28 जुलाई को केरल में ज्ञान सभा आयोजित करेगा न्यास

संघ प्रमुख डॉ मोहन भागवत के सानिध्य में होगा ज्ञान सभा का आयोजन

राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत की ज्ञान परंपरा, सांस्कृतिक चेतना का उद्घोष है – डॉ कोठारी

भारतीय ज्ञान परंपरा से सिंचित राष्ट्रीय शिक्षा नीति से पुनः भारत बनेगा विश्व गुरु – डॉ अतुल कोठारी

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास की दो दिवसीय राष्ट्रीय प्रांत संयोजक बैठक संपन्न

जबलपुर। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, केवल एक नीतिगत दस्तावेज नहीं, बल्कि भारत के ज्ञान-विवेक, सांस्कृतिक चेतना और आत्मनिर्भरता के संकल्प का घोष है। यह नीति हमें हमारी जड़ों से जोड़ती है और भविष्य की ओर मार्ग प्रशस्त करती है। यह बात शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास एवं प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस, जबलपुर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित व्याख्यान को संबोधित करते हुए शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव डॉ अतुल कोठारी ने कही। उन्होंने भारतीय ज्ञान परंपरा का उल्लेख करते हुए कहा कि – भारत में शिक्षा का उद्देश्य केवल जीविकोपार्जन नहीं था, बल्कि मनुष्य को ‘पूर्ण मानव’ बनाने का माध्यम था। तक्षशिला, नालंदा, वल्लभी और विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालयों की परंपरा ने पूरे विश्व को यह दिखाया कि ज्ञान किस प्रकार जीवन के प्रत्येक पक्ष को प्रभावित करता है।

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास की वार्षिक प्रांत संयोजक बैठक इस वर्ष 24-25 मई 2025 को शासकीय श्रमोदय आवासीय विद्यालय, जबलपुर में संपन्न हुई। इस महत्वपूर्ण बैठक में देशभर के 40 प्रांतों से लगभग 170 से अधिक संयोजक, सह-संयोजक, क्षेत्रीय व राष्ट्रीय पदाधिकारी ने सहभागिता की। बैठक में मुख्य रूप से न्यास के राष्ट्रीय सचिव डॉ अतुल कोठारी सहित देश के कई कुलपति, निदेशक, शिक्षण संस्थानों के प्रमुख विशेष रूप से उपस्थित थे।

बैठक के पूर्व दिवस, 23 मई को राष्ट्रीय संचालन समिति की बैठक आयोजित की गई जिसमें ‘एक राष्ट्र एक नाम : भारत’ अभियान की प्रगति, समाज में उसका प्रभाव एवं आगामी योजना पर गहन चर्चा हुई। डॉ कोठारी ने कहा कि यह केवल नाम का विषय नहीं, बल्कि सांस्कृतिक आत्मबोध और औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्ति का संकल्प है। इस दिशा में देशभर में एक राष्ट्रव्यापी हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा है। बैठक में प्रयागराज में आयोजित ज्ञान महाकुंभ की समीक्षा भी की गई। उन्होंने कहा कि ज्ञान महाकुंभ एक ऐतिहासिक आयोजन रहा, जिसकी सफलता ने आने वाले 2027 एवं 2028 के कुंभ आयोजन के लिए भी न्यास को ज्ञान महाकुंभ आयोजित करने का आमंत्रण मिला है।

इस दो दिवसीय प्रांत संयोजक बैठक में हर 5 वर्ष में आयोजित होने वाली न्यास की चिंतन बैठक केरल के कालडी में 25-27 जुलाई 2025 को आयोजित होना है। इस चिंतन बैठक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहनराव भागवत इस तीन दिवसीय चिंतन बैठक में सहभागिता करेंगे। चिंतन बैठक में न्यास के पिछले 5 वर्षों में किए गए कार्य की समीक्षा तथा आगामी 5 वर्ष की योजना पर न्यास के प्रमुख दायित्ववान कार्यकर्ता उपस्थित रहेंगे। इसी के साथ 28 जुलाई को “ज्ञान सभा : विकसित भारत हेतु शिक्षा” आयोजन होना तय किया गया है। इस ज्ञान सभा में देश में विभिन्न सकारात्मक प्रयोग कर रहे संगठन, शिक्षाविद, संस्थानों के प्रमुख, कुलपति, निदेशक आदि सहभागिता करेंगे।

प्रयागराज में आयोजित हुए ज्ञान महाकुंभ में पारित किए गए 8 विषयों पर आधारित संकल्प पत्र को समाज के बीच ले जाने के लिए, न्यास के स्थापना दिवस 2 जुलाई से 17 जुलाई तक अभियान चलाया जाएगा। यह संकल्प पत्र आत्मनिर्भर भारत, भारतीय ज्ञान परम्परा, निजी शिक्षण संस्थानों की भूमिका, शिक्षा में शासन-प्रशासन की भूमिका आदि विषयों पर सर्व सहमति से संकल्प पत्र पारित किए गए थे।

देशभर के 40 से अधिक प्रांतों में प्रांत बैठकें आयोजित कर उपरोक्त निर्णयों को न्यास के विद्यालय, महाविद्यालय तक की छोटी इकाई तक पहुँचाया जाएगा। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास 19 विषयों पर कार्य कर रहा है, जिनकी वर्ष में एक बार अखिल भारतीय बैठक आयोजित होती है, जिनकी तिथियाँ भी इस बैठक में निश्चित की गई।

इस बैठक में भारतीय ज्ञान परम्परा, पर्यावरण संरक्षण, भारतीय भाषाओं के संवर्धन तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के पूर्ण क्रियान्वयन जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गई। डॉ कोठारी ने इस विषय पर कहा कि जब तक राष्ट्रीय शिक्षा नीति संपूर्ण राष्ट्र में प्रभावी ढंग से लागू नहीं होती, तब तक न्यास अपने अभियान को निरंतर जारी रखेगा।

इस बैठक में मुख्य रूप से मध्यप्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी के संचालक श्री अशोक कड़ेल, गुरु घसीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिलासपुर के कुलपति प्रो आलोक चक्रवाल, आईआईटी भिलाई के निदेशक प्रो राजीव प्रकाश, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर के कुलगुरु प्रो राजेश वर्मा, स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय, सागर के कुलाधिपति डॉ अजय तिवारी, अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो राजेंद्र कुरारिया, झारखंड राय विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो सविता सेंगर, छपरा विश्वविद्यालय, बिहार के कुलपति प्रो प्रमेंद्र बाजपेई ज़ी , मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ प्रकाश बरतूनिया, न्यास के ए विनोद, सुरेश गुप्ता, जगराम, संजय स्वामी, ओम शर्मा विशेष रूप से उपस्थित थे।

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