प्रधानमंत्री ने आरजे शंकर नेत्र अस्पताल को आमजन के लिए किया समर्पित
देश में हाे रहे विकास की मुख्य वजह यह है हमें अच्छे नेता मिले: शंकराचार्य विजयेन्द्र सरस्वती
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को हरिहरपुर स्थित आरजे शंकर नेत्र अस्पताल को आमजन के लिए लोकार्पित किया। इस अस्पताल की स्थापना शंकरा आई हॉस्पिटल, प्रमुख निवेशक राकेश झुनझुनवाला परिवार और शंकरा आई फाउंडेशन,दक्षिण भारत (तमिलनाडु) के कांची कामकोटि मेडिकल ट्रस्ट के सहयोग से की गई है। 90 करोड़ की लागत से निर्मित नेत्र अस्पताल का लोकार्पण करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने खास प्रदर्शनी का अवलोकन किया।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मुझे परमपूज्य शंकराचार्य के दर्शन का, उनसे प्रसाद और आशीर्वाद प्राप्त करने का सौभाग्य मिला है। शंकराचार्य के आशीर्वाद से ही काशी से पूर्वांचल को एक और आधुनिक अस्पताल मिल गया। भगवान शंकर की नगरी में शंकरा आई हॉस्पिटल आज से जन-जन के लिए समर्पित है। मैं वाराणसी समेत पूर्वांचल के सभी परिवारजनों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। शास्त्रों में भी कहा गया है कि तमसो मा ज्योतिर्गमय… यानी अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो। प्रधानमंत्री ने कहा कि अस्पताल वाराणसी और इस क्षेत्र के आने वाले लोगों के जीवन से अंधकार दूर करेगा, उन्हें प्रकाश की ओर ले जाएगा। यह अस्पताल एक प्रकार से आध्यात्मिकता व आधुनिकता का संगम है। यह अस्पताल बुजुर्गों की भी सेवा करेगा और बच्चों को भी रोशनी देगा। यहां बहुत बड़ी संख्या में गरीबों को मुफ्त इलाज मिलने वाला है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि काशी की पहचान अनंतकाल से धर्म और संस्कृति की राजधानी के रूप में रही थी, अब काशी यूपी के पूर्वांचल के बड़े आरोग्य केंद्र, हेल्थकेयर हब के रूप में भी विख्यात हो रही है। काशी की पहचान स्वास्थ्य सेवाओं की वजह से भी होती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस पावन महीने (दिव्य कार्तिक माह) में काशी आना एक पुण्य अनुभूति का अवसर होता है। यहां काशीवासियों के साथ ही संत जनों और परोपकारी लोग भी हैं। इससे सुखद सहयोग भला क्या हो सकता है। कार्यक्रम में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पिछले 10 वर्ष में काशी में विकास का नया रूप देखने को मिल रहा है। शिक्षा, स्वास्थ्य के क्षेत्र में नित नए प्रतिमान बन रहे हैं। विकास और सेवा के क्षेत्र में नए-नए प्रकल्प यहां काशी में जुड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि लगभग ढाई हजार करोड़ रुपये की लागत से केवल स्वास्थ्य के क्षेत्र में यहां पर कार्य संपन्न हुआ है। बीएचयू में 430 बेड सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल,ईएसआईसी हॉस्पिटल में 150 बेड सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल का निर्माण कर उत्तर प्रदेश, बिहार और आसपास के नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करवाने की कार्रवाई यहां पर आगे बढ़ी है। वाराणसी में अस्पताल खोलने के लिए मुख्यमंत्री ने आरजे शंकर नेत्र अस्पताल प्रबंधन का आभार जताया। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश पूरी दुनिया में विकास का नया मॉडल है। आने वाले दिनों में गरीबों और आम जनता के लाभ के लिए कई योजनाएं चलाई जाएंगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि काशी की सेवा और विकास के अभियान में एक नई कड़ी जुड़ गई है। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का अभिनंदन है। जगद्गुरु शंकराचार्य महाराज की प्रेरणा से 1977 से शुरू हुआ अभियान देश के विभिन्न क्षेत्रों में लोगों के जीवन में नई रोशनी लाने का काम कर रहा है।
कार्यक्रम में कांची कामकोटि पीठम के शंकराचार्य जगदगुरू शंकर विजयेन्द्र सरस्वती ने भी आर्शीवचन दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व की जमकर सराहना की। उन्होंने कहा कि देश में जो विकास हो रहा है इसका मुख्य कारण है कि हमको अच्छे नेता मिले हैं। ईश्वर की कृपा की वजह से ही नरेंद्र दामोदरदास मोदी मिले हैं। विश्व में बहुत बड़ा प्रजातंत्र है। अच्छे नेता भी ईश्वर कृपा से मिलते हैं। उन्होंने कहा कि समाज में व्यक्ति भी मुख्य है और व्यक्तित्व भी मुख्य है। सबको जोड़ने वाला नेता भी चाहिए। भारत की विशेषता के लिए धर्म और संस्कृति का विकास होना बहुत जरूरी है। प्रदेश के उज्जवल भविष्य के लिए यह सब जरूरी है। इसके लिए उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शांति के लिए अच्छा काम कर रहे हैं।
इसके पहले प्रधानमंत्री मोदी ने कांची कामकोटि पीठम के शंकराचार्य जगदगुरू शंकर विजयेन्द्र सरस्वती से आर्शिवाद लिया और उनका कुशलक्षेम पूछा। अस्पताल के उद्घाटन के अवसर पर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ,राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ,प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, एस वी बालासुब्रमण्यम ( चेयरमैन, एसईएफआई ), पद्मश्री डाॅ आर.वी. रमणी ( संस्थापक और मैनेजिंग ट्रस्टी, शंकरा आई फाउन्डेशन इंडिया), मुरली कृष्णामूर्ति ( एक्ज़ीक्यूटिव चेयरमैन शंकरा आई फाउन्डेशन) आदि भी मौजूद रहे।