छात्र-छात्राओं के लिए स्वरोजगार के खुलेंगे द्वार

अल्मोड़ा। सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय (एसएसजे विवि) के छात्र-छात्राओं के लिए एक नई पहल की जा रही है, जिसके तहत अब उन्हें पढ़ाई के साथ-साथ स्वरोजगार के नए अवसर प्राप्त होंगे। आगामी शिक्षा सत्र से वानिकी विभाग के विद्यार्थी नर्सरी प्रबंधन की बारीकियों को सीखेंगे और उन्हें पौधों की नर्सरी तैयार करने, बीज संरक्षण, उन्नत किस्मों की पहचान, और पर्यावरण अनुकूल खेती का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य न केवल छात्रों को व्यावहारिक शिक्षा प्रदान करना है, बल्कि उन्हें स्वरोजगार से भी जोड़ना है, जिससे वे अपने क्षेत्र में ही रोजगार के अवसर पा सकें।

नर्सरी प्रबंधन में मिलेगा प्रशिक्षण

इस शैक्षिक सत्र में वानिकी विभाग के विद्यार्थियों को “नर्सरी प्रौद्योगिकी” में प्रशिक्षित किया जाएगा। पहले और दूसरे सेमेस्टर में प्रशिक्षण लेने के बाद, विद्यार्थी खुद की नर्सरी तैयार कर सकेंगे और स्थानीय बाजारों में पौधों की आपूर्ति कर या सरकारी योजनाओं से जुड़कर स्वरोजगार स्थापित कर सकेंगे। इस पाठ्यक्रम के तहत उन्हें नर्सरी प्रबंधन, पौधों की उचित देखभाल, उन्नत किस्मों का चयन, और बीज संरक्षण के बारे में जानकारियां दी जाएंगी। इसके साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि छात्र-छात्राएं इन विषयों में उत्तीर्ण हों ताकि वे व्यावसायिक दृष्टिकोण से सक्षम हो सकें।

स्वरोजगार के अवसर और रोजगार सृजन

यह पहल छात्रों के लिए स्वरोजगार के नए द्वार खोलेगी। नर्सरी प्रबंधन के प्रशिक्षण के बाद, विद्यार्थी स्वयं नर्सरी स्थापित कर अपने व्यवसाय को आगे बढ़ा सकते हैं। इससे उन्हें सिर्फ आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिलेगा, बल्कि इस क्षेत्र में अन्य बेरोजगार युवाओं के लिए भी रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे। डीन एकेडमिक प्रो. अनिल यादव ने बताया कि इस पहल के तहत विद्यार्थियों को दो क्रेडिट मिलेंगे, और उन्हें नर्सरी प्रबंधन का पूरा प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके बाद, उन्हें स्थानीय स्तर पर रोजगार पाने में आसानी होगी, जिससे क्षेत्र में पलायन की समस्या पर भी अंकुश लगेगा।

पौधरोपण और औषधीय पौधों का प्रशिक्षण

वानिकी विभाग के विद्यार्थियों को अगले सेमेस्टर में पौधरोपण तकनीक, औषधीय और सुगंधित पौधों के प्रवर्धन का भी प्रशिक्षण दिया जाएगा। विद्यार्थियों को इस विषय में तना, जड़, कलम, राइजोम आदि से नए पौधे तैयार करने की तकनीक सिखाई जाएगी। इस प्रशिक्षण से वे नए पौधों का प्रचार-प्रसार कर सकेंगे और क्षेत्र के विकास में भी योगदान देंगे। इसके अलावा, क्षेत्र में रोजगार उपलब्ध होने से पलायन की प्रवृत्ति पर भी रोक लगने की संभावना है, जिससे क्षेत्रीय विकास को बल मिलेगा।

स्मार्ट कोर्स और क्षेत्रीय विकास

यह पहल न केवल विद्यार्थियों के लिए स्वरोजगार के अवसर पैदा करेगी, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करेगी। जब विद्यार्थी खुद की नर्सरी तैयार करेंगे, तो यह स्थानीय बाजार में पौधों की मांग को पूरा करेगा, जिससे स्थानीय व्यवसाय को भी बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा, सरकारी योजनाओं के तहत भी नर्सरी से पौधे तैयार कर सरकारी परियोजनाओं में योगदान दिया जा सकेगा, जिससे समाज को फायदा होगा।

निष्कर्ष

सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय का यह कदम छात्रों के भविष्य को सशक्त बनाने के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। विद्यार्थियों को नर्सरी प्रबंधन और पौधरोपण तकनीकों का प्रशिक्षण देकर उन्हें स्वरोजगार से जोड़ने की यह पहल न केवल उनके लिए लाभकारी होगी, बल्कि क्षेत्र के विकास में भी अहम भूमिका निभाएगी। साथ ही, यह क्षेत्रीय पलायन को रोकने में भी सहायक सिद्ध हो सकता है। ऐसे कौशल संवर्धन पाठ्यक्रम अन्य विश्वविद्यालयों के लिए भी एक उदाहरण बन सकते हैं, जिससे पूरे प्रदेश में स्वरोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

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