महाकुम्भ नगर। महाकुम्भ में मंगलवार की रात को हुए दुखद हादसे के बाद अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने आज अमृत स्नान में भाग नहीं लेने का निर्णय किया है।
गौरतलब है, संगम नोज पर मंगलवार की रात करीब 2 बजे मची भगदड़ में 25 से अधिक श्रद्धालुओं की कुचलने से मौत हो गई। हादसे में कई लोग घायल हुए हैं, राहत और बचाव कार्य जारी है। मेला क्षेत्र में भगदड़ संगम नोज पर अचानक भीड़ बढ़ने से मची। फिलहाल घायलों को मेला क्षेत्र के सेक्टर-2 में बने केंद्रीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मेला प्रशासन ने मृतकों की संख्या की पुष्टि नहीं की है। श्रद्धालुओं के स्नान में कोई रोक नहीं है।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी ने कहा, “जो घटना हुई उससे हम बहुत दु:खी हैं। हमारे साथ हजारों श्रद्धालु थे। जनहित में हमने फैसला किया कि अखाड़े आज स्नान में भाग नहीं लेंगे। मैं लोगों से अपील करता हूं कि वे आज के बजाय वसंत पंचमी पर स्नान के लिए आएं। यह घटना इसलिए हुई क्योंकि श्रद्धालु संगम घाट पहुंचना चाहते थे, इसके बजाय उन्हें जहां भी पवित्र गंगा दिखे, वहीं डुबकी लगा लेनी चाहिए। “
जगद्गुरु रामानन्दाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज ने संगम में हुए हादसे पर दुख जताते हुए श्रद्वालुओं से अपने निकट की नदियों में मौनी अमावस्या का स्नान करने की अपील की है। उन्होंने अखाड़ों से अमृत स्नान निरस्त करने की अपील भी की है।
श्री शंभु पंच अग्नि अखाड़ा के महामण्डलेश्वर स्वामी रामकृष्ण नंद महाराज ने घटना पर दुख व्यक्त किया है। उन्होंने अपने संदेश में कहा कि, मृत आत्माओं को परमात्मा शांति दे। और उनके वारिसों को सांत्वाना दे। उन्होंने श्रद्धालुओं से अपने निकट की नदियों में स्नान करने की भी अपील की है।
अखाड़ा परिषद के सचिव श्रीमहंत हरि गिरी जी महाराज ने हादसे पर दुख व्यक्त किया है। उन्होंने श्रद्धालुओं से संयम बरतने और अपने निकट की नदियों में मौनी अमावस्या का स्नान करने की अपील की है।
साध्वी निरंजन ज्योति ने महाकुंभ क्षेत्र में हुई भगदड़ की घटना पर कहा, “यह दुखद घटना है। जो भी हुआ वो ठीक नहीं हुआ। अखाड़ा परिषद ने जनहित को ध्यान में रखते हुए अमृत स्नान को रद्द करने का फैसला लिया है।“
आध्यात्मिक गुरु एवं प्रसिद्ध कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने कहा, “मौनी अमावस्या का स्नान चल रहा है। आज मैं संगम घाट पर नहीं गया क्योंकि वहां भीड़ बहुत ज़्यादा है। पूरी गंगा और यमुना की धारा में ’अमृत’ बह रहा है। अगर आप कहीं भी गंगा या यमुना में स्नान करेंगे तो ’अमृत’ आपको प्राप्त होगा। ये आवश्यक नहीं है कि संगम में ही आपको डुबकी लगानी है।“