उत्तराखंड सरकार द्वारा विद्युत दरों में की गई छूट की घोषणा मात्र दिखावा: डॉ. प्रतिमा सिंह

देहरादून। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता डॉ. प्रतिमा सिंह ने उत्तराखण्ड सरकार द्वारा विद्युत दरों में छूट दिये जाने की घोषणा को कोरी घोषणा बताकर एक बयान जारी करते हुए कहा कि मंहगाई के बोझ से दबी प्रदेश की आम जनता से जो विद्युत बिल वसूला जा रहा है वह कई अन्य राज्यों के मुकाबले कई गुना अधिक है।

डॉ. प्रतिमा सिंह ने कहा कि विद्युत प्रदेश होने के बावजूद पिछले 7 वर्षो में राज्य सरकार प्रदेश की आम जनता पर लगातार बिजली की दरें बढाकर आर्थिक बोझ डालती रही है और अब विद्युत दरों में छूट का झांसा देकर बरगलाने की चेष्टा कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में डबल इंजन की सरकार होने के बावजूद राज्य सरकार की शिथिलता के चलते एसजेवीएनएल, एनटीपीसी, एनएचपीसी जैसे भारत सरकार के नवरत्न संस्थानों के करोड़ों रूपये की परियोजनाएं अधर में लटकी हुई हैं, परन्तु राज्य सरकार के स्तर से रूकी हुई परियोजनाओं को शुरू करने के लिए कोई भी प्रयास नहीं किये जा रहे हैं। यदि भारत सरकार के संस्थान इसी प्रकार पलायन करते रहे तो विद्युत उत्पादक राज्य के नाम से जाना जाने वाला उत्तराखण्ड राज्य अपनी वास्तविक पहचान खो सकता है।
कांग्रेस प्रवक्ता डॉ. प्रतिमा सिंह ने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार की उपेक्षापूर्ण नीतियों के कारण गरीब व आम आदमी पहले से ही महंगाई की मार से त्रस्त है। रसोई गैस, पेट्रोलियम पदार्थ तथा खाद्य पदार्थों की आसमान छूती कीमतों के कारण देश एवं प्रदेश की जनता महंगाई के भारी बोझ से दबती जा रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2017 से 2024 के मध्य 7 वर्ष के अन्तराल में बिजली के दामों में लगभग 40 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। इसके विपरीत आम जरूरत की चीजों के दामों में कई गुना वृद्धि पर केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा नियंत्रण नहीं किया जा रहा है। रसोई गैस, पेट्रोलिय पदार्थ तथा खाद्य्य पदार्थों के लगातार बढ़ रहे दामों के बाद अब राज्य सरकार द्वारा बिजली की दरों में कटौती का दिखावा किया जा रहा है जबकि सच्चाई यह है कि विभाग द्वारा आम जनता को गुमराह कर विद्युत बिलों से अतिरिक्त वसूली की जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार द्वारा पहले बिजली की दरों में बढ़ोतरी कर जनता पर महंगाई लादने का काम किया गया तथा गुजरात बेस अल्पस कम्पनी एवं श्रावंती कम्पनी को बिगत वर्षों से बिना बिजली उत्पादन किये ही करोड़ों रूपये का भुगतान कर आम जनता की जेब पर डाका डाला गया जिसका कोई उत्तर राज्य सरकार के पास नहीं है।

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