Browsing Category

विचार

प्रोटोकॉल कोरोना का!

हे कोरोना! तुम लोकतंत्र में क्या एकदम विश्वास नहीं रखते? तुम्हारी हरकतें तो कुछ ऐसी ही हैं! बिहार के लोगों ने तुम्हें चुनौती दे दी है। वह चुनावी रैलियों में हजारों-लाखों की संख्या में जुटें। उन्होंने प्रोटोकॉल तोड़कर मास्क भी नहीं बांधा। 2 गज की दूरी भी नहीं रखी। अब कितनों को मारोगे! हत्यारे कोरोना!…
Read More...

मुख्यमंत्री ने संभाली कमान

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अब खुद ही पूरे प्रदेश का दौरा करेंगे और सीधे तौर पर वहां के लोगों से जुड़ेंगे और जमीनी तस्वीर जानेंगे। दरअसल, भाजपा हाईकमान भी काफी लंबे समय से यह चाह रहा है कि सरकार जनता के पास जाए, लोगों की समस्याओं को जानें और उसका समाधान निकालें ।मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत…
Read More...

ओह! निर्भया!

विरेंद्र सेंगर हम जानते हैं तुम्हारा यह असली नाम नहीं है। तुम बार-बार चीत्कार करोगी, मरोगी भी। मरने के बाद तुम वाकई में निर्भया हो जाओगी। तुमसे सालों पहले राष्ट्रीय राजधानी में कुछ इंसानी राक्षसों ने भयानक दरिंदगी करने के बाद उसे लहूलुहान करके छोड़ दिया था। अंततः उसने सिंगापुर के एक अस्पताल में दम…
Read More...

कब बनेगा अपराधमुक्त समाज

हाथरस और कुडलूर की घटनाएं केवल अपराध नहीं, बल्कि जुल्म की श्रेणी में आती है। इन दोनों घटनाओं में सवर्ण और दलित तथा अमीर और गरीब का भेद साफ दिखता है...
Read More...

गलती किसी की सजा किसी को

या तो औरत को हम देवी मानते हैं या फिर कोई वस्तु। खिलौना नहीं है वह। वह हाड़ मांस का जीव है। उसकी भी धड़कन है। वह जिसके लिए धड़कती है उसके सिवाय किसी को हाथ लगाने का हक नहीं है उसे...
Read More...

नवरात्र : महिलाओं के सम्मान का प्रतीक 

पं. ओमप्रकाश चतुर्वेदी, बनारस भगवान आदि शंकराचार्य विरचित-विश्व साहित्य के अमूल्य एवं दिव्यतम ग्रन्थ ‘सौंदर्य लहरी’ में माता पार्वती के पूछने पर भगवान शंकर नवरात्र का परिचय इस प्रकार देते हैं- ‘नवशक्ति भिः संयुक्तम् नवरात्रंतदुच्यते। एकैवदेव देवेशि नवधा परितिष्ठता’’।। अर्थात् नवरात्र नौ शक्तियों…
Read More...

बापू होते तो चुप न बैठते

आज गांधीजी होते तो क्या करते? यह सवाल हर संकट के समय उठता है। शायद इसलिए उठता है क्योंकि हम उसमें से कोई रास्ता निकलता देखते हैं। हम चाहते हैं कि बापू अब भी हमें कोई रास्ता दिखाएं। शायद इसीलिए आज भी हम कोई आंदोलन करते हैं तो राजघाट जाने की इच्छा होती है...
Read More...

कृषि सुधारों का विरोध! 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ये मान चुके हैं कि सरकार इन बिलों से होने वाले फायदे किसानों को नहीं समझा पायी है। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से छोटे किसानों से मिलकर नये कानूनों के फायदे समझाने की अपील की है। खैर, देर आयद, दुरुस्त आयद
Read More...

लोकतंत्र ‘शोर’ के कंधों पर!

इन दिनों संसद से सड़क तक ध्वनि मत का मुद्दा ही जेर-ए-बहस है। हुआ यह कि राज्यसभा यानी सयाने सांसदों के सदन में ध्वनि का ही राष्ट्रीय पंगा हो गया। मनुहार के लिए किसानों को तरह-तरह के लुभावने पैकेज दिये जा रहे हैं। इस साल की एमएसपी महीनों पहले ही बढ़े दामों में घोषित हो गयी। लेकिन हंगामा बरपा है...…
Read More...