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गुरु-पूर्णिमा

पत्र ‘गुरु’ होने का भार मेरे कंधे तोड़ देगा

डॉक्टर सुशील उपाध्याय।  प्रिय भाई दिनेश शर्मा जी, गुरु-पूर्णिमा पर आपने जो आदरसिक्त टिप्पणी प्रेषित की, उसे लेकर कुछ बातें कहने का मन है। आपकी उदार-दृष्टि के लिए आभारी हूं, लेकिन आपकी भावनाओं को यथारूप स्वीकार करने की स्थिति में नहीं हूं। आपने मुझे ‘गुरु’ शब्द से अभिसिक्त किया है, लेकिन…
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