आग न लगती तो न्यायपालिका में भ्र्ष्टाचार का धुंवा न उठता!

 श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट
दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास पर आग लगने की घटना ने भ्र्ष्टाचार की आग को हवा दे दी है।आग बुझाने के दौरान फायर ब्रिगेड को जज के घर से लगभग 15 करोड़ नकदी मिलने की खबर ने देश भर में हंगामा मचा दिया है। इस घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस वर्मा को उनके मूल कोर्ट, इलाहाबाद हाई कोर्ट में ट्रांसफर करने का फैसला लिया, और अब मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने उनके खिलाफ जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति भी गठित कर दी है। सन 2009 में भी पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के जज जस्टिस निर्मल यादव पर 15 लाख रुपये की रिश्वत लेने का आरोप लगा था, इस मामले में एक वकील ने दावा किया था कि उसने गलती से रिश्वत की राशि गलत जज के घर भेज दी थी, जिसके बाद यह मामला चर्चाओं में रहा ।मद्रास हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पी.डी. दिनाकरण पर तमिलनाडु में अवैध जमीन अर्जित करने और आय से अधिक संपत्ति के एकत्र करने के आरोप लगे थे,उनके खिलाफ 16 शिकायतें दर्ज की गईं थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उनकी सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति रोक दी थी,जांच के दबाव में उक्त जज ने सन 2011 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।इसी प्रकार सन 2017 में कलकत्ता हाई कोर्ट के जज जस्टिस सी.एस. कर्णन ने सुप्रीम कोर्ट के कई जजों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे,उनके खिलाफ अवमानना का मामला भी चला, और उन्हें छह महीने की जेल भी हुई।सन 2018 में सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों ने पत्रकार वार्ता कर तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा पर मनमाने ढंग से केस बांटने और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था, भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था कि जज अपनी ही न्यायपालिका पर पत्रकार वार्ता कर सवाल खड़े कर रहे थे।वही सन  2021 में मुंबई हाई कोर्ट में जज रहे एक न्यायमूर्ति पर  रिश्वत लेकर फैसले देने के आरोप लगे थे, बाद में यह मामला जांच के अभाव में ठंडे बस्ते में चला गया। न्यायपालिका में जवाबदेही की कमी और पारदर्शिता का अभाव इन समस्याओं को बढ़ावा दे रहा है।भृष्ट जजो को हटाने का महाभियोग ही एकमात्र संवैधानिक उपाय है, लेकिन अब तक इसका भी सफल इस्तेमाल नहीं हो पाया है।हालांकि
न्यायाधीश यशवंत वर्मा का कहना है कि जिस कमरे में नोटों की गड्डियां मिलीं, वह उनके मुख्य आवास से अलग है और कई लोग इसका इस्तेमाल करते हैं।दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय को भेजे अपने एक लंबे स्पष्टीकरण में न्यायमूर्ति वर्मा ने कहा कि 14 मार्च की देर रात होली के दिन दिल्ली में उनके आधिकारिक आवास के स्टाफ क्वार्टर के पास स्थित स्टोर रूम में आग लग गई थी। ‘इस कमरे का इस्तेमाल आम तौर पर सभी लोग पुराने फर्नीचर, बोतलें, क्रॉकरी, गद्दे, इस्तेमाल किए गए कालीन, पुराने स्पीकर, बागवानी के उपकरण और सीपीडब्ल्यूडी की सामग्री जैसे सामान रखने के लिए करते थे,यह कमरा खुला है और सामने के गेट के साथ-साथ स्टाफ क्वार्टर के पिछले दरवाजे से भी इसमें प्रवेश किया जा सकता है।यह मुख्य आवास से अलग है और निश्चित रूप से मेरे घर का कमरा नहीं है, जैसा कि बताया जा रहा है।वही ‘वरिष्ठ वकील और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने जज के यहां भारी मात्रा में नकदी मिलने को लेकर चिंता जताई है। सिब्बल ने न्यायपालिका में भ्रष्टाचार के मुद्दे को गंभीर बताया है।भ्रष्टाचार कम होने के दावों पर सवाल उठाते हुए सिब्बल ने कहा,’भ्रष्टाचार एक गंभीर मुद्दा है और पीएम मोदी के भ्रष्टाचार कम होने के दानों के बावजूद यह बढ़ा है। जब लोकपाल को लेकर प्रदर्शन हुआ था, तब सभी राजनीतिक दल कांग्रेस पर आरोप लगाते थे। इसके बाद लोकपाल बिल आ गया, लेकिन क्या हुआ। सरकार गिरा दी गई और इसके बाद कुछ नहीं किया गया। न केजरीवाल ने कुछ किया और न ही प्रधानमंत्री मोदी ने कुछ किया। बस एक लोकपाल को बैठा दिया गया।राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने दावा किया कि लोगों का न्यायिक प्रणाली में विश्वास कम हो रहा है। सिब्बल ने कहा कि विकल्प तभी मिल सकते हैं, जब सरकार और न्यायपालिका दोनों स्वीकार करें कि न्यायाधीशों की नियुक्ति सहित मौजूदा प्रणालियां कारगर नहीं रह गई हैं।
 दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के घर आग लगने के बाद भारी मात्रा में कैश मिलने पर मचे विवाद के बीच इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने कहा कि मामले की जांच इन-हाउस कमेटी से नहीं बल्कि सीबीआई या ईडी से होनी चाहिए। उन्होंने जस्टिस वर्मा के लिए जेल की सजा की मांग की।दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीके उपाध्याय ने अपनी रिपोर्ट में पुलिस कमिश्नर द्वारा भेजी गईं कुछ रिपोर्टों को भी शामिल किया है जिसमें ये कहा गया है कि स्टोर रूम में 4-5 अधजली बोरियों में कैश मिला है।जस्टिस डीके उपाध्याय ने लिखा है कि उनकी जाँच के मुताबिक़ स्टोर रूम में केवल घर में रहने वाले लोगों, नौकरों और मालियों का आना जाना था, इसलिए इस मामले में और जांच की ज़रूरत है।
पुलिस कमिश्नर ने जस्टिस डीके उपाध्याय के साथ कुछ फ़ोटो और एक वीडियो भी शेयर किए हैं,जिनमें एक कमरे में नोट जलते दिख रहे हैं।जस्टिस डीके उपाध्याय का कहना है कि उन्होंने ये फ़ोटो और वीडियो सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस संजीव खन्ना को भी भेजीं है और इन्हें जस्टिस यशवंत वर्मा को भी दिखाया है।
(लेखक ज्वलंत मुद्दों के टिप्पणीकार व वरिष्ठ अधिवक्ता है)

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