असम के धुबरी में बकरीद के बाद तनाव: सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने दिए ‘देखते ही गोली मारने’ के आदेश

धुबरी(असम)। असम के धुबरी जिले में बकरीद के बाद से सांप्रदायिक तनाव की स्थिति बनी हुई है। इस तनाव के बीच मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कथित तौर पर पुलिस को “देखते ही गोली मारने” (शूट एट साइट) के आदेश जारी किए हैं। यह निर्देश उन कथित उग्रवादी तत्वों के खिलाफ है, जिन्हें मंदिरों के पास गोमांस फेंकने और बांग्लादेश मुक्ति आंदोलन के पोस्टर लगाने जैसे उकसावेपूर्ण कृत्यों के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। इस मामले ने पूरे राज्य में हलचल मचा दी है और कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्या है पूरा मामला?
हाल के दिनों में, धुबरी जिले में कुछ घटनाओं ने सांप्रदायिक तनाव को हवा दी है। X पर उपलब्ध पोस्ट्स के अनुसार, बकरीद के बाद लगातार दो-तीन दिनों तक हनुमान मंदिर के पास गोमांस और गाय के सिर फेंके जाने की घटनाएं सामने आई हैं। इसके अलावा, बांग्लादेश मुक्ति आंदोलन से संबंधित पोस्टर और “जॉय बांग्ला” जैसे नारे भी देखे गए हैं। इन घटनाओं को स्थानीय हिंदू समुदाय के खिलाफ उकसावे के रूप में देखा जा रहा है।
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने स्वयं X पर एक पोस्ट में कहा, “धुबरी में एक विशेष वर्ग हमारे मंदिरों को क्षति पहुंचाने की नीयत से सक्रिय हो चुका है। हमने शूट एट साइट आदेश जारी किए हैं।” इसके साथ ही, उन्होंने अगली बकरीद के दौरान पूरी रात धुबरी में रहने की घोषणा की है, ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
स्थानीय पुलिस और प्रशासन ने इन घटनाओं के बाद कार्रवाई शुरू कर दी है। हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि कितने लोगों को गिरफ्तार किया गया है या कितने मामले दर्ज किए गए हैं। कुछ X पोस्ट्स में दावा किया गया है कि ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) के छात्र नेताओं ने भी इन उकसावेपूर्ण कृत्यों में हिस्सा लिया है, लेकिन इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
मुख्यमंत्री का रुख और विवाद
हिमंत बिस्वा सरमा का यह कड़ा रुख असम में घुसपैठ और सांप्रदायिक मुद्दों पर उनकी पहले से चली आ रही नीतियों का हिस्सा माना जा रहा है। इससे पहले भी, सरमा ने अवैध घुसपैठियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कही थी। बकरीद के दौरान अवैध कुर्बानी के मामले में 16 लोगों की गिरफ्तारी की खबर भी सामने आई थी।
हालांकि, “शूट एट साइट” जैसे आदेश ने कई सवाल खड़े किए हैं। कुछ लोग इसे कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए जरूरी कदम मान रहे हैं, जबकि अन्य इसे मानवाधिकारों का उल्लंघन और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देने वाला कदम बता रहे हैं। विपक्षी दलों, विशेष रूप से कांग्रेस और AIUDF, ने सरमा की नीतियों पर सांप्रदायिक हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है।
धुबरी का संदर्भ और संवेदनशीलता
धुबरी असम का एक सीमावर्ती जिला है, जो बांग्लादेश से सटा हुआ है। यह क्षेत्र लंबे समय से नागरिकता और जातीय पहचान जैसे मुद्दों को लेकर संवेदनशील रहा है। हाल ही में, असम में बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ कार्रवाई और नागरिकता से जुड़े विवादों ने इस क्षेत्र को और जटिल बना दिया है।
धुबरी में सांप्रदायिक तनाव की घटनाएं नई नहीं हैं। 2021 में भी, असम में अवैध अतिक्रमण के खिलाफ अभियान के दौरान हिंसक झड़पें हुई थीं, जिनमें बंगाली मूल के मुसलमानों को निशाना बनाए जाने का आरोप लगा था।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
धुबरी के स्थानीय निवासियों में इन घटनाओं को लेकर गुस्सा और डर का माहौल है। कुछ लोगों का मानना है कि ये उकसावेपूर्ण कृत्य सुनियोजित तरीके से किए गए हैं, जबकि अन्य का कहना है कि ऐसी कार्रवाइयों से समुदायों के बीच अविश्वास बढ़ेगा। X पर कुछ यूजर्स ने इसे “सांप्रदायिक साजिश” करार दिया है, जबकि अन्य ने पुलिस और प्रशासन से निष्पक्ष जांच की मांग की है।
आगे की राह
मुख्यमंत्री के “शूट एट साइट” आदेश और धुबरी में बढ़ते तनाव ने असम की कानून-व्यवस्था की स्थिति पर सवाल उठाए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के कठोर कदम तात्कालिक तनाव को कम करने में प्रभावी हो सकते हैं, लेकिन लंबे समय में ये सांप्रदायिक सद्भाव को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
पुलिस ने जांच तेज कर दी है और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर संदिग्धों की पहचान की जा रही है। हालांकि, अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है कि कुल कितने लोगों को हिरासत में लिया गया है या इस मामले में कितने FIR दर्ज किए गए हैं।

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