बाहुबल-अपराध के सहारे चुनाव वैतरणी पार करतीं पार्टियां  

  • लोकतंत्र बनाम बाहुबल विधान सभा चुनाव
  • अब बाहुबलियों की आड़ में सगेसंबंधियों को दिया जा रहा टिकट

संवाददाता

पटना (बिहार):  भले ही बाहुबलियों की संख्या के कारण सरकारों की आलोचना होती रही हो और बिहार के संदर्भ में यह बताया जाता रहा हो कि चुनाव में बाहुबल-अपराध का दौर थम गया है, लेकिन हकीकत यही है कि अपने मकसद के हिसाब से बाहुबलियों का इस्तेमाल करने वाली सियासत तो इनके बिना अधूरी है, बस रणनीति बदल गई है। बाहुबलियों को सीधे टिकट नहीं देकर उनकी पत्नियों, सगे-संबंधियों को टिकट दिया जाने लगा है।
निर्वाचन संबंधी स्वयंसेवी विश्लेषक संस्था एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिसर्च के अनुसार, 2015 की 16वीं विधानसभा चुनाव में 3407 उम्मीदवार खड़े हुए थे, जिनमें 1020 (तीस फीसदी) आपराधिक पृष्ठभूमि वाले थे और 23 फीसदी (782) पर तो गंभीर आपराधिक मुकदमे दर्ज थे। 3407 उम्मीदवारों में जीतकर विधानसभा पहुंचे 243 विधायकों में 142 यानी 58 फीसदी आपराधिक पृष्ठभूमि के थे। एक नजर बिहार के बाहुबलियों पर…
एके-47 वाला पहला बाहुबली अशोक सम्राट
वैसे तो सियासत और बाहुबल का भीतरी रिश्ता पुराना है, मगर बिहार में 1990 के दशक में खौफ से चुनाव को प्रभावित करने वाला नाम था अशोक सम्राट। आज तो अनेक आपराधिक गिरोह के पास एके-47 राइफल है, लेकिन तब सिर्फ अशोक सम्राट के पास ही एके-47 राइफल थी। इस बात का जिक्र नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी ने किया है। बिहार के बेगूसराय जिला के अशोक सम्राट की तूती उत्तर प्रदेश के गोरखपुर तक बोलती थी। दो बड़ी कंपनियां बेगूसराय में रीता कन्स्ट्रक्शन (संचालक रामलखन सिंह) और मुजफ्फरपुर में कमला कंस्ट्रक्शन (संचालक स्वामी रतन सिंह) रेलवे का ठेका लेती थीं, जिन्हें ठेका दिलाने के लिए अशोक सम्राट और मोकामा के बाहुबली सूरजभान सिंह बाहुबल का इस्तेमाल करते थे। अशोक सम्राट ने पंजाब में सक्रिय खालिस्तान समर्थकों से हाथ मिलाकर एके-47 राइफल प्राप्त की थी। जब बिहार के पिछले पखवारा सेवानिवृत्त हुए डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय बेगूसराय के पुलिस अधीक्षक थे, तब उनके नेतृत्व में अशोक सम्राट गिरोह से एके-47 राइफल और इसके बाद सूरजभान सिंह के घर से एके-56 राइफल जब्त हुई थी।
मुजफ्फरपुर में एके-47 से पहली हत्या
सत्ता से करीबी रिश्ता रखने वाला अशोक सम्राट बेगूसराय, बरौनी, मोकामा, मुजफ्फरपुर, वैशाली, लखीसराय, शेखपुरा में तय करता था कि चुनाव में किस उम्मीदवार को जिताना है।  बिहार में एके-47 से पहली हत्या 1990 में सरस्वती पूजा के दिन मुजफ्फरपुर के छाता चैक पर दिन-दहाड़े बाहुबली चंद्रेश्वर सिंह की हुई थी, जिस पर दबंग नेता रघुनाथ पांडेय का वरदहस्त था। मुजफ्फरपुर को अंडरवल्र्ड का मिनी मुंबई कहा जाता था। पटना में बाहुबली छोटन शुक्ला हत्याकांड के किरदार रहे मंत्री बृजबिहारी प्रसाद की 3 जून 1998 को हुई हत्या में गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) के कुख्यात डान श्रीप्रकाश शुक्ला, पूर्व सांसद सूरजभान सिंह, पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला, राजन तिवारी आरोपी थे, जो बरी हो चुके हैं।
अशोक सम्राट पूर्व सांसद आनंद मोहन की पार्टी से चुनाव लड़ने वाला था, तभी पुलिस की गोली का शिकार हो गया। अशोक सम्राट का एनकाउंटर बिहार पुलिस के शशिभूषण शर्मा से 5 मई 1995 को हाजीपुर के लक्ष्मणमठ के पास हुआ था। अशोक सम्राट गिरोह की ओर से चली गोलियों से कई ग्रामीण घायल हुए और एक की मौत हुई थी। अशोक सम्राट के इन-काउंटर से पहले बहुचर्चित आंखफोड़वा कांड में नौ साल से निलंबित रहे शशिभूषण शर्मा को आउट-आफ-टर्म प्रोन्नति देकर डीएसपी बनाया गया। 1979 में नवगछिया थाना से शुरू हुए आंखफोड़वा कांड में 34 अपराधियों-अभियुक्तों की आंखों में पुलिस वालों ने तेजाब डाल अंधा बना दिया था, जिसकी जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हुई थी।
बृजबिहारी प्रसाद हत्याकांड के अनुसंधान पदाधिकारी रहे शशिभूषण शर्मा की भी पटना में 09 दिसंबर 2010 को हत्या हो गई। माना जाता है कि फिल्म ‘गंगाजल’ की स्क्रिप्ट में शशिभूषण शर्मा का भी किरदार है।
रामा सिंह को मिला राजद में प्रवेश
पहले लोजपा में रहे पूर्व बाहुबली सांसद रामकिशोर सिंह उर्फ रामा सिंह ने आखिरकार पिछले दरवाजा से राजद में प्रवेश पा ही लिया, जिसके लिए लालू यादव ने हरी झंडी दे रखी थी। राजद की सदस्यता के साथ रामा सिंह की पत्नी वीणा सिंह को महनार विधानसभा सीट से टिकट दिया गया है। रामा सिंह ने वैशाली से 2014 में लोकसभा चुनाव लोजपा के टिकट पर लड़कर राजद के भूतपूर्व केंद्रीय ग्रामीण मंत्री समाजवादी रघुवंश प्रसाद सिंह को हराया था। इसी रामा सिंह को राजद में लिए जाने की सूचना से नाराज दिल्ली एम्स में भर्ती पार्टी के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था और पार्टी छोड़ने की धमकी दी थी। राजद में रामा सिंह के आने की चर्चा पर भारी विरोध हुआ तो उनकी राजद-प्रवेश की तैयारी दो बार स्थगित करनी पड़ी थी। अपहरण, धमकी, रंगदारी, हत्या जैसे संगीन अपराध के आरोपी बाहुबली रामा सिंह की दोस्ती अपने समय के डॉन अशोक सम्राट से थी। जब अशोक सम्राट हाजीपुर में पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था, तब यह चर्चा थी कि अशोक सम्राट के लिए पुलिस का जाल रामा सिंह ने बिछाया था।
रामा सिंह का उदय
नब्बे का दशक राजनीति में बाहुबल के दौर का माना जाता है। उसी दौर में वैशाली के महनार में दबंग रामकिशोर सिंह उर्फ रामा सिंह का उदय हुआ। तीन बार विधायक रह चुके रामा सिंह 2014 की मोदी लहर में रामविलास पासवान की लोजपा से वैशाली से लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए। 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद रघुवंश प्रसाद सिंह ने जयचंद वैद अपहरण कांड को आधार बनाकर पटना हाई कोर्ट में यह याचिका दायर की थी कि चुनाव आयोग को दिए गए शपथपत्र में रामकिशोर सिंह ने वैद अपहरण कांड से संबंधित जानकारी नहीं दी, इसलिए रामा सिंह की लोकसभा सदस्यता रद्द की जाए। साल 2001 में छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले से पेट्रोल पंप व्यवसायी जयचंद वैद्य का अपहरण हुआ, जो डेढ़ महीने बाद रिहा किए गए थे। अपहरणकर्ता जयचंद वैद्य को कार से ले गए थे। पुलिस की दाखिल चार्जशीट में दर्ज है कि जयचंद वैद अपहरण में जिस कार का इस्तेमाल हुआ, वह कार रामकिशोर सिंह के घर से बरामद हुई। इस अपहरण कांड में रामा सिंह ने छत्तीसगढ़ की अदालत में समर्पण किया था और जेल गए थे।
छोट सरकार नाम से मशहूर हैं अनंत सिंह
बिहार के बेऊर जेल में बंद छोटे सरकार के नाम से मशहूर बाहुबली अनंत सिंह ने एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश विपुल सिन्हा द्वारा अनुमति मिलने के बाद मोकामा पहुंच कर बतौर राजद प्रत्याशी नामांकन किया। अपने हलफनामे में उन्होंने 38 मुकदमों का उल्लेख किया है। ज्यादा मुकदमे होने की वजह से नामांकन खारिज होने की आशंका के मद्देनजर अनंत सिंह ने विकल्प के तौर पर पत्नी नीलम देवी द्वारा भी निर्दलीय नामांकन दाखिल कराया है। अनंत सिंह का नामांकन रद्द हुआ तो वह पत्नी का समर्थन करेंगे और अनंत सिंह का नामांकन खारिज नहीं हुआ तो पत्नी चुनाव के मैदान से हट जाएंगी। अनंत सिंह के बाहुबल की कथा ‘हरि अनंत हरिकथा अनंता’ की तरह है। वह पहले नीतीश कुमार के दल जदयू से विधायक थे। अब तेजस्वी यादव ने अपने को मुख्यमंत्री बनने के लिए अधिक से अधिक सीट जीतने की रणनीति में उनका साथ लिया है। 2015 का विधानसभा चुनाव अनंत सिंह ने जेल में ही रहकर लड़ा और विजयी हुए थे। उनकी गैर मौजूदगी में पत्नी नीलम देवी ने चुनावी कमान संभाली थी।
देश में यूएपीए के प्रथम कांड के आरोपी अनंत सिंह
2015 के विधानसभा चुनाव के दौरान बाढ़ में यादव जाति के एक युवक की हत्या हुई तो आरोप लगा कि हत्या अनंत सिंह ने कराई है। तब लालू यादव ने अनंत सिंह के खिलाफ मोर्चा खोला तो चुनाव से पहले अनंत सिंह गिरफ्तार कर लिए गए थे। उसी अनंत सिंह को मुख्यमंत्री बनने की संभावना के लिए लालू-पुत्र तेजस्वी यादव ने टिकट दिया है। तेजस्वी यादव ने 2018 में अनंत सिंह को बैड एलिमेंट बताया था। अनंत सिंह ने पिछले साल बिहार पुलिस द्वारा गिरफ्तार होने के भय से दिल्ली के मनचाहा साकेत कोर्ट में समर्पण किया था और साकेत कोर्ट से इजाजत लेकर चार दशकों में पहली बार बाढ़ (बिहार) लाकर पुलिस ने उनसे पूछताछ की थी। अनंत सिंह से अपनी जान का खतरा बताते हुए सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी अभिताभ दास ने सुरक्षा की गुहार पुलिस महानिदेशक से लगाई थी। अभिताभ दास ने 2009 में बिहार पुलिस मुख्यालय को गोपनीय रिपोर्ट भेजी थी कि इनके पास एक-47 और एके-56 का जखीरा है। यह रिपोर्ट 10 सालों तक धूल फांकती रही। अगस्त 2019 में लागू हुए नए कानून यूएपीए (आतंकवाद एवं गैरकानूनी गतिविधि निरोध अधिनियम) के तहत देश का पहला कांड अनंत सिंह के विरुद्ध दर्ज हुआ था।
बाहुबली के विरुद्धसाधुछवि का उम्मीदवार
इस बार के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार ने अनंत सिंह के खिलाफ साधु छवि वाले नेता राजीव लोचन नारायण सिंह उर्फ अशोक नारायण को चुनाव के मैदान में उतारा है। हालांकि, बाहुबली अनंत सिंह को नीतीश कुमार ने 2005 में जदयू का टिकट दिया तो उन्होंने चुनाव में बहुचर्चित बाहुबली नेता सूरजभान सिंह को हराया था। अशोक नारायण के पिता वेंकटेश नारायण सिंह उर्फ बीनो बाबू का रिश्ता नीतीश कुमार से राजनीति की शुरुआत से ही है। बीनो बाबू ने नीतीश कुमार की चुनाव में सक्रिय होकर मदद की थी। बीनो बाबू का राजनीतिक रिश्ता अटल बिहारी वाजपेयी से भी था। जब प्रधानमंत्री के रूप में बाढ़ में एनटीपीसी का शिलान्यास करने वाजपेयी जी आए थे तो उन्होंने बीनो बाबू से अलग से मुलाकात की और उनके घर विश्राम भी किया था। राजीव लोचन नारायण सिंह चार दशक से भाजपा किसान मोर्चा में राज्य स्तर पद पर कार्य कर चुके हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि यह साधु छवि बाहुबली छवि के विरुद्ध मत में कितना परिवर्तित हो पाता है।
गजब की बीवी जोड़ी, सौतन और सगी बहन भी
बिहार विधानसभा में 28 विधायक यानी 11.7 फीसदी महिला हैं, जिनमें एक पूनम यादव की चर्चा बाहुबली पति के कारण और सगी बहन कृष्णा यादव की सौतन होने के कारण अधिक होती है। दोनों बहनें राजनीति में सक्रिय हैं। पूनम यादव जदयू में हैं और कृष्णा यादव राजद में। यह बिहार के जातीय समाज और राजनीति के लिए शोध का भी विषय है कि कैसे एक ही परिवार में दो धुर विरोधी राजनीतिक दलों, जदयू-राजद के सियासी चैसर की चाल चली जाती है और उनका सक्रिय क्रियान्वयन किया जाता है? पूनम यादव खगडिया विधानसभा क्षेत्र से चार बार विधायक रह चुकी हैं। पूनम यादव के पति 1990 में निर्दलीय विधायक चुने गए रणवीर यादव की पहचान बाहुबली नेता की है, जिन पर नरसंहार के आरोप हैं। दोषसिद्ध होने के बाद चुनाव नहीं लड़ सकने के कारण रणवीर यादव ने अपनी पत्नी को चुनावी मैदान में उतारा। इलाके में रणवीर यादव की तूती बोलती है, जिन्होंने दो शादियां की हैं। पहली पत्नी पूनम यादव हैं तो दूसरी पत्नी का नाम धाविका रहीं कृष्णा यादव हैं, जो पूनम यादव की छोटी सगी बहन हैं।
एक ही घर में जदयूराजद उम्मीदवारों की बनती है रणनीति
विधायक पूनम यादव जदयू में हैं तो कृष्णा यादव राजद में। हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी विरोधी गतिविधि के कारण राजद ने उन्हें निलंबित कर दिया था। लेकिन डेढ़ साल बाद अगस्त 2020 में उनका राजद में प्रवेश हो चुका है और उन्हें खगडिया जिला के किसी विधानसभा सीट से टिकट का प्रबल दावेदार भी माना जा रहा है। यदि कृष्णा यादव चुनाव के मैदान में उतरती हैं तो यह देखना फिर दिलचस्प होगा कि एक ही घर से जदयू और राजद के उम्मीदवारों की जीत के लिए किस तरह की रणनीति बनती है। रणवीर यादव की वजह से 2012 में नीतीश कुमार की किरकिरी हुई थी। 2012 में नीतीश अपनी अधिकार-यात्रा के दौरान खगडिया पहुंचे तो उनकी सभा में स्थानीय लोगों ने विरोध किया तो रणवीर यादव ने एक पुलिसकर्मी से कार्बाइन छीनकर फायरिंग कर दी थी। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। बाद में तत्कालीन जदयू अध्यक्ष शरद यादव ने रणवीर यादव को क्लीनचिट दे दी थी।
बिहार की सबसे अमीर विधायक हैं पूनम  
एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिसर्च की रिपोर्ट से यह जानकारी सामने आई है कि पूनम यादव बिहार की सबसे अमीर विधायक भी हैं। 2015 के विधानसभा चुनाव में बतौर जदयू प्रत्याशी पूनम यादव द्वारा दायर चुनावी हलफनामा उनके पास 41 करोड़ 34 लाख रुपये से ज्यादा की संपत्ति है। 2010 से 2015 के बीच उनकी संपत्ति में भारी इजाफा हुआ, क्योंकि 2010 में उनकी संपत्ति एक करोड़ 87 लाख रुपये के करीब थी। विधायक पूनम देवी की तरफ से चुनाव आयोग के लिए दाखिल चुनाव संबंधी हलफनामा में इसका उल्लेख है कि उनके पास 35 करोड़ रुपये की खेती की जमीन है। 2020 में अगर वह फिर विधायक चुना जाती हैं तो अगले पांच साल में उनकी संपत्ति में और क्वांटम जंप हो सकता है।
...और यह कविता, टिकट के लिए अशुभ मुहूर्त में की शादी
बिहार विधानसभा के चुनाव में सिवान जिला में सक्रिय एक और बाहुबली अजय सिंह की पत्नी चर्चा है, जो सिवान लोकसभा क्षेत्र से जदयू की सांसद हैं। पहले कविता सिंह सिवान के दरौंधा विधानसभा सीट से 2019 तक विधायक थी, जिस पर उनकी स्वर्गीय सास जगमातो देवी चुनाव लड़ती थीं। 2011 में जगमातो देवी के निधन के बाद दरौंधा से बाहुबली बेटा अजय सिंह ने दावेदारी पेश की, मगर नीतीश कुमार ने स्वीकार नहीं किया। अजय सिंह के सामने शर्त रखी गई कि शादी कर लो तो पत्नी को टिकट मिल जाएगा। उस समय पितृपक्ष था, जिसमें शुभ कार्य नहीं होता है। टिकट के लिए बिना मुहूर्त अजय सिंह ने कविता सिंह से शादी कर ली। शादी के बाद जदयू ने कविता सिंह को दरौंधा उपचुनाव का टिकट दिया और वह जीत गईं। जदयू ने 2019 के लोकसभा चुनाव में कविता सिंह को सिवान से उम्मीदवार बनाया गया, जो कभी तिहाड़ जेल में सजा काट रहे बहुचर्चित बाहुबली शहाबुद्दीन का गढ़ था। लोकसभा चुनाव में सिवान सीट से शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब उम्मीदवार थीं। बाहुबली पत्नियों के इस मुकाबले में कविता सिंह ने शहाबुद्दीन की पत्नी को एक लाख से अधिक मतों से हराया। कविता सिंह कई सामाजिक गतिविधियों में भी सक्रिय हैं, मगर बाहुबली पति अजय सिंह हर कार्यक्रम में साए की तरह साथ रहते हैं।

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