पाकिस्तान की युद्धविराम ‘हिमाकत’ – क्या है इस बार की रणनीति?
18 मई तक सीजफायर की घोषणा के बावजूद LoC पर तनाव बरकरार, क्या यह पाकिस्तान की एक और रणनीतिक चाल है?
सत्यनारायण मिश्र
पाकिस्तान ने 18 मई 2025 तक भारत के साथ युद्धविराम की घोषणा की, लेकिन नियंत्रण रेखा (LoC) पर बार-बार उल्लंघन और हालिया घटनाओं ने इस वादे की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए हैं। 10 मई को अमेरिकी मध्यस्थता के बाद बनी सीजफायर सहमति को उसी रात तोड़ने के बाद, क्या यह नई घोषणा शांति की ओर कदम है या फिर एक और छलावा? LoC पर तनाव, दोनों देशों के बीच बढ़ती बयानबाजी, और पाकिस्तान की कथित आतंकवाद समर्थन नीति ने भारत को सतर्क रहने के लिए मजबूर किया है। यह सवाल उठता है कि क्या पाकिस्तान की यह ‘हिमाकत’ भारत के खिलाफ एक बड़े भू-राजनीतिक खेल का हिस्सा है?
मुख्य तथ्य:
पृष्ठभूमि: 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 25 भारतीय और एक नेपाली पर्यटक मारे गए। भारत ने इसके लिए पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) को जिम्मेदार ठहराया, जिसे लश्कर-ए-तैयबा का सहयोगी माना जाता है। पाकिस्तान ने इन आरोपों से इनकार किया।
ऑपरेशन सिंदूर: 7 मई को भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और PoK में नौ आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए, जिसमें 31 लोग मारे गए। पाकिस्तान ने दावा किया कि ये नागरिक क्षेत्र थे। जवाब में, पाकिस्तान ने भारतीय सैन्य ठिकानों पर ड्रोन और मिसाइल हमले किए, जिससे दोनों देशों में 66 नागरिकों की मौत हुई।
10 मई का उल्लंघन: अमेरिकी दबाव में दोनों देशों ने 10 मई को युद्धविराम पर सहमति जताई, लेकिन उसी रात श्रीनगर और जम्मू में विस्फोटों की खबरें आईं। भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने पाकिस्तान पर समझौते को तोड़ने का आरोप लगाया, जबकि पाकिस्तान ने भारत को उल्लंघन के लिए जिम्मेदार ठहराया।
नई घोषणा: 15 मई को पाक विदेश मंत्री इशाक डार ने 18 मई तक युद्धविराम की घोषणा की, जिसे 16 मई को दोनों देशों के डीजीएमओ की बातचीत के बाद रविवार तक बढ़ाया गया। भारत ने इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया, लेकिन सेना को हाई अलर्ट पर रखा है।
ताजा स्थिति: 19 मई को अल जजीरा ने बताया कि LoC पर रातभर गोलीबारी के बाद रविवार सुबह शांति रही, लेकिन स्थानीय लोग अनिश्चितता में हैं। भारतीय सेना ने पाकिस्तान को चेतावनी दी कि किसी भी उल्लंघन का “मुंहतोड़ जवाब” दिया जाएगा।
विश्लेषण:
पाकिस्तान का बार-बार युद्धविराम तोड़ना और नई घोषणाएं करना एक पुराना पैटर्न है। 2003 के सीजफायर से लेकर 2021 तक, आतंकी घुसपैठ और गोलीबारी ने शांति को कमजोर किया। रक्षा विशेषज्ञ अजय साहनी के हवाले कहा गया है कि “पाकिस्तान यह दिखाने की कोशिश कर रहा है कि वह शांति चाहता है, लेकिन उसकी आतंकवाद समर्थन नीति जमीनी हकीकत को उजागर करती है।”
पाकिस्तान की आर्थिक तंगी (IMF के $7 बिलियन बेलआउट पर निर्भरता) और वैश्विक मंच पर अलग-थलग पड़ना उसे युद्धविराम के लिए मजबूर कर सकता है। दूसरी ओर, भारत ने साफ कर दिया है कि वह आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 मई को कहा, “आतंकी हमले का जवाब देने में भारत पीछे नहीं हटेगा, चाहे पाकिस्तान का परमाणु ब्लैकमेल हो।”
भारत ने इंडस वाटर ट्रीटी को निलंबित रखा और अटारी-वाघा बॉर्डर पर चेकपोस्ट बंद कर दिया, जिससे पाकिस्तान पर आर्थिक दबाव बढ़ा। पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार ने भारत के हमलों को “गैर-जिम्मेदाराना” बताया, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान की सैन्य प्रतिक्रिया भारत की पारंपरिक सैन्य श्रेष्ठता को चुनौती देने में नाकाम रही।
आम जनता की राय (X से):
X पर यूजर्स ने पाकिस्तान की सीजफायर घोषणा को “नौटंकी” करार दिया।
एक यूजर
ने लिखा, “पाकिस्तान का सीजफायर दो घंटे भी नहीं टिका। भारत ने सेना को खुली छूट दी है, अब देखें पाक क्या करता है।”
एक अन्य यूजर
ने इसे “घटिया देश का घटियापन” बताया। कुछ यूजर्स ने दोनों देशों से बातचीत की मांग की, लेकिन ज्यादातर ने भारत के सख्त रुख का समर्थन किया।
अंतरराष्ट्रीय भूमिका:
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सीजफायर को अपनी मध्यस्थता का परिणाम बताया, लेकिन भारत ने इसे द्विपक्षीय मुद्दा करार देते हुए अमेरिकी भूमिका को खारिज किया। चीन ने दोनों देशों के बीच “रचनात्मक भूमिका” की पेशकश की, जबकि संयुक्त राष्ट्र ने अधिकतम संयम बरतने की अपील की।
आगे क्या?
18 मई तक का युद्धविराम कितना टिकेगा, यह भारत-पाकिस्तान की सैन्य और कूटनीतिक कार्रवाइयों पर निर्भर करता है। भारतीय सेना के एक अधिकारी के मुताबिक “हमारी सेना हाई अलर्ट पर है और किसी भी उकसावे का जवाब देने को तैयार है।” पाकिस्तान को अपनी विश्वसनीयता साबित करने की चुनौती है, जबकि भारत ने साफ कर दिया है कि आतंकवाद के खिलाफ उसका “नया सामान्य” अब गहरा और सख्त जवाब होगा। अंतरराष्ट्रीय समुदाय, खासकर अमेरिका और चीन, इस स्थिति पर नजर रखे हुए है, लेकिन भारत की नीति स्पष्ट है: “शांति हमारी प्राथमिकता है, लेकिन आतंकवाद बर्दाश्त नहीं।”
निष्कर्ष: पाकिस्तान की युद्धविराम घोषणा एक बार फिर सुर्खियों में है, लेकिन LoC पर बार-बार उल्लंघन और आतंकवाद के मुद्दे ने इसे अविश्वसनीय बना दिया है। क्या यह सीजफायर शांति की ओर ले जाएगा, या फिर यह एक और टूटी हुई उम्मीद साबित होगी? अगले कुछ दिन निर्णायक होंगे।