डॉ रवि शरण दीक्षित
भारतीय संविधान अपनी प्रारंभिक मूल विशेषताओं के साथ पूरे विश्व में अलग पहचान के साथ विख्यात है l
समय-समय पर संवैधानिक संशोधन इसको और सशक्त करते हैं, वर्तमान में संविधान में 129 वां संशोधन 2024 देश में चुनाव प्रक्रिया में सुधार लाने के लिए एक बड़ी पहल के रूप में देखा जा रहा है, पूर्व राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने भारत सरकार के विकसित भारत के विजन को आगे बढ़ते हुए इस सुधारो की दिशा में काम करते हुए अपनी रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी है
संविधान का 129 वां संशोधन विधेयक 2024 देश की चुनाव प्रक्रिया में सुधार लाने के लिए एक बड़ी पहल है जो देश को एक विकसित राष्ट्र के रूप में स्थापित करने में भी सहायक होगी उद्देश्य मूलत यह है कि सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव को लोकसभा चुनाव के साथ समन्वित किया जाए किया जा सके समिति द्वारा दी गई रिपोर्ट में नया अनुच्छेद 82 A जोड़ने तथा अनुच्छेद 83,172 और 327 मैं संशोधन के प्रस्ताव हैं, उच्च सदस्य समिति ने 62 राजनीतिक दलों से इस प्रस्ताव पर सुझाव मांगा, जिसमें से 47 राजनीतिक दल द्वारा अपने सुझाव दिए गए हैं,और उनमें से 32 दलों द्वारा एक साथ चुनाव पर सहमति दी गई है,कुल जनता की मिलाकर 83% प्रतिक्रियाओं ने प्रस्ताव का समर्थन किया है इस पूरी प्रक्रिया में एक बहुत महत्वपूर्ण पक्ष है जिसको जन सामान्य को समझने की आवश्यकता है
एक राष्ट्र एक चुनाव जैसा विचार नया नहीं है लोकसभा तथा राज्यसभा के चुनाव 1952,1957, 1962, और 1967 में एक साथ पहले भी कराये जा चुके हैं और कहीं ना कहीं या बात स्पष्ट रूप से प्रदर्शित भी करती है कि नीतिगत रूप से यह निर्णय हमारे संवैधानिक संरचना के समर्थन में प्रतीत होता है
भारत जैसे विशाल देश में एक साथ चुनाव होने से जनकल्याण जैसी नीतियों और सामाजिक सरोकार के विषयों पर और प्रभाव तरीके से काम होने की संभावनाएं और प्रबल होगी सामाजिक परिदृश्य में यह भी यह दुष्प्रचारित किया जाता है कि यह व्यवस्था लोकतंत्र को कमजोर करेगी पर मूलतः संवैधानिक दृष्टिकोण को अगर हम देखते हैं तो यह व्यवस्था लोकतंत्र को मजबूत करती है,तथा धन प्रभाव शक्ति प्रभाव को भी सीमित करने के लिए यह एक बड़ा कदम होगा आजादी के बाद विधि विशेषज्ञों की 1999 में 2015 में तथा 2018 में भी विधि आयोग की रिपोर्ट में एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की गई है
सामान्य नागरिक की तरह अगर आप इस बात को भी अनुभव करते हो सरकार के स्तर पर बार-बार प्रयास करने के बाद भी वोटिंग प्रतिशत लगभग 60 से 70 के आसपास रहता है क्योंकि जनता भी कई बार वोट डालने के पक्ष में कम दिखती है,और यह इस बात को भी पुस्ट करेगा कि एक साथ वोट पड़ने पर 5 साल के लिए आगे वोट नहीं देना है तो निश्चित ही जानता भी अपने वोट का प्रयोग सतर्कता पूर्वक और देना सुनिश्चित करेगी,
डॉ रवि शरण दीक्षित
इतिहास विभाग
डी ए वी, पीजी कॉलेज देहरादून