नई दिल्ली। भारत और इंडोनेशिया ने उच्च प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने के फैसले के साथ ही हिन्द प्रशांत क्षेत्र में शांति, सुरक्षा, समृद्धि और नियम आधारित व्यवस्था को बनाए रखने के लिए वैश्विक मंचों पर ग्लोबल साउथ के हितों एवं प्राथमिकताओं के लिए काम करने की प्रतिबद्धता जतायी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो के बीच यहां हैदराबाद हाउस में हुई प्रतिनिधिमंडल स्तर की बैठक में यह सहमति जतायी गयी। बैठक के बाद दोनों देशों के बीच स्वास्थ्य, आयुष, समुद्री सुरक्षा, सांस्कृतिक आदान—प्रदान, डिजीटल विकास को लेकर पांच समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किये गये। बाद में दोनों नेताओं ने मीडिया को अपने प्रेस वक्तव्य दिये।
मोदी ने अपने वक्तव्य में कहा, ”भारत के पहले गणतंत्र दिवस पर इंडोनेशिया मुख्य अतिथि देश था और यह हमारे लिए बहुत गर्व की बात है कि जब हम गणतंत्र के 75 वर्ष का जश्न मना रहे हैं, इंडोनेशिया एक बार फिर इस ऐतिहासिक अवसर का हिस्सा है। मैं राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो का भारत में स्वागत करता हूं। यह हमारे लिए गर्व की बात है कि आप गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि हैं। हम सभी इस समारोह में पहली बार इंडोनेशिया की मार्चिंग टुकड़ी को देखने के लिए उत्सुक हैं। मैं एक बार फिर आपका और आपके प्रतिनिधिमंडल का भारत में हार्दिक स्वागत करता हूं।”
उन्होंने कहा कि 2018 में उनकी इंडोनेशिया यात्रा के दौरान, दोनों देशों ने अपनी साझीदारी को समग्र रणनीतिक साझीदारी का रूप दिया था। आज राष्ट्रपति प्रबोवो के साथ आपसी सहयोग के विभिन्न पहलुओं पर व्यापक चर्चा हुई। रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए दोनों देशों ने तय किया है कि रक्षा विनिर्माण और आपूर्ति श्रृंखला में साथ काम किया जायेगा। हमने समुद्री सुरक्षा, साइबर सुरक्षा, आतंकवाद से मुकाबला और कट्टरवाद को कम करने में सहयोग पर भी बल दिया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि फिनटेक, आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस, इंटरनेट आफ थिंग्स और डिजीटल सार्वजनिक अवसंरचना डीपीआई जैसे क्षेत्रों में आपसी सहयोग को और सशक्त करने का निर्णय लिया गया है। स्वास्थ्य एवं खाद्य सुरक्षा के क्षेत्रों में भारत अपने अनुभव, जैसे कि मध्याह्न भोजन योजना और सार्वजनिक वितरण प्रणाली, इंडोनेशिया के साथ साझा कर रहा है।
सांस्कृतिक संबंधों की पृष्ठभूमि को याद करते हुए मोदी ने कहा कि भारत और इंडोनेशिया के संबंध हजारों वर्ष पुराने हैं। रामायण और महाभारत से प्रेरित गाथाएं, और ‘बाली जात्रा’, हमारे लोगों के बीच अनवरत सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों के जीते जागते प्रमाण हैं। उन्होंने कहा , “आसियान और हिन्द प्रशांत क्षेत्र में इंडोनेशिया हमारा महत्वपूर्ण साझीदार है। इस पूरे क्षेत्र में शांति, सुरक्षा, समृद्धि और नियम आधारित व्यवस्था को बनाए रखने के लिए हम दोनों प्रतिबद्ध हैं। हम इंडोनेशिया की ब्रिक्स की सदस्यता का भी स्वागत करते हैं। इन सभी मंचों पर, ग्लोबल साउथ के देशों के हितों और उनकी प्राथमिकताओं पर, हम सहयोग और समन्वय से काम करेंगे।”
मेहमान राष्ट्रपति सुबियांतो ने अपने वक्तव्य में कहा, “हम ब्रिक्स में हमारी प्रमुख सदस्यता का समर्थन करने के लिए भारत को धन्यवाद देना चाहते हैं। हमें विश्वास है कि यह सहयोग वैश्विक स्थिरता और क्षेत्रीय सहयोग के लिए फायदेमंद होगा। व्यापार, निवेश, पर्यटन, स्वास्थ्य के क्षेत्र में हमारी चर्चा में, ऊर्जा, सुरक्षा, सहयोग, डिजिटल, एआई, आईटी और ऊर्जा, हम इस सहयोग को मजबूत करने के लिए सहमत हुए। मैं भारतीय उद्योग जगत के कई नेताओं के साथ बहुत सफल और अच्छी चर्चा करके बहुत खुश हूं। हम इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी को भी उनकी सहायता के लिए धन्यवाद देते हैं। हम आपके कार्यक्रमों का अध्ययन करते हैं, हम तकनीकी टीमें भेजते हैं और अब हम कई कार्यक्रम लागू कर रहे हैं जो हमारे लिए अच्छे उदाहरण हैं, जिनमें हम आपके अनुभव से सीखना चाहेंगे।”
सुबियांतो ने भारत से रक्षा सहयोग समझौते के क्रम में अपना उच्च स्तरीय रक्षा दल परस्पर सहमत समय पर भारत भेजने की घोषणा के साथ ही भारतीय तकनीकी एवं कारोबारी प्रतिनिधियों को इंडोनेशिया आने एवं निवेश एवं काम करने के अवसरों का लाभ उठाने का आह्वान किया। उन्होंने भारत के उच्च संस्थानों को इंडोनेशिया में अपने केन्द्र स्थापित करने के लिए आमंत्रित किया।