देहरादून। राज्य की प्रतिष्ठित चारधाम यात्रा में इस बार श्रद्धालुओं की आस्था के साथ-साथ उनके स्वास्थ्य और सुरक्षा को भी सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग ने संभावित स्वास्थ्य जोखिमों को ध्यान में रखते हुए यात्रा मार्ग पर त्रिस्तरीय स्वास्थ्य सेवाएं सशक्त रूप से स्थापित की हैं।
स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के निर्देशन में राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने यात्रा मार्ग पर स्वास्थ्य सेवाओं की ऐसी प्रभावशाली व्यवस्था की है, जिसके तहत अब तक 5 लाख से अधिक श्रद्धालुओं की स्वास्थ्य जांच (स्क्रीनिंग) की जा चुकी है। स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि चारधाम यात्रा में ऊंचाई, ठंड और ऑक्सीजन की कमी स्वास्थ्य संबंधी गंभीर जोखिम बन सकती है। इसी को ध्यान में रखते हुए इस बार स्वास्थ्य सेवाओं को त्रिस्तरीय स्तर पर सशक्त बनाया गया है।
यात्रा मार्ग पर सशक्त स्वास्थ्य ढांचा
स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि राज्य सरकार की प्राथमिकता इस वर्ष केवल तीर्थयात्रियों की संख्या ही नहीं, बल्कि प्रत्येक श्रद्धालु की सुरक्षा और स्वास्थ्य सुनिश्चित करना है। इसके लिए हम तकनीक, विशेषज्ञता और मानव संसाधन तीनों पर समांतर रूप से कार्य कर रहे हैं।
रुद्रप्रयाग, चमोली और उत्तरकाशी जैसे चारधाम जिलों में इस बार 49 स्थायी स्वास्थ्य केंद्र और 20 मेडिकल रिलीफ पोस्ट को सक्रिय किया गया है। वहीं ट्रांजिट जिलों–हरिद्वार, देहरादून, टिहरी और पौड़ी – में भी मजबूत स्वास्थ्य व्यवस्थाएं सुनिश्चित की गई हैं। यात्रा प्रारंभ बिंदुओं पर 57 स्क्रीनिंग कियोस्क लगाए गए हैं, जिनमें हरिद्वार और ऋषिकेश में 2-2, विकासनगर में 2 और पौड़ी के कालियासौड़ में 1 नया स्क्रीनिंग सेंटर जोड़ा गया है।
17 बेड का नया अस्पताल
केदारनाथ धाम में श्रद्धालुओं की सुविधा हेतु इस बार एक 17 बेड का नया अस्पताल भी सेवा में लाया गया है। विशेषज्ञ डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की रिकॉर्ड तैनाती चारधाम यात्रा मार्ग पर इस बार मानव संसाधन की तैनाती सरकार की गंभीरता को दर्शाती है। 31 विशेषज्ञ डॉक्टर, 200 मेडिकल ऑफिसर, 381 पैरा-मेडिकल स्टाफ यात्रा मार्ग पर तैनात किए गए हैं। इसके अलावा प्रति रोस्टर 24 अतिरिक्त मेडिकल ऑफिसर (कुल 336) 35 पारा-मेडिकल स्टाफ (कुल 420) भी शामिल हैं। विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती में 47 विशेषज्ञ राज्य स्वास्थ्य सेवा से, 13 विशेषज्ञ भारत सरकार से, और 5 विशेषज्ञ निजी मेडिकल कॉलेजों से लिए गए हैं।
उच्च जोखिम वाले श्रद्धालुओं की पहचान और काउंसलिंग
अब तक की गई स्क्रीनिंग में कई श्रद्धालु हाई ब्लड प्रेशर, सांस संबंधी समस्याएं या अन्य स्वास्थ्य स्थितियों से ग्रस्त पाए गए हैं। करीब 29 श्रद्धालुओं को आगे यात्रा न करने की सलाह देकर उन्हें सुरक्षा के दृष्टिकोण से वापस भेजा गया। वहीं, 369 श्रद्धालुओं को एंबुलेंस से और 33 को हेली एंबुलेंस सेवा से रेफर कर इलाज के लिए भेजा गया।
ट्रेनिंग, जागरूकता और जनसहभागिता को प्राथमिकता
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग ने केवल मेडिकल स्टाफ ही नहीं, बल्कि होटल, धर्मशाला स्टाफ, खच्चर चालकों और कुलियों को भी प्रशिक्षित किया है ताकि वे हाई रिस्क लक्षणों को पहचान सकें और समय पर रेफरल सुनिश्चित कर सकें। साथ ही, हाइपोथर्मिया जैसे जोखिम से बचाव हेतु भी विशेष जागरूकता अभियान चलाया गया है।
यात्रा मार्ग पर डिजिटल सतर्कता
ई-स्वास्थ्यधाम” पोर्टल के माध्यम से स्वास्थ्य डेटा की निगरानी और आपात स्थिति की त्वरित प्रतिक्रिया संभव हो पाई है। इसके लिए चारधाम जिलों को 50 टैबलेट दिए गए हैं, जिससे सभी स्क्रीनिंग और मेडिकल रिलीफ पोस्ट पर डेटा डिजिटल रूप से संकलित हो रहा है। 13 भाषाओं में तैयार पर्चे, होर्डिंग्स और जानकारी संबंधित सामग्री को स्क्रीनिंग प्वाइंट्स और होटलों में वितरित किया गया है। इसके अलावा 154 एंबुलेंस और हेली सेवा हर समय तत्पर हैं।