वायनाड के जमींदोज गांवों में तीनों सेनाओं ने संभा​ला मोर्चा

सेना ने राहत ​एवं बचाव कार्य चलाकर अब तक एक हजार​ प्रभावित नागरिकों को बचाया-वायु सेना के हेलीकॉप्टरों ने जमीन की संकरी पट्टी ​में फंसे लोगों को किया ​एयरलिफ्ट

नई दिल्ली।​ केरल के वायनाड में भूस्खलन के ​दूसरे दिन बुधवार को प्रभावित क्षेत्रों में​ तीनों सेनाओं ने पूरी तरह से मोर्चा संभाल लिया है। भूस्खलन​ से जमींदोज हुए गांवों में सेना की अतिरिक्त टुकड़ियों को लगातार ​भेजा जा रहा है, ताकि प्रभावित लोगों को सहायता पहुंचाई जा सके।​ सेना ने मानव निर्मित पुल और मानवीय प्रयासों का उपयोग करके अब तक एक हजार ​नागरिकों को बचाया है। वायु सेना के हेलीकॉप्टरों ने भी अभियान चलाकर जमीन की संकरी पट्टी ​में फंसे लोगों को ​एयरलिफ्ट किया है। नौसेना​ और भारतीय तटरक्षक बल ​ने भी वायनाड में​ चिकित्सा दल​ और आपदा राहत टीम भेजी ​हैं।

सेना की दक्षिणी कमान ने बताया कि एनडीआरएफ, राज्य बचाव दल, तटरक्षक, भारतीय नौसेना और ​वायु सेना के साथ भारतीय सेना की टुकड़ियां संकट से निपटने के लिए लगातार काम कर रही हैं। मानव निर्मित पुल और मानवीय प्रयासों का उपयोग करके अब तक एक हजार नागरिकाें को बचाया गया है। सेना की टुकड़ियों ​ने अब तक लगभग 70 शव बरामद किए हैं। वायनाड में बचाव अभियान के लिए 23 मराठा रेजिमेंट के 130 सैनिक बचाव प्रयासों में सहायता के लिए त्रिवेंद्रम से वायनाड पहुंच गए हैं।​ सेना की 122 इन्फैंट्री बटालियन के सैनिकों ने फंसे हुए नागरिकों को निकाला, जबकि प्रादेशिक सेना और डीएससी सेंटर ने संयुक्त बचाव अभियान में वनरानी चाय बागान में फंसे मध्य प्रदेश के 19 श्रमिकों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है।

मद्रास इंजीनियर ग्रुप और इंजीनियर टास्क फोर्स​ बुधवार तड़के 02:00 बजे मौके पर ​पहुंची।​ दरअसल, चूरलमाला में एक​ 24,170 फीट का पुल बनाने की योजना है​, ताकि यहां फंसे लोगों को निकाला जा सके। मेप्पाडी-चूरलमाला रोड पर टोही का काम चल रहा है। तीन बेली ब्रिज, जेसीबी और टाट्रा ट्रकों सहित आवश्यक ब्रिजिंग परिसंपत्ति​यों को वायनाड ​ले जाया जा रहा है, जिसके आज शाम तक पहुंचने की संभावना है। इसके अलावा दिल्ली से ब्रिजिंग परिसंपत्तियां तीन खोजी कुत्तों के साथ भारतीय वायु सेना के ​परिवहन विमान सी​-130 ​के जरिये हवाई मार्ग से कन्नूर पहुंच गई हैं। जल्द ही वायनाड के लिए सड़क मार्ग से आवाजाही ​शुरू करने के लिए नागरिक प्रशासन के साथ समन्वय​ किया जा रहा है। कमांडेंट पैरा रेजिमेंटल सेंटर​, मेपड्डी में राज्य प्रशासन नियंत्रण कक्ष के साथ सेना नियंत्रण केंद्र​ स्थापित किया गया है।

भारतीय वायु सेना के हेलीकॉप्टरों ने हवाई निकासी की। ​प्रभावित इलाकों की स्थिति का जायजा लेने के लिए आज सुबह से हवाई सर्वे किया जा रहा है। पंगोडे सैन्य स्टेशन से लगभग 130 सैनिक बचाव कार्यों के लिए शंखमुखम त्रिवेंद्रम से कोझिकोड के लिए भारतीय वायु सेना के विमान में सवार हुए।​ त्रिवेंद्रम के पंगोडे सैन्य स्टेशन से 130 सैनिकों की दूसरी टुकड़ी बचाव उपकरणों से सुसज्जित होकर कोझिकोड पहुंची तथा चल रहे अभियानों में सहायता के लिए तैयार है। भारतीय वायु सेना की दक्षिणी वायु कमान और भारतीय सेना की राहत टुकड़ियां प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों में फंसे हुए लोगों को निकालने के लिए वायनाड भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में खोज और बचाव कार्य चला रही हैं।

भारतीय वायु सेना की दक्षिणी वायु कमान ने नागरिक प्रशासन की सहायता के लिए वायु सेना स्टेशन सुलूर से दो हेलीकॉप्टर तैनात किए हैं।​ प्रतिकूल जलवायु परिस्थिति और खराब दृश्यता के बावजूद भारतीय वायु सेना के हेलीकॉप्टरों ने मंगलवार शाम 6 बजे के आसपास वायनाड में खोज और बचाव अभियान चलाया और जमीन की संकरी पट्टी से फंसे लोगों को बचाया। वायु सेना के एएन-32 विमान ने मंगलवार शाम 5 बजे तक पहली टीम को कालीकट पहुंचाया। भारतीय वायु सेना के सी-130 हरक्यूलिस विमान ने रात 8:30 बजे तक महत्वपूर्ण बचाव सामग्री के साथ टीम को कालीकट पहुंचाया।​ भारतीय वायु सेना के विमान एएन-32 और सी​-130 ​के जरिये त्रिवेंद्रम से दो अतिरिक्त सेना टुकड़ियां कल रात 10:30 बजे कालीकट​ पहुंचीं। इन टुकड़ियों ​को आज सुबह 6:45 बजे वायनाड के लिए ​रवाना किया गया है।

नौसेना ​की दक्षिणी कमान ने प्रभावित क्षेत्रों में सहायता के लिए आईएनएस ज़मोरिन से चिकित्सा दल और उपकरणों सहित 68 कर्मियों की आपदा राहत टीम भेजी ​हैं। अतिरिक्त टीमें स्टैंडबाय पर हैं। बचाव प्रयासों को बढ़ाने के लिए कोच्चि से कालीकट तक एएलएच टुकड़ी तैनात की गई है।​ भारतीय तटरक्षक बल वायनाड में भूस्खलन से प्रभावित लोगों के लिए बचाव और राहत कार्यों में सक्रिय रूप से लगा हुआ है। कोच्चि और बेपोर से आईसीजी आपदा राहत दल ​मौके पर मौजूद है।वायनाड बचाव अभियान के दूसरे दिन आज सुबह 122 इन्फैंट्री बटालियन के सैनिक आपदा प्रभावित मेप्पाडी और वायनाड में बचाव कार्य जारी रखने के लिए स्थानीय स्कूल आश्रय स्थल से ​रवाना हुए हैं।

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