अब अंतिम पड़ाव पर उत्तराखंड की चारधाम यात्रा

 177 दिनों में 46 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने चारों धामों में नवाए शीश

धामों के कपाट बंद होने से आस्था पथ को छह माह का करना होगा इंतजार

देहरादून। हरी-भरी वादियां, ऊंचे-ऊंचे पहाड़, सीढ़ीनुमा-घुमावदार सड़कें, हिमालय व हिल स्टेशन समेत देवभूमि का प्राकृतिक सौंदर्य इन दिनों पर्यटकों को खूब लुभा रहा है। बीते 10 मई से शुरू हुई विश्वविख्यात चारधाम यात्रा अब अंतिम चरण में है। ऐसे में धामों में दर्शन के लिए आस्था का सैलाब उमड़ रहा है। समय गवाए बगैर श्रद्धालु तीर्थ यात्रा पूर्ण करने के साथ देवाधिदेव बाबा केदार और बदरी विशाल का दीदार करना चाहते हैं। इस वर्ष 177 दिनों में अब तक कुल 46 लाख 980 तीर्थयात्री चारधाम यात्रा कर चुके हैं।

दरअसल, इस वर्ष की चारधाम यात्रा अब अंतिम पड़ाव पर यानी समाप्ति की ओर है। अब आने वाले दिनों में सभी धाम छह माह के लिए बंद हो जाएंगे। ऐसे में हरिद्वार से लेकर उच्च हिमालय तक आस्था पथ गुलजार है। चारधाम यात्रा उत्तराखंड की आर्थिकी की लाइफलाइन है। उत्तराखंड की चारधाम यात्रा को लेकर देश-दुनिया में अगाध आस्था है। चारधाम यात्रा के लिए श्रद्धालु हर कष्ट सहने को तैयार रहते हैं। गत 31 जुलाई की रात आई आपदा इसकी गवाह है। गत 31 जुलाई की रात अचानक आई प्राकृतिक आपदा भी आस्था की डगर पर श्रद्धालुओं के पांव रोक नहीं पाई।

इस वर्ष अब तक 46 लाख 980 तीर्थयात्री सुरक्षित धार्मिक यात्रा कर चारों धामों में शीश नवा चुके हैं। सबसे अधिक तीर्थयात्री उच्च हिमालय पर स्थित बाबा केदारनाथ धाम पहुंचे हैं। केदारनाथ धाम में अब तक 1610930 तीर्थयात्री शीश नवाए हैं। बदरीनाथ धाम में 1274472 व गंगोत्री धाम में 811542 तो यमुनोत्री धाम में अब तक 710210 तीर्थयात्री हाजिरी लगा चुके हैं।

विश्व फलक पर अतिथि देवो भव: का संदेश दे रही देवभूमि

शक्ति-भक्ति से लबरेज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सुरक्षित धार्मिक यात्रा को लेकर प्रतिबद्ध है। ऐसे में चारधाम यात्रा विश्व फलक पर अतिथि देवो भव: का संदेश दे रही है। यह संभव हो पाया है सरकार और प्रशासन की कार्यकुशलता से। मुख्यमंत्री धामी का कहना है कि चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं को सुरक्षित यात्रा कराना राज्य सरकार की पहली प्राथमिकता है। चारधाम यात्रा व्यवस्थाओं को सुव्यवस्थित और मजबूत करने लिए यात्रा प्राधिकरण बनाया जा रहा है। इसके लिए चारधाम यात्रा एवं इससे जुड़े लोगों और स्टेक होल्डर्स के सुझाव लिए जा रहे हैं।

10 मई से शुरू हुई थी चारधाम यात्रा

इस बार की चारधाम यात्रा 10 मई को शुरू हुई थी। तीन धामों यानी केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री के कपाट 10 मई को खोले गए थे जबकि बदरीनाथ धाम के कपाट 12 मई को खुले थे।

गंगोत्री धाम के कपाट बंद, तीन नवंबर काे बंद होंगे यमुनोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट

केदारनाथ और यमुनोत्री धाम के कपाट भैया दूज के दिन ही बंद होंगे। केदारनाथ धाम के कपाट तीन नवंबर को सुबह 8.30 तो यमुनोत्री धाम के कपाट तीन नवंबर दोपहर 12.03 बजे बंद होंगे जबकि भैया दूज से एक दिन पहले अन्नकूट गोवर्धन पूजा के दिन शनिवार को श्रीगंगोत्री धाम के कपाट अभिजीत मुहूर्त में बंद कर दिए गए।

17 नवंबर को बंद होंगे बदरीनाथ धाम के कपाट

बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि 17 नवंबर को मिथुन लग्न में रात नौ बजकर सात मिनट पर पूरे विधि-विधान से भगवान बदरी विशाल मंदिर के कपाट बंद किए जाएंगे। बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की प्रकिया 13 नवंबर से शुरू हो जाएगी।

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