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विश्वमित्र

हे दीननाथ, हे विश्वमित्र, ये मूसलधार!

सुशील उपाध्याय भाषा का कोई भी दिग्गज और व्याकरण का माहिर व्यक्ति भाषा की गति और स्वयं को परिवर्तित करने की उसकी प्रकृति को नहीं रोक नहीं सकता। यह बात सभी भाषाओं पर समान रूप से लागू होती है और यदि कोई रोक सकता होता तो हिंदी से दीनानाथ शब्द को बाहर निकालना पड़ेगा। इस शब्द का अर्थ है, दीन-दुखियों…
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