चंडीगढ़: पंजाब में केंद्र के किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ संघर्ष कर रहे किसानों को केंद्र सरकार के मंत्रियों की ओर से मिलने के दिए गए आमंत्रण संबंधी मीडिया में आ रही खबरों के बारे में अपने विचार जाहिर करते आम आदमी पार्टी के कोटकपूरा से विधायक कुलतार सिंह संधवां और बरनाला से विधायक गुरमीत सिंह मीत हेयर ने कहा कि भले ही यह फैसला बहुत देरी के साथ लिया गया है, परंतु फिर भी यह स्वागत योग्य कदम है और केंद्र सरकार को संजीदा ढंग के साथ इस बातचीत में भाग लेकर समस्या का जल्द से जल्द निपटारा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि संघर्ष कर रहे किसान अपनी वाजि़ब मांगों के लिए ही घर-बार छोड़ कर सडक़ों पर बैठे हैं। इस लिए केंद्र सरकार को बहुत पहले ही उनके साथ बातचीत करके उनके शंकाओं को दूर कर देना चाहिए था, परंतु अब भी यदि सरकार सहृदय माहौल में यह बातचीत सफल होती है तो पंजाब को हो रहे आर्थिक नुकसान और पंजाब की खेती को बर्बाद करने के मंसूबों पर रोक लगाई जा सकती है। उन्होंने मांग की है कि सरकार पंजाब के किसानों को सहज महसूस करवाने के लिए और उनके मन में पैदा हुए शंकाओं को दूर करने की नीयत से तुरंत पंजाब में रेल सेवा को शुरू करें, जिससे दीवाली और बंदी छोड़ दिवस जैसे पवित्र अवसर पर लोग अपने घरों को जा सकें और व्यापारी वर्ग अपना व्यापार कर सके। आप’ विधायकों ने कहा कि आम आदमी पार्टी हमेशा किसानों के साथ कंधो के साथ कंधा जोड़ कर खड़ी है और भविष्य में भी जिस तरह व जो फैसला किसान जत्थेबंदियां लेंगी पार्टी उसके साथ संपूर्ण तौर पर चलेगी। केंद्र की सरकारों ने अब तक पंजाब के साथ धक्केशाही की है, परंतु पंजाब के किसानों ने इस बार अपनी आवाज बुलंद करके भविष्य में ऐसे धक्के न बर्दाश्त करने का ऐलान किया है, जो कि लोकतंत्र में अति जरूरी है।
संधवां और हेयर ने कहा कि इस से पहले भी सरकार के नुमाइंदों के साथ किसानों की बातचीत का दौर शुरू हुआ था, परंतु सरकार की ओर से चालाकियां करने की कोशिश के विरोध के तौर पर किसान मीटिंग से बाहर आ गए थे। उन्होंने कहा कि सरकार के मंत्री इस बार किसानों के साथ ऐसा करने से गुरेज करें, जिससे समस्या का हल जल्द से जल्द ढुंढा जा सके। उन्होंने कहा कि पंजाब के किसानों ने हरी क्रांति के दौर में अपनी जमीनों को खराब करके पूरे देश का पेट भरा है और समूचा देश इस कार्य के लिए पंजाबियों का अहसानमंद होना चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री से पंजाब के किसानों को फसली चक्कर से बाहर निकालने के लिए नगद फसलें बीजने पर सब्सिडी और उनकी खरीद सम्बन्धित नीतियां बनाने की भी गुज़ारिश की।