए रखा जाता है.

नहाय-खाय का महत्व

छठ पूजा में भगवान सूर्य की पूजा का विशेष महत्व है. चार दिनों के महापर्व छठ की शुरुआत नहाय-खाय से होती है. इस दिन व्रती स्नान करके नए कपड़े धारण करती हैं और पूजा के बाद चना दाल, कद्दू की सब्जी और चावल को प्रसाद के तौर पर ग्रहण करती हैं. व्रती के भोजन करने के बाद परिवार के बाकी सदस्य भोजन करते हैं. नहाय-खाय के दिन भोजन करने के बाद व्रती अगले दिन शाम को खरना पूजा  करती हैं. इस पूजा में महिलाएं शाम के समय लकड़ी के चूल्हे पर गुड़ की खीर बनाकर उसे प्रसाद के तौर पर खाती हैं और इसी के साथ व्रती महिलाओं का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है. मान्यता है कि खरना पूजा के बाद ही घर में देवी षष्ठी (छठी मईया) का आगमन हो जाता है.

कुल मिलाकर यह पर्व चार दिनों तक चलता है. इसकी शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से होती है और सप्तमी को अरुण वेला में इस व्रत का समापन होता है. कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को “नहाए-खाए” के साथ इस व्रत की शुरुआत होती है. इस दिन से स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जाता है. दूसरे दिन को “लोहंडा-खरना” कहा जाता है. इस दिन दिन भर उपवास रखकर शाम को खीर का सेवन किया जाता है. खीर गन्ने के रस की बनी होती है.

तीसरे दिन दिन भर उपवास रखकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. अर्घ्य दूध और जल से दिया जाता है. चौथे दिन बिल्कुल उगते हुए सूर्य को अंतिम अर्घ्य दिया जाता है. इसके बाद कच्चे दूध और प्रसाद को खाकर व्रत का समापन किया जाता है.

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