डीएवी पब्लिक स्कूल, सीसीएल रजरप्पा प्रोजेक्ट में दीपावली एवं छठ महोत्सव का आयोजन

डी.ए.वी पब्लिक स्कूल, सीसीएल रजरप्पा प्रोजेक्ट में दीपावली एवं छठ महोत्सव का उल्लासपूर्ण आयोजन किया गया। इस अवसर पर विशेष थीम आधारित प्रार्थना सभा आयोजित की गई, जिसमें विद्यार्थियों ने विभिन्न प्रस्तुतियों के माध्यम से भारतीय संस्कृति और परंपराओं की झलक पेश की।

प्रार्थना सभा के बाद भगवान राम और माता सीता के जीवन पर आधारित एक नाटिका का मंचन किया गया, जिसमें छात्रों ने आदर्श चरित्रों का मार्मिक चित्रण किया। नाटिका ने भगवान राम और माता सीता की महानता, साहस और धर्मनिष्ठा के महत्व को उजागर किया।

इसके पश्चात् छठ पूजा के पारंपरिक स्वरूप को जीवंत करते हुए विद्यार्थियों ने छठ पूजा की प्रस्तुति दी। उन्होंने इस महापर्व की विशेष रीति-रिवाजों और परंपराओं को विस्तार से प्रदर्शित किया, जिसमें सूर्य उपासना, निर्जला उपवास, और घाट पर श्रद्धालुओं के आस्था से भरे अनुष्ठान शामिल थे। छठ की इस जीवंत प्रस्तुति ने दर्शकों को छठ पर्व की आध्यात्मिकता और उसके महत्व से परिचित कराया।

इसके बाद छात्रों ने दीपावली और छठ पूजा के महत्व पर भाषण भी दिए, जिसमें इन त्योहारों के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व को समझाया गया। छठ पर्व के प्रति भक्ति और आस्था को और भी अधिक प्रकट करने के लिए, छात्रों ने छठ से संबंधित पारंपरिक गीत भी गाए, जो दर्शकों को छठ पर्व के आनंद में डूबोने में सक्षम रहे।

साथ ही, इस अवसर पर स्वामी दयानंद सरस्वती के 140वें निर्वाण दिवस का भी आयोजन हुआ। कार्यक्रम में सत्यमकाम आर्य और रजनीश पाठक ने भजन प्रस्तुत किया, जिससे उपस्थित श्रोताओं में भक्ति की भावना जागृत हुई। रमेश्वर शर्मा ने स्वामी दयानंद सरस्वती के जीवन और उनके सिद्धांतों पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि स्वामी दयानंद के आदर्श और उनके संदेश आज भी समाज में प्रासंगिक हैं और प्रेरणा का स्रोत हैं।

कार्यक्रम में डी.ए.वी रजरप्पा के एआरओ सह प्राचार्य, डॉ. एस. के. शर्मा ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति से कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। उन्होंने छात्रों के प्रयासों की सराहना करते हुए भारतीय संस्कृति की गहरी जड़ों को बनाए रखने पर जोर दिया और सभी को दीपावली एवं छठ की शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने स्वामी दयानंद सरस्वती के शिक्षा, स्वाभिमान और सामाजिक उत्थान के विचारों पर जोर देते हुए कहा कि हमें उनके दिखाए मार्ग पर चलना चाहिए।

यह आयोजन न केवल छात्रों के लिए सीखने का एक विशेष अवसर था बल्कि उन्हें अपनी संस्कृति और परंपराओं से जोड़ने का भी एक महत्वपूर्ण माध्यम बना।

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