नई दिल्ली। अमेरिकी शोध एवं निवेश कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक बार फिर भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) प्रमुख पर हमला बोला है। हिंडनबर्ग ने कहा कि हमारी रिपोर्ट पर सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कई चीजों को स्वीकारा है, जिससे कई नए सवाल खड़े हो गए हैं।
हिंडनबर्ग ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पोस्ट पर जारी बयान में लिखा है कि बुच की प्रतिक्रिया से बरमूडा/मॉरीशस के एक फंड में विनोद अडाणी के निवेश की पुष्टि होती है। इसके साथ ही उनके ओर से कथित रूप से गबन किए गए पैसों की पुष्टि होती है। उन्होंने यह भी पुष्टि की है कि ये फंड उनके पति के बचपन के दोस्त के जरिए चलाया जाता था, जो उस समय अडाणी के डॉयरेक्टर थे।
अमेरिकी कंपनी ने कहा कि सेबी को अडाणी मामले से संबंधित निवेश फंड्स की जांच करने का काम सौंपा गया था, जिसमें माधबी पुरी बुच की ओर से निवेश किया गया है। ये स्पष्ट रूप से हितों का एक बड़ा टकराव है। इससे पहले हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों के बाद सेबी प्रमुख और उनके पति का बयान सामने आया था। उन्होंने हिंडनबर्ग रिसर्च के इन आरोपों को बेबुनियाद बताया था। वहीं, अडाणी समूह ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि सेबी प्रमुख से समूह के कारोबारी रिश्ते नहीं हैं।
उल्लेखनीय है कि हिंडनबर्ग रिसर्च ने इससे पहले शनिवार देर रात जारी अपनी नई रिपोर्ट में दावा किया था कि सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने 5 जून, 2015 को मॉरीशस स्थित आईपीई-प्लस फंड-1 में एक अकाउंट खुलवाया, जो कथित तौर पर फंड साइफनिंग में शामिल था। हिंडनबर्ग ने ये भी आरोप लगाया है कि अडाणी समूह से जुड़ी ऑफशोर कंपनी में सेबी प्रमुख और उनके पति की हिस्सेदारी है। हालांकि, हिंडनबर्ग के इन अरोपों का सेबी, माधवी पुरी बुच और उनके प्रति तथा अडाणी समूह ने सिरे खारिज किया है।