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विचार

छिंदवाड़ा पर टिकी नजरें

कमलनाथ के गढ़ में भी सेंध लगाने का फुलप्रूफ प्लान तैयार भाजपा प्रदेश की सभी 29 सीटें कब्जाने को आजमाएगी हर पैंतरे जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को साधने के लिए कसावट जारी -राकेश प्रजापति, भोपाल। प्रदेश में भाजपा (BJP) को विधानसभा चुनाव में मिली जीत के बाद प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटों…
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क्यों उभर नहीं पा रही कांग्रेस!

कांग्रेस का जन्म 22 दिसंबर साल 1885 में एलन ऑक्टेवियन ह्यूम ने किए शुरुआत से करीब एक शताब्दी से ज्यादा समय तक गौरवशाली रहा है पार्टी का इतिहास साल 2014 के बाद से भाजपा के उदय के साथ लगातार गिर रहा कांग्रेस का ग्राफ -डॉ गोपाल नारसाज , रुड़की।       जिस भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का…
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भू कानून लाएगा ‘भूचाल’ !

उत्तराखंड वासियों ने की 1950 के भू कानून को लागू करने की बात सरकार नहीं जागी तो आगे व्यापक पैमाने पर होगा जन आंदोलन आंदोलन का नेतृत्व राज्य आंदोलनकारियों, महिलाओं, युवाओं और लोक कलाकारों ने संभाला -आसा असवाल, देहरादून। उत्तराखण्ड (Uttarakhand) राज्य की मांग सर्वप्रथम 1897 में उठी…
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उम्मीदों की नयी कोंपलें

धर्मपाल धनखड़  चुनावों में मोदी की गारंटी खूब चली और वे एक बार फिर सबसे बड़े परफोर्मर साबित हुए। इसके साथ ही अयोध्या में राम मंदिर काशी-विश्वनाथ, बद्रीनाथ और महाकाल जैसे धार्मिक स्थलों के पुनर्निर्माण से हिंदुत्व के मुद्दे को नयी धार मिली है। जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने से प्रधानमंत्री मोदी के…
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नया साल और नए संकल्प

रणविजय सिंह वर्ष 2023 खट्टी-मीठी यादों के साल के रूप में भविष्य में जाना जाएगा। देश से लेकर विदेश तक उथल-पुथल रहा। बावजूद अपने देश की अर्थ व्यवस्था कमोबेश ठीक ठाक ही रही। हां, उतार-चढ़ाव जरूर रहे लेकिन विश्व की घटनाओं का ज्यादा असर भारत में नहीं दिखा है। कुछ ऐसी भी घटनाएं रहीं जिसने मनुष्यता को…
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राम नाम की गूंज

नई पहचान बनाने को बेताब राम नगरी अयोध्या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक पर विकसित होने वाला अयोध्या पहला शहर श्री राम जी का मंदिर नफरत नहीं, बल्कि भाईचारे का प्रतीक -ममता सिंह, कार्यकारी संपादक। चहुंओर राम नाम की गूंज है। भला हो भी क्यों ना! राम तो हमारे आदर्श हैं। जी हां, हम बात कर रहे हैं…
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बच गया 2024 का जश्न!

व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा शुक्र है, नये साल का जश्न बच गया। 2024 चाहे कुछ भी लेकर आए, भारत में तो अब उसका स्वागत ही होगा। वर्ना नये साल के जश्न पर इस बार तो पाबंदी लग ही जानी थी। आखिरकार, अमृतकाल चल रहा है और अमृतकाल में गुलामी की कितनी सारी निशानियां मिटायी जा रही हैं। और तो और, पुरानी संसद से…
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बेबस कांग्रेस

कांग्रेस का स्वर्णिम काल और वर्तमान क्या परिवारवाद से उबर पायेगी पार्टी संगठन की जरूरत नहीं कहां गया कांग्रेस सेवा दल ठीक 20 साल पहले भी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में हुए विधानसभा चुनावों में हार का सामना करना पड़ा था। उस वक्त हमें सिर्फ़ दिल्ली…
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कर्ज से बंटेगी ‘रेवड़ी’

विधानसभा के हाल के चुनावों में मतदाताओं को तरह-तरह के वादे किए गए। इसे देश की सर्वोच्च न्यायालय ने भी गंभीरता से लिया और कहा कि वित्तीय हालात की दृष्टि से यह ठीक नहीं है। अब जबकि राज्यों में नई सरकार आ गई है, खासकर मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में लोगों को मुफ्त की रेवड़ियां बांटना आसान नहीं…
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