कोलकाता। आर जी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में जारी चिकित्सकों के आंदोलन के कारण राज्य भर में मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
स्वास्थ्य विभाग के निर्देश पर वरिष्ठ चिकित्सक आपातकालीन विभाग और बाह्य रोगी विभाग की सेवाएं संभाल रहे हैं। हालांकि, स्वास्थ्य सचिव ने कुछ जगहों पर आपातकालीन सेवाओं में बाधा होने का दावा किया है। सचिव ने जूनियर डॉक्टरों से मरीजों की सेवा बनाए रखने की अपील की लेकिन, राज्य के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा है।
आर जी कर अस्पताल में स्थिति बेहद गंभीर है। काशीपुर की रहने वाली कविता दास, जो प्रसूति विभाग में इलाज के लिए आई थीं, ने बताया कि बाह्य रोगी विभाग बंद होने और डॉक्टरों की अनुपस्थिति के कारण उन्हें बिना इलाज लौटना पड़ा। बसीरहाट की रहने वाली फातिमा बीबी, जो कैंसर से पीड़ित हैं, भी बिना इलाज के लौट गईं। इसी तरह, नेशनल मेडिकल कॉलेज में सात साल के इम्तियाज गाजी के इलाज में भी देरी हो रही है। इम्तियाज की मां, इन्नाहर बीबी, ने कहा, “शुक्रवार को ऑपरेशन होना था, लेकिन डॉक्टरों की हड़ताल के कारण ऑपरेशन नहीं हो सका। अब हमें एक सप्ताह बाद आने को कहा गया है।”
उत्तर दिनाजपुर के रायगंज से आए तपन सरकार, अपने सात साल के बेटे नीरव के इलाज के लिए एसएसकेएम अस्पताल के एक विभाग से दूसरे विभाग में भटकते रहे। उनके बेटे को कुत्ते ने काट लिया था, और प्रारंभिक इलाज के बाद वे पिजी में पहुंचे थे। लेकिन यहां भी उन्हें इलाज नहीं मिला। इसी तरह, बांकुड़ा से आई अफरा परवीन, जो चार साल की है, का इलाज भी कोलकाता मेडिकल कॉलेज में नहीं हो पाया।
आरजीकर की नई प्रिंसिपल सुहृता पाल ने मंगलवार को आर जी कर में अपनी जिम्मेदारी संभाली। उन्होंने दोपहर में कॉलेज काउंसिल की बैठक बुलाई, जिसमें सभी विभाग प्रमुखों को सेवाएं बहाल करने के लिए सक्रिय होने को कहा गया। सुहृता पाल ने कहा, “मैं भी उचित न्याय चाहती हूं और वास्तविक जांच की मांग करती हूं, लेकिन मरीजों की सेवाओं का ध्यान रखना भी जरूरी है।”
राज्य मेडिकल काउंसिल ने भी सभी पंजीकृत चिकित्सकों से हड़ताल समाप्त करने की अपील की है।